Dikhawat aur banawat ke beech kaha dikhti hai asliyat aajkal?
Chiraag bhi bujh gaya dekho, dhundte dhundte ...
Mila na koi sacha yaaha....
#Puja
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
Chiraag bhi bujh gaya dekho, dhundte dhundte ...
Mila na koi sacha yaaha....
#Puja
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
Dikhawat aur banawat ke beech kaha dikhti hai asliyat aajkal?
Chiraag bhi bujh gaya dekho, dhundte dhundte ...
Mila na koi sacha mujhko..
#Puja
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
Chiraag bhi bujh gaya dekho, dhundte dhundte ...
Mila na koi sacha mujhko..
#Puja
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
शीर्षक : वफ़ा की ख़ामोशी
आइना वफ़ा निकल गया,
चेहरे की चमक में छुपी दास्तान।
मैं ख़ामोश रहा, आँसू छुपाए,
वो भी ख़ामोश रह गया, दिल की गहराइयों में डूबे रहा।
मेरे साथ हमेशा रोया,
पर मेरी खुशियों को न समझ पाया।
मेरे सागर के किनारे आया,
पर मेरे दिल की गहराइयों को न जान पाया।
खुशी में मेरे संग हंसा,
पर मेरी खुशियों को न समझ पाया।
मेरे दुःख पर आँसू बहाए,
पर मेरे दर्द को अपने संग न बांट पाया।
मेरे संग हमेशा रहा,
पर मुझको नहीं समझ पाया।
मेरी खुशियों और दुःख को,
न जान पाया, न समझ पाया।
— अभय कुमार वर्मा ✍️ "
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
आइना वफ़ा निकल गया,
चेहरे की चमक में छुपी दास्तान।
मैं ख़ामोश रहा, आँसू छुपाए,
वो भी ख़ामोश रह गया, दिल की गहराइयों में डूबे रहा।
मेरे साथ हमेशा रोया,
पर मेरी खुशियों को न समझ पाया।
मेरे सागर के किनारे आया,
पर मेरे दिल की गहराइयों को न जान पाया।
खुशी में मेरे संग हंसा,
पर मेरी खुशियों को न समझ पाया।
मेरे दुःख पर आँसू बहाए,
पर मेरे दर्द को अपने संग न बांट पाया।
मेरे संग हमेशा रहा,
पर मुझको नहीं समझ पाया।
मेरी खुशियों और दुःख को,
न जान पाया, न समझ पाया।
— अभय कुमार वर्मा ✍️ "
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
तुम जो बोलो वो मैं करता कहाँ हूं,
हाँ तुमसे मैं जनाब डरता कहाँ हूं,
तुम जो मुझे रोज दे रही हो जहर
पर इस जहर से मैं मरता कहाँ हूं,
#Ranga
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
हाँ तुमसे मैं जनाब डरता कहाँ हूं,
तुम जो मुझे रोज दे रही हो जहर
पर इस जहर से मैं मरता कहाँ हूं,
#Ranga
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
सुना है खुदा तू बहुत करिश्मा दिखाता है
दुनिया के लोगों को कठपुतली सा नचाता है
इन बैपीर लोगो को भी तु पीर बनाता है
अपने बंदों को खुबसूरत ज़हान दिखाता है
#Bhagyashree
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
दुनिया के लोगों को कठपुतली सा नचाता है
इन बैपीर लोगो को भी तु पीर बनाता है
अपने बंदों को खुबसूरत ज़हान दिखाता है
#Bhagyashree
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
समझाना चाहता हूँ अक्सर अफसरों को बातें मेरी,
काम कर के भी बातें उनकी मैंने कभी सुनी नहीं होती,
दफ्तरों की कागजों में मैंने जिंदगी बिताई नहीं होती ,
अगर न होती जिम्मेदारियों के संग मजबूरियाँ मेरी,
पढ़े-लिखे मजदूर की ये नौकरी मैंने कब की छोड दी होती...
बिना बोले किसीको ये बातें काग़ज़ पे मैंने लिखी नहीं होती...
#Krushnakant
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
काम कर के भी बातें उनकी मैंने कभी सुनी नहीं होती,
दफ्तरों की कागजों में मैंने जिंदगी बिताई नहीं होती ,
अगर न होती जिम्मेदारियों के संग मजबूरियाँ मेरी,
पढ़े-लिखे मजदूर की ये नौकरी मैंने कब की छोड दी होती...
बिना बोले किसीको ये बातें काग़ज़ पे मैंने लिखी नहीं होती...
#Krushnakant
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
तुम जो बोलो वो मैं करता कहाँ हूं,
हाँ तुमसे मैं जनाब डरता कहाँ हूं,
तुम जो मुझे रोज दे रही हो जहर
पर इस जहर से मैं मरता कहाँ हूं,
#Ranga
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
हाँ तुमसे मैं जनाब डरता कहाँ हूं,
तुम जो मुझे रोज दे रही हो जहर
पर इस जहर से मैं मरता कहाँ हूं,
#Ranga
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
दर्द
सोचती हूं कभी - कभी दर्द क्या है
जितना सोचूं उतना और अधिक दर्द होता है
लगता है दर्द को भी हमें दर्द देकर मजा आता है
कभी ना मिटने वाले जख्मों के होते हुए भी
नये नये जख्म देता है
इस दर्द के मारे मेरी सांसें रुक जाती हैं
मगर मजाल है जो दर्द की आह भी निकले
ना ये दर्द जान लेता है ना ही ज़ीने देता है
बार - बार कहता है
जीना तो तुम्हें होगा ही वो भी दर्द के साथ
#पंछी 🕊️
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To be continue...
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
सोचती हूं कभी - कभी दर्द क्या है
जितना सोचूं उतना और अधिक दर्द होता है
लगता है दर्द को भी हमें दर्द देकर मजा आता है
कभी ना मिटने वाले जख्मों के होते हुए भी
नये नये जख्म देता है
इस दर्द के मारे मेरी सांसें रुक जाती हैं
मगर मजाल है जो दर्द की आह भी निकले
ना ये दर्द जान लेता है ना ही ज़ीने देता है
बार - बार कहता है
जीना तो तुम्हें होगा ही वो भी दर्द के साथ
#पंछी 🕊️
#review
To be continue...
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
गुलाबी होंठों की कविता
तेरे गुलाबी होंठों की लाली,
जैसे कोई कली मुस्कुराई हो,
तेरी हर मुस्कान में वो मिठास है,
जैसे फिजा में खुशबू समाई हो।
तेरी आँखों की गहराई में,
डूब जाने का जी चाहता है,
जैसे कोई अनजाना ख्वाब,
सच कर लेने का जी चाहता है।
तेरा रूप, तेरा यौवन,
चमकता है जैसे पूर्णिमा का चाँद,
हर अदा में बसी है जो शोखी,
वो मेरे दिल की राह में बिछाए फूलों का शामियाना है।
तेरी जुल्फों के घनेरे बादल,
छू लेने को यूं बेताब हैं,
तेरे चेहरे का नूर ऐसा,
जैसे बहारों में गुलाब हो खिल गया।
तेरी हर अंग की वो नफासत,
तेरी हर लम्हे की वो हसरत,
जो दिल की हर धड़कन में बस जाती है,
तेरी बाहों में खुद को खो जाने की ख्वाहिश लिए,
हर रात मेरी तन्हाई में उतर आती है।
तू यूं ही खामोशी से मुस्कुरा दे,
मुझे अपना मान ले बस एक बार,
तेरी हर सांस में बसा रहूं,
यही है मेरी मोहब्बत का इकरार।
बस तेरी हर नज़र में अपना अक्स देखूं,
तेरी धड़कन की सरगम में गुम हो जाऊं,
मेरा ये दिल, तेरे हुस्न की मूरत का दीवाना,
तू कह दे अपना, बस इतना चाहूं।
#sonooks
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
तेरे गुलाबी होंठों की लाली,
जैसे कोई कली मुस्कुराई हो,
तेरी हर मुस्कान में वो मिठास है,
जैसे फिजा में खुशबू समाई हो।
तेरी आँखों की गहराई में,
डूब जाने का जी चाहता है,
जैसे कोई अनजाना ख्वाब,
सच कर लेने का जी चाहता है।
तेरा रूप, तेरा यौवन,
चमकता है जैसे पूर्णिमा का चाँद,
हर अदा में बसी है जो शोखी,
वो मेरे दिल की राह में बिछाए फूलों का शामियाना है।
तेरी जुल्फों के घनेरे बादल,
छू लेने को यूं बेताब हैं,
तेरे चेहरे का नूर ऐसा,
जैसे बहारों में गुलाब हो खिल गया।
तेरी हर अंग की वो नफासत,
तेरी हर लम्हे की वो हसरत,
जो दिल की हर धड़कन में बस जाती है,
तेरी बाहों में खुद को खो जाने की ख्वाहिश लिए,
हर रात मेरी तन्हाई में उतर आती है।
तू यूं ही खामोशी से मुस्कुरा दे,
मुझे अपना मान ले बस एक बार,
तेरी हर सांस में बसा रहूं,
यही है मेरी मोहब्बत का इकरार।
बस तेरी हर नज़र में अपना अक्स देखूं,
तेरी धड़कन की सरगम में गुम हो जाऊं,
मेरा ये दिल, तेरे हुस्न की मूरत का दीवाना,
तू कह दे अपना, बस इतना चाहूं।
#sonooks
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
दीपों की लौ और सीमा का प्रहरी
दीप जल रहे हैं, हर घर में उजियारा,
पर सीमा पर खड़ा है वो, सच्चा रखवाला हमारा।
अभी-अभी बंधी थी उसकी जीवन से डोर,
पर देश की खातिर छोड़ा उसने अपना ही ठौर।
नववधू के संग मनाने थे सपनों के त्यौहार,
पर वतन की प्यास बुझाने को चुना उसने सीमा का द्वार।
रोशनियाँ तो उसने भी चाही थीं, अपने आँगन में,
पर आज वही रोशनी है उसकी बन्दूक के कानन में।
माँ ने थाल सजा रखा, दीपक है जलता,
पर बेटा दूर खड़ा, सीमा पर है पलता।
वो जानता है, उसकी इस कुर्बानी का मोल,
तभी तो हर दीये में जल रहा उसका ये जज़्बा अनमोल।
वो लौ जो यहाँ दीवाली में जल रही है,
उसके हौसले की क़समें भी उस लौ में पल रही है।
कहते हैं त्यौहार अपनों के संग ही सुहाते हैं,
पर वतन के इन रक्षकों के लिए, देश ही तो अपने कहलाते हैं।
दीपावली की रोशनी उसकी आँखों में भी झिलमिलाती है,
जब सोचता है कि उसकी रक्षा से उसकी धरती मुस्कराती है।
उसने कसम खाई है, लौटेगा एक दिन घर,
पर आज के लिए उसने चुनी है सीमा पर अपने फर्ज़ की डगर।
दीपक जलाएँ, पर उनकी कुर्बानी को भी याद रखें,
उनके बिना ये त्यौहार अधूरा है, ये सदा अपने दिल में बसाए रखें।
#sonooks
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
दीप जल रहे हैं, हर घर में उजियारा,
पर सीमा पर खड़ा है वो, सच्चा रखवाला हमारा।
अभी-अभी बंधी थी उसकी जीवन से डोर,
पर देश की खातिर छोड़ा उसने अपना ही ठौर।
नववधू के संग मनाने थे सपनों के त्यौहार,
पर वतन की प्यास बुझाने को चुना उसने सीमा का द्वार।
रोशनियाँ तो उसने भी चाही थीं, अपने आँगन में,
पर आज वही रोशनी है उसकी बन्दूक के कानन में।
माँ ने थाल सजा रखा, दीपक है जलता,
पर बेटा दूर खड़ा, सीमा पर है पलता।
वो जानता है, उसकी इस कुर्बानी का मोल,
तभी तो हर दीये में जल रहा उसका ये जज़्बा अनमोल।
वो लौ जो यहाँ दीवाली में जल रही है,
उसके हौसले की क़समें भी उस लौ में पल रही है।
कहते हैं त्यौहार अपनों के संग ही सुहाते हैं,
पर वतन के इन रक्षकों के लिए, देश ही तो अपने कहलाते हैं।
दीपावली की रोशनी उसकी आँखों में भी झिलमिलाती है,
जब सोचता है कि उसकी रक्षा से उसकी धरती मुस्कराती है।
उसने कसम खाई है, लौटेगा एक दिन घर,
पर आज के लिए उसने चुनी है सीमा पर अपने फर्ज़ की डगर।
दीपक जलाएँ, पर उनकी कुर्बानी को भी याद रखें,
उनके बिना ये त्यौहार अधूरा है, ये सदा अपने दिल में बसाए रखें।
#sonooks
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
गुलाबी होंठों की कविता
तेरे गुलाबी होंठों की लाली,
जैसे कोई कली मुस्कुराई हो,
तेरी हर मुस्कान में वो मिठास है,
जैसे फिजा में खुशबू समाई हो।
तेरी आँखों की गहराई में,
डूब जाने का जी चाहता है,
जैसे कोई अनजाना ख्वाब,
सच कर लेने का जी चाहता है।
तेरा रूप, तेरा यौवन,
चमकता है जैसे पूर्णिमा का चाँद,
हर अदा में बसी है जो शोखी,
वो मेरे दिल की राह में बिछाए फूलों का शामियाना है।
तेरी जुल्फों के घनेरे बादल,
छू लेने को यूं बेताब हैं,
तेरे चेहरे का नूर ऐसा,
जैसे बहारों में गुलाब हो खिल गया।
तेरी हर अंग की वो नफासत,
तेरी हर लम्हे की वो हसरत,
जो दिल की हर धड़कन में बस जाती है,
तेरी बाहों में खुद को खो जाने की ख्वाहिश लिए,
हर रात मेरी तन्हाई में उतर आती है।
तू यूं ही खामोशी से मुस्कुरा दे,
मुझे अपना मान ले बस एक बार,
तेरी हर सांस में बसा रहूं,
यही है मेरी मोहब्बत का इकरार।
बस तेरी हर नज़र में अपना अक्स देखूं,
तेरी धड़कन की सरगम में गुम हो जाऊं,
मेरा ये दिल, तेरे हुस्न की मूरत का दीवाना,
तू कह दे अपना, बस इतना चाहूं।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
तेरे गुलाबी होंठों की लाली,
जैसे कोई कली मुस्कुराई हो,
तेरी हर मुस्कान में वो मिठास है,
जैसे फिजा में खुशबू समाई हो।
तेरी आँखों की गहराई में,
डूब जाने का जी चाहता है,
जैसे कोई अनजाना ख्वाब,
सच कर लेने का जी चाहता है।
तेरा रूप, तेरा यौवन,
चमकता है जैसे पूर्णिमा का चाँद,
हर अदा में बसी है जो शोखी,
वो मेरे दिल की राह में बिछाए फूलों का शामियाना है।
तेरी जुल्फों के घनेरे बादल,
छू लेने को यूं बेताब हैं,
तेरे चेहरे का नूर ऐसा,
जैसे बहारों में गुलाब हो खिल गया।
तेरी हर अंग की वो नफासत,
तेरी हर लम्हे की वो हसरत,
जो दिल की हर धड़कन में बस जाती है,
तेरी बाहों में खुद को खो जाने की ख्वाहिश लिए,
हर रात मेरी तन्हाई में उतर आती है।
तू यूं ही खामोशी से मुस्कुरा दे,
मुझे अपना मान ले बस एक बार,
तेरी हर सांस में बसा रहूं,
यही है मेरी मोहब्बत का इकरार।
बस तेरी हर नज़र में अपना अक्स देखूं,
तेरी धड़कन की सरगम में गुम हो जाऊं,
मेरा ये दिल, तेरे हुस्न की मूरत का दीवाना,
तू कह दे अपना, बस इतना चाहूं।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
दीपों की लौ और सीमा का प्रहरी
दीप जल रहे हैं, हर घर में उजियारा,
पर सीमा पर खड़ा है वो, सच्चा रखवाला हमारा।
अभी-अभी बंधी थी उसकी जीवन से डोर,
पर देश की खातिर छोड़ा उसने अपना ही ठौर।
नववधू के संग मनाने थे सपनों के त्यौहार,
पर वतन की प्यास बुझाने को चुना उसने सीमा का द्वार।
रोशनियाँ तो उसने भी चाही थीं, अपने आँगन में,
पर आज वही रोशनी है उसकी बन्दूक के कानन में।
माँ ने थाल सजा रखा, दीपक है जलता,
पर बेटा दूर खड़ा, सीमा पर है पलता।
वो जानता है, उसकी इस कुर्बानी का मोल,
तभी तो हर दीये में जल रहा उसका ये जज़्बा अनमोल।
वो लौ जो यहाँ दीवाली में जल रही है,
उसके हौसले की क़समें भी उस लौ में पल रही है।
कहते हैं त्यौहार अपनों के संग ही सुहाते हैं,
पर वतन के इन रक्षकों के लिए, देश ही तो अपने कहलाते हैं।
दीपावली की रोशनी उसकी आँखों में भी झिलमिलाती है,
जब सोचता है कि उसकी रक्षा से उसकी धरती मुस्कराती है।
उसने कसम खाई है, लौटेगा एक दिन घर,
पर आज के लिए उसने चुनी है सीमा पर अपने फर्ज़ की डगर।
दीपक जलाएँ, पर उनकी कुर्बानी को भी याद रखें,
उनके बिना ये त्यौहार अधूरा है, ये सदा अपने दिल में बसाए रखें।
#sonooks
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
दीप जल रहे हैं, हर घर में उजियारा,
पर सीमा पर खड़ा है वो, सच्चा रखवाला हमारा।
अभी-अभी बंधी थी उसकी जीवन से डोर,
पर देश की खातिर छोड़ा उसने अपना ही ठौर।
नववधू के संग मनाने थे सपनों के त्यौहार,
पर वतन की प्यास बुझाने को चुना उसने सीमा का द्वार।
रोशनियाँ तो उसने भी चाही थीं, अपने आँगन में,
पर आज वही रोशनी है उसकी बन्दूक के कानन में।
माँ ने थाल सजा रखा, दीपक है जलता,
पर बेटा दूर खड़ा, सीमा पर है पलता।
वो जानता है, उसकी इस कुर्बानी का मोल,
तभी तो हर दीये में जल रहा उसका ये जज़्बा अनमोल।
वो लौ जो यहाँ दीवाली में जल रही है,
उसके हौसले की क़समें भी उस लौ में पल रही है।
कहते हैं त्यौहार अपनों के संग ही सुहाते हैं,
पर वतन के इन रक्षकों के लिए, देश ही तो अपने कहलाते हैं।
दीपावली की रोशनी उसकी आँखों में भी झिलमिलाती है,
जब सोचता है कि उसकी रक्षा से उसकी धरती मुस्कराती है।
उसने कसम खाई है, लौटेगा एक दिन घर,
पर आज के लिए उसने चुनी है सीमा पर अपने फर्ज़ की डगर।
दीपक जलाएँ, पर उनकी कुर्बानी को भी याद रखें,
उनके बिना ये त्यौहार अधूरा है, ये सदा अपने दिल में बसाए रखें।
#sonooks
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
जो प्रत्यक्ष न बिका
वो अप्रत्यक्ष हो के बिक जाएगा
जो अनमोल है हीरा
तोड़कर उसे
उसका भी मोल लगा दिया जाएगा
नफ़रत दुश्मनी में जो न हारा
प्रेम की क़ीमत में
वो भी बिक जाएगा
ज़मीर है जिसका अटल
भावनाओं की आड़ में
उसे भी ख़रीदा जाएगा
कुछ लालच में बिकेंगे
कुछ की बोली
डरा धमका के लगाई जाएगी
बिकता है सबकुछ यहांँ
बस क़ीमत हर किसी को
अलग अलग भाएगी
बस हुनर है जो तुझमें ख़रीदने का
तुझे दुनिया
कौड़ियों के भाव मिल जाएगी
#अB
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
वो अप्रत्यक्ष हो के बिक जाएगा
जो अनमोल है हीरा
तोड़कर उसे
उसका भी मोल लगा दिया जाएगा
नफ़रत दुश्मनी में जो न हारा
प्रेम की क़ीमत में
वो भी बिक जाएगा
ज़मीर है जिसका अटल
भावनाओं की आड़ में
उसे भी ख़रीदा जाएगा
कुछ लालच में बिकेंगे
कुछ की बोली
डरा धमका के लगाई जाएगी
बिकता है सबकुछ यहांँ
बस क़ीमत हर किसी को
अलग अलग भाएगी
बस हुनर है जो तुझमें ख़रीदने का
तुझे दुनिया
कौड़ियों के भाव मिल जाएगी
#अB
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
हर इक मकाँ में जला फिर दिया दिवाली का
हर इक तरफ़ को उजाला हुआ दिवाली का
सभी के दिल में समाँ भा गया दिवाली का
किसी के दिल को मज़ा ख़ुश लगा दिवाली का
अजब बहार का है दिन बना दिवाली का
जहाँ में यारो अजब तरह का है ये त्यौहार
किसी ने नक़्द लिया और कोई करे है उधार
खिलौने खेलों बताशों का गर्म है बाज़ार
हर इक दुकाँ में चराग़ों की हो रही है बहार
सभों को फ़िक्र है अब जा-ब-जा दिवाली का मिठाइयों की दुकानें लगा के हलवाई
पुकारते हैं कि लाला दिवाली है आई
बताशे ले कोई बर्फ़ी किसी ने तुलवाई
खिलौने वालों की उन से ज़ियादा बन आई
गोया उन्हों के वाँ राज आ गया दिवाली का
~Nazeer Akbarabadi
#HappyDiwali🎆🧨
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
हर इक तरफ़ को उजाला हुआ दिवाली का
सभी के दिल में समाँ भा गया दिवाली का
किसी के दिल को मज़ा ख़ुश लगा दिवाली का
अजब बहार का है दिन बना दिवाली का
जहाँ में यारो अजब तरह का है ये त्यौहार
किसी ने नक़्द लिया और कोई करे है उधार
खिलौने खेलों बताशों का गर्म है बाज़ार
हर इक दुकाँ में चराग़ों की हो रही है बहार
सभों को फ़िक्र है अब जा-ब-जा दिवाली का मिठाइयों की दुकानें लगा के हलवाई
पुकारते हैं कि लाला दिवाली है आई
बताशे ले कोई बर्फ़ी किसी ने तुलवाई
खिलौने वालों की उन से ज़ियादा बन आई
गोया उन्हों के वाँ राज आ गया दिवाली का
~Nazeer Akbarabadi
#HappyDiwali🎆🧨
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
अपने होठों पे तबस्सुम को सजा कर रखिए
दिल का हर दर्द,ज़माने से छुपा कर रखिए
कौन है किसका यहां,हैं नहीं हमराज कोई
राज़ को राज़ के मालिक,बचा कर रखिए
हम तो आंखो में लिखा,आखों से पढ़ लेते हैं
हमसे मिलिए,तो निगाहों को झुका कर रखिए
लोग आएंगे बहोत, छोड़ के जायेंगे बहोत
हर किसी को न कलेजे से लगा कर रखिए
कब तलक रोते रहेंगे शब-ए-तन्हाई में
एक नई सुबह की उम्मीद जगा कर रखिए
दो क़दम साथ भीं चलता नहीं मुस्किल में कोई
राब्ता सबसे,बहरहाल बना कर रखिए
#ᴀʟᴏɴᴇ ᴡᴀʟᴋᴇʀ
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
दिल का हर दर्द,ज़माने से छुपा कर रखिए
कौन है किसका यहां,हैं नहीं हमराज कोई
राज़ को राज़ के मालिक,बचा कर रखिए
हम तो आंखो में लिखा,आखों से पढ़ लेते हैं
हमसे मिलिए,तो निगाहों को झुका कर रखिए
लोग आएंगे बहोत, छोड़ के जायेंगे बहोत
हर किसी को न कलेजे से लगा कर रखिए
कब तलक रोते रहेंगे शब-ए-तन्हाई में
एक नई सुबह की उम्मीद जगा कर रखिए
दो क़दम साथ भीं चलता नहीं मुस्किल में कोई
राब्ता सबसे,बहरहाल बना कर रखिए
#ᴀʟᴏɴᴇ ᴡᴀʟᴋᴇʀ
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कैसे कैसे दिन देखे हैं हमने तेरी यारी में..
उम्र सारी बिता दी गम की चार दिवारी में।
रोना रातों को और मुस्कुराना दिन को..
ऐसे ऐसे ढोंग किए हैं हमने दुनिया दारी में।
न आखों में आसू न गई हसी होठों से..
न छुपा पाया कोई गम हमको तेरी सरदारी में।
फिर तुम ऐसे गए जिंदगी से मेरी जैसी कोई..
चला जाता है छोड़कर किसी को बेकारी में।
आज फिर उदास कर गई तेरी याद हमको..
पढ़े जब खत जो छुपा के रखे थे अलमारी में।
#ᴀʟᴏɴᴇ ᴡᴀʟᴋᴇʀ
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
उम्र सारी बिता दी गम की चार दिवारी में।
रोना रातों को और मुस्कुराना दिन को..
ऐसे ऐसे ढोंग किए हैं हमने दुनिया दारी में।
न आखों में आसू न गई हसी होठों से..
न छुपा पाया कोई गम हमको तेरी सरदारी में।
फिर तुम ऐसे गए जिंदगी से मेरी जैसी कोई..
चला जाता है छोड़कर किसी को बेकारी में।
आज फिर उदास कर गई तेरी याद हमको..
पढ़े जब खत जो छुपा के रखे थे अलमारी में।
#ᴀʟᴏɴᴇ ᴡᴀʟᴋᴇʀ
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
पतवार छेठे गंगा तो नौका पार लगे
उ जो छेठे डमरू तो दरिया पार लगे
#review
#Banarasiya 🥀
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
उ जो छेठे डमरू तो दरिया पार लगे
#review
#Banarasiya 🥀
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
पतवार छेठे गंगा तो नौका पार लगे
उ जो छेठे डमरू तो दरिया पार लगे
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#Banarasiya 🥀
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
उ जो छेठे डमरू तो दरिया पार लगे
#review
#Banarasiya 🥀
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
बिखरे फूलों को पलकों से उठाने को कहो
ये जो नाराज़ हो तो, खुशबू बिखर जाएंगे,
जाम इन होंठो से और पिलाने को कहो
होश आया तो, फिर नशा उतर जायेंगे ।
#Parveen
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
ये जो नाराज़ हो तो, खुशबू बिखर जाएंगे,
जाम इन होंठो से और पिलाने को कहो
होश आया तो, फिर नशा उतर जायेंगे ।
#Parveen
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
A reminder 😊
कुछ लोग निराले होते हैं
वो भूख के पाले होते हैं
दिन भर भागा करते हैं
रातों को जागा करते हैं
वो चाँद निहारा करते हैं
पानी पी गुज़ारा करते हैं
फिर भी मेहनत करते हैं
खुद की इज्जत करते हैं
उनकी भी दीवाली है देखो
कुटिया न उजाली है देखो
फिर भी मुख पर मुस्कान लिए
तुम्हें देख रहे अरमान लिए
तुम उनको दान नहीं करना
उनका अपमान नहीं करना
ऊँची दुकानों से ही सब
मत ले आना दीवाली मे
उनके घर को न भूलना तुम
अपने घर की खुशहाली मे
वो दीपक सस्ते बेचते हैं
वो झालर अच्छे बेचते हैं
कुछ बूढ़ी औरतें बैठी हैं
कुछ छोटे बच्चे बेचते हैं
जो मन न भाये तब भी तुम
प्यार से आगे बढ़ जाना
उनको उनकी मेहनत की
कीमत तुम न बतलाना
फिर देखना सस्ती चीजों से
कैसी उजियाली होती है
वो जो सड़को पर बैठे हैं
उनकी भी दीवाली होती है
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कुछ लोग निराले होते हैं
वो भूख के पाले होते हैं
दिन भर भागा करते हैं
रातों को जागा करते हैं
वो चाँद निहारा करते हैं
पानी पी गुज़ारा करते हैं
फिर भी मेहनत करते हैं
खुद की इज्जत करते हैं
उनकी भी दीवाली है देखो
कुटिया न उजाली है देखो
फिर भी मुख पर मुस्कान लिए
तुम्हें देख रहे अरमान लिए
तुम उनको दान नहीं करना
उनका अपमान नहीं करना
ऊँची दुकानों से ही सब
मत ले आना दीवाली मे
उनके घर को न भूलना तुम
अपने घर की खुशहाली मे
वो दीपक सस्ते बेचते हैं
वो झालर अच्छे बेचते हैं
कुछ बूढ़ी औरतें बैठी हैं
कुछ छोटे बच्चे बेचते हैं
जो मन न भाये तब भी तुम
प्यार से आगे बढ़ जाना
उनको उनकी मेहनत की
कीमत तुम न बतलाना
फिर देखना सस्ती चीजों से
कैसी उजियाली होती है
वो जो सड़को पर बैठे हैं
उनकी भी दीवाली होती है
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