कभी मंज़िल कभी रास्ता कभी सफ़र बन के
वो खड़ा था हर मोड़ पे शजर बन के..
चलो फिर से लौट चलें उन्हीं गलियों में
जहां मिला था मुझसे वो मोहब्बत बन के..
उसे लफ्ज़ लफ्ज़ लिखा हैं मैंने दोस्तों
वो उतरा हैं मेरी रचनाओं में ग़ज़ल बन के..
आती हैं आज भी उसकी महक मुझसे
वो एक रात मिला था मुझसे बदन बन के..
बड़े याद आते हैं मुझको वो नन्हें पल
जो कभी आए थे मेरी ज़िंदगी में बचपन बन के ..
#ᴀʟᴏɴᴇ ᴡᴀʟᴋᴇʀ
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
वो खड़ा था हर मोड़ पे शजर बन के..
चलो फिर से लौट चलें उन्हीं गलियों में
जहां मिला था मुझसे वो मोहब्बत बन के..
उसे लफ्ज़ लफ्ज़ लिखा हैं मैंने दोस्तों
वो उतरा हैं मेरी रचनाओं में ग़ज़ल बन के..
आती हैं आज भी उसकी महक मुझसे
वो एक रात मिला था मुझसे बदन बन के..
बड़े याद आते हैं मुझको वो नन्हें पल
जो कभी आए थे मेरी ज़िंदगी में बचपन बन के ..
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
लौट कर फिर से आए हो
तुम तो चले गए थे ना ?
हाल फिर से पूछा हैं
पर हम तो बिछड़ गए थे ना ?
मेरे हो ये कहते हो
पर तुम तो मुकर गए थे ना ?
क्या फायदा पछतावे का
अब हम तो बिखर गए थे ना ?
#ᴀʟᴏɴᴇ ᴡᴀʟᴋᴇʀ
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तुम तो चले गए थे ना ?
हाल फिर से पूछा हैं
पर हम तो बिछड़ गए थे ना ?
मेरे हो ये कहते हो
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अब हम तो बिखर गए थे ना ?
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
अपने होठों पे तबस्सुम को सजा कर रखिए
दिल का हर दर्द,ज़माने से छुपा कर रखिए
कौन है किसका यहां,हैं नहीं हमराज कोई
राज़ को राज़ के मालिक,बचा कर रखिए
हम तो आंखो में लिखा,आखों से पढ़ लेते हैं
हमसे मिलिए,तो निगाहों को झुका कर रखिए
लोग आएंगे बहोत, छोड़ के जायेंगे बहोत
हर किसी को न कलेजे से लगा कर रखिए
कब तलक रोते रहेंगे शब-ए-तन्हाई में
एक नई सुबह की उम्मीद जगा कर रखिए
दो क़दम साथ भीं चलता नहीं मुस्किल में कोई
राब्ता सबसे,बहरहाल बना कर रखिए
#ᴀʟᴏɴᴇ ᴡᴀʟᴋᴇʀ
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दिल का हर दर्द,ज़माने से छुपा कर रखिए
कौन है किसका यहां,हैं नहीं हमराज कोई
राज़ को राज़ के मालिक,बचा कर रखिए
हम तो आंखो में लिखा,आखों से पढ़ लेते हैं
हमसे मिलिए,तो निगाहों को झुका कर रखिए
लोग आएंगे बहोत, छोड़ के जायेंगे बहोत
हर किसी को न कलेजे से लगा कर रखिए
कब तलक रोते रहेंगे शब-ए-तन्हाई में
एक नई सुबह की उम्मीद जगा कर रखिए
दो क़दम साथ भीं चलता नहीं मुस्किल में कोई
राब्ता सबसे,बहरहाल बना कर रखिए
#ᴀʟᴏɴᴇ ᴡᴀʟᴋᴇʀ
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कैसे कैसे दिन देखे हैं हमने तेरी यारी में..
उम्र सारी बिता दी गम की चार दिवारी में।
रोना रातों को और मुस्कुराना दिन को..
ऐसे ऐसे ढोंग किए हैं हमने दुनिया दारी में।
न आखों में आसू न गई हसी होठों से..
न छुपा पाया कोई गम हमको तेरी सरदारी में।
फिर तुम ऐसे गए जिंदगी से मेरी जैसी कोई..
चला जाता है छोड़कर किसी को बेकारी में।
आज फिर उदास कर गई तेरी याद हमको..
पढ़े जब खत जो छुपा के रखे थे अलमारी में।
#ᴀʟᴏɴᴇ ᴡᴀʟᴋᴇʀ
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उम्र सारी बिता दी गम की चार दिवारी में।
रोना रातों को और मुस्कुराना दिन को..
ऐसे ऐसे ढोंग किए हैं हमने दुनिया दारी में।
न आखों में आसू न गई हसी होठों से..
न छुपा पाया कोई गम हमको तेरी सरदारी में।
फिर तुम ऐसे गए जिंदगी से मेरी जैसी कोई..
चला जाता है छोड़कर किसी को बेकारी में।
आज फिर उदास कर गई तेरी याद हमको..
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यहां आए हैं आशिक़ हजारों सनम..
एक तेरा ही चेहरा बेवफ़ा हो गया।।
#ᴀʟᴏɴᴇ ᴡᴀʟᴋᴇʀ
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एक तेरा ही चेहरा बेवफ़ा हो गया।।
#ᴀʟᴏɴᴇ ᴡᴀʟᴋᴇʀ
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
अश्कों के साथ ख़ुद को दिन रात बहाया हैं
मोहब्बत करने का कर्ज़ मैंने भीं चुकाया हैं..
उठाया हैं मैंने बदनामी का बोझ अकेले ही
पर तेरा नाम किसी को न बताया हैं..
ग़ज़ल बनकर गम निकला मेरे लबों से
आंसू बनकर दर्द आंखो में उतर आया हैं..
अकेला तू ही नहीं चला कांच के रास्तों पर
इन रास्तों पे मैंने भीं अपना लहू बहाया हैं..
तेरे बाद महफिलों से रहने लगा हूं दूर मैं
और तन्हाइयों से एक नया रिश्ता बनाया हैं..
गुजरता हूं जब भी अपनी गांव की गलियों से
तो कसम से दोस्त तू याद बहोत आया हैं..
#ᴀʟᴏɴᴇ ᴡᴀʟᴋᴇʀ
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मोहब्बत करने का कर्ज़ मैंने भीं चुकाया हैं..
उठाया हैं मैंने बदनामी का बोझ अकेले ही
पर तेरा नाम किसी को न बताया हैं..
ग़ज़ल बनकर गम निकला मेरे लबों से
आंसू बनकर दर्द आंखो में उतर आया हैं..
अकेला तू ही नहीं चला कांच के रास्तों पर
इन रास्तों पे मैंने भीं अपना लहू बहाया हैं..
तेरे बाद महफिलों से रहने लगा हूं दूर मैं
और तन्हाइयों से एक नया रिश्ता बनाया हैं..
गुजरता हूं जब भी अपनी गांव की गलियों से
तो कसम से दोस्त तू याद बहोत आया हैं..
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एक तेरा ही चेहरा बेवफ़ा हो गया।।
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