Hindi/Urdu Poems
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गुलाबी होंठों की कविता

तेरे गुलाबी होंठों की लाली,
जैसे कोई कली मुस्कुराई हो,
तेरी हर मुस्कान में वो मिठास है,
जैसे फिजा में खुशबू समाई हो।

तेरी आँखों की गहराई में,
डूब जाने का जी चाहता है,
जैसे कोई अनजाना ख्वाब,
सच कर लेने का जी चाहता है।

तेरा रूप, तेरा यौवन,
चमकता है जैसे पूर्णिमा का चाँद,
हर अदा में बसी है जो शोखी,
वो मेरे दिल की राह में बिछाए फूलों का शामियाना है।

तेरी जुल्फों के घनेरे बादल,
छू लेने को यूं बेताब हैं,
तेरे चेहरे का नूर ऐसा,
जैसे बहारों में गुलाब हो खिल गया।

तेरी हर अंग की वो नफासत,
तेरी हर लम्हे की वो हसरत,
जो दिल की हर धड़कन में बस जाती है,
तेरी बाहों में खुद को खो जाने की ख्वाहिश लिए,
हर रात मेरी तन्हाई में उतर आती है।

तू यूं ही खामोशी से मुस्कुरा दे,
मुझे अपना मान ले बस एक बार,
तेरी हर सांस में बसा रहूं,
यही है मेरी मोहब्बत का इकरार।

बस तेरी हर नज़र में अपना अक्स देखूं,
तेरी धड़कन की सरगम में गुम हो जाऊं,
मेरा ये दिल, तेरे हुस्न की मूरत का दीवाना,
तू कह दे अपना, बस इतना चाहूं।

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
दीपों की लौ और सीमा का प्रहरी

दीप जल रहे हैं, हर घर में उजियारा,
पर सीमा पर खड़ा है वो, सच्चा रखवाला हमारा।
अभी-अभी बंधी थी उसकी जीवन से डोर,
पर देश की खातिर छोड़ा उसने अपना ही ठौर।

नववधू के संग मनाने थे सपनों के त्यौहार,
पर वतन की प्यास बुझाने को चुना उसने सीमा का द्वार।
रोशनियाँ तो उसने भी चाही थीं, अपने आँगन में,
पर आज वही रोशनी है उसकी बन्दूक के कानन में।

माँ ने थाल सजा रखा, दीपक है जलता,
पर बेटा दूर खड़ा, सीमा पर है पलता।
वो जानता है, उसकी इस कुर्बानी का मोल,
तभी तो हर दीये में जल रहा उसका ये जज़्बा अनमोल।

वो लौ जो यहाँ दीवाली में जल रही है,
उसके हौसले की क़समें भी उस लौ में पल रही है।
कहते हैं त्यौहार अपनों के संग ही सुहाते हैं,
पर वतन के इन रक्षकों के लिए, देश ही तो अपने कहलाते हैं।

दीपावली की रोशनी उसकी आँखों में भी झिलमिलाती है,
जब सोचता है कि उसकी रक्षा से उसकी धरती मुस्कराती है।
उसने कसम खाई है, लौटेगा एक दिन घर,
पर आज के लिए उसने चुनी है सीमा पर अपने फर्ज़ की डगर।

दीपक जलाएँ, पर उनकी कुर्बानी को भी याद रखें,
उनके बिना ये त्यौहार अधूरा है, ये सदा अपने दिल में बसाए रखें।

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
गुलाबी होंठों की कविता

तेरे गुलाबी होंठों की लाली,
जैसे कोई कली मुस्कुराई हो,
तेरी हर मुस्कान में वो मिठास है,
जैसे फिजा में खुशबू समाई हो।

तेरी आँखों की गहराई में,
डूब जाने का जी चाहता है,
जैसे कोई अनजाना ख्वाब,
सच कर लेने का जी चाहता है।

तेरा रूप, तेरा यौवन,
चमकता है जैसे पूर्णिमा का चाँद,
हर अदा में बसी है जो शोखी,
वो मेरे दिल की राह में बिछाए फूलों का शामियाना है।

तेरी जुल्फों के घनेरे बादल,
छू लेने को यूं बेताब हैं,
तेरे चेहरे का नूर ऐसा,
जैसे बहारों में गुलाब हो खिल गया।

तेरी हर अंग की वो नफासत,
तेरी हर लम्हे की वो हसरत,
जो दिल की हर धड़कन में बस जाती है,
तेरी बाहों में खुद को खो जाने की ख्वाहिश लिए,
हर रात मेरी तन्हाई में उतर आती है।

तू यूं ही खामोशी से मुस्कुरा दे,
मुझे अपना मान ले बस एक बार,
तेरी हर सांस में बसा रहूं,
यही है मेरी मोहब्बत का इकरार।

बस तेरी हर नज़र में अपना अक्स देखूं,
तेरी धड़कन की सरगम में गुम हो जाऊं,
मेरा ये दिल, तेरे हुस्न की मूरत का दीवाना,
तू कह दे अपना, बस इतना चाहूं।

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दीपों की लौ और सीमा का प्रहरी

दीप जल रहे हैं, हर घर में उजियारा,
पर सीमा पर खड़ा है वो, सच्चा रखवाला हमारा।
अभी-अभी बंधी थी उसकी जीवन से डोर,
पर देश की खातिर छोड़ा उसने अपना ही ठौर।

नववधू के संग मनाने थे सपनों के त्यौहार,
पर वतन की प्यास बुझाने को चुना उसने सीमा का द्वार।
रोशनियाँ तो उसने भी चाही थीं, अपने आँगन में,
पर आज वही रोशनी है उसकी बन्दूक के कानन में।

माँ ने थाल सजा रखा, दीपक है जलता,
पर बेटा दूर खड़ा, सीमा पर है पलता।
वो जानता है, उसकी इस कुर्बानी का मोल,
तभी तो हर दीये में जल रहा उसका ये जज़्बा अनमोल।

वो लौ जो यहाँ दीवाली में जल रही है,
उसके हौसले की क़समें भी उस लौ में पल रही है।
कहते हैं त्यौहार अपनों के संग ही सुहाते हैं,
पर वतन के इन रक्षकों के लिए, देश ही तो अपने कहलाते हैं।

दीपावली की रोशनी उसकी आँखों में भी झिलमिलाती है,
जब सोचता है कि उसकी रक्षा से उसकी धरती मुस्कराती है।
उसने कसम खाई है, लौटेगा एक दिन घर,
पर आज के लिए उसने चुनी है सीमा पर अपने फर्ज़ की डगर।

दीपक जलाएँ, पर उनकी कुर्बानी को भी याद रखें,
उनके बिना ये त्यौहार अधूरा है, ये सदा अपने दिल में बसाए रखें।

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
Shayri For Freshers party

"Chand ko dekha toh aap ki yaad aayi,
Dil se ye dua ki aap saath aaye,
Jab tak hai yeh zindagi,
Har waqt aapki muskaan ke saath aaye."
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