Hindi/Urdu Poems
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Hindi/Urdu Poetry Collection.
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|| प्रेम शब्द ||

ये प्रेम शब्द है बड़ा निराला,
जिसे समझकर मीरा ने पहनी जोगन की माला |
सब कुछ छोड़ चली वह प्रभु के धाम,
लेकर ह्रदय में गिरिधर का नाम |
साथ लेकर चली कुछ नहीं ,
बस थे गिरधर उसके संग ,
उसकी बेरंग दुनिया को गिरधर ने दिया प्रेम का रंग |

न जाने कितने राजपूत जीते, न जाने कितने हारे,
युद्ध में ना जाने कितने गए होंगे मारे |
न ही किसी को याद उनका नाम और न ही पहचान ,
बस गिरधर की मीरा ही बनी राजपूतों की शान ||

~ राधिका


#radhika
#promote
#review
जमाना बदल रहा है

कभी वह भी दिन थे ,
जब सब एक घर में थे रहते।
साथ खेलते और साथ रोते ,
चाचा-ताऊ ,दादा - दादी से भरा होता था परिवार। आज जाने क्यों बन गए यह सब बवाल।
अगर किसी से पूछो ये सब क्या हो रहा है ?,
तो हर कोई यही कह रहा है कि ,
जमाना बदल रहा है ।।

पहले वह भी दिन थे जब सुबह उठकर होता था स्नान, आजकल तो व्हाट्सएप पर पहले भेजा जाता है पणाम।
अब ऑनलाइन जमाना इतना है भाता की,
ऑफलाइन जमाने में वह मजा नहीं आता।
अगर किसी से पूछो ये सब क्या हो रहा है ?,
तो हर कोई यही कह रहा है कि ,
जमाना बदल रहा है ।।
पहले खिलौने कम थे ,
पर खेलने वाले ज्यादा हुआ करते थे।
किताबे कम थी ,
फिर भी ज्ञान का भंडार हुआ करता था।
आज सब उलट सा हो रहा है ,
खिलौने तो बहुत है पर यार नहीं मिल रहे हैं,
किताबें तो बहुत है पर ज्ञान नहीं मिल रहा है ।
अगर किसी से पूछो ये सब क्या हो रहा है ?,
तो हर कोई यही कह रहा है कि ,
जमाना बदल रहा है ।।
#radhika

#review #promote
Kitni ajib hoti h n ye mohabbat ki dastaan,
Kaate dikhne ke bavjood pyara lagta h iska raasta,
Kitni bhi jii bhar ke karlo, par man nahi bharta isse.
Aur usse dhire - dhire badta chala jaata hmara rabta.


#radhika #review #promote
कहते हैं निस्वार्थ प्रेम माँ ही अपने बच्चे से कर सकती है,
राधा कृष्ण ने ये बता बतला दी की सच्चा प्रेम करने के लिए माँ बनना जरूरी नहीं बस निस्वार्थ ह्रदय चाहिए।

Radhe radhe 🙏🙏🙏

#radhika #review
Jaana chahte h hm sabse duur,

Lagta h aisa ki jidangi se khatam sa hogya noor,

Jo pyaar karte the hmse na jaane kaise bdal gye vo ek dam ,

R hmari jindangi ho gyi unke jaane se bilkul nam.


#radhika
#review #promote
Hr insaan nahi hota h bura,

Yakin n hi to lelo chahe naap.

Chinta mt karo hr koi nahi katega aapko bnke saap

#radhika

#review
सब कुछ छोड़ चली प्रभुधाम..
भज हृदय में गिरिधर नाम..
कुछ भी नहीं हाथ था उसके
कृष्ण प्रेम बस साथ था उसके..
प्रीत जहाँ पर नहीं रहे,वह दुनियाँ है बेरंग
माखनचोर प्रेम में वो अब, रंगी अजब-सी रंग..
जीवन-नाव को मिला किनारा,जीवन का पतवार संभाला..

ये प्रेम शब्द है बड़ा निराला..
जिसने माँ मीरा को तारा


#radhika
#review
#colab
|| प्रेम अर्थ ||

क्या से क्या बन गया है प्रेम आज,

अब तकरार की वजह बन गई है दो प्रेमियों के बीच का राज |

सच्चे प्रेम का अर्थ तो समझा गए थे कृष्ण और राधा ,

पर हम समझ सके आजतक इस सच को आधा |

दूर रहकर भी राधा कृष्ण थे एक दूसरे के पास ,

और आज हम लोग साथ रहकर भी छोड़ देते हैं एक दूसरे की आस ||



#radhika #review #promote
|| वो बाप कहलाता है ||


जो कुछ ना बोल कर बोल कर भी बहुत कुछ बोल जाता है,
जो अपनी खुशी मारकर अपने बच्चों की खुशियों को पहले लाता है,
वो बाप कहलाता है ||

डांट तो देता है वह अपने लाल को,
जो अपने बच्चों के खातिर दिल में पत्थर रखकर चलता है सख्त चाल को ,
वो बाप कहलाता है ||

जिसका प्यार छिपा होता है गुस्से के पीछे ,
आता उसका नाम प्रेम में फिर क्यों मां के नीचे ?,
फिर भी वह बिन कहे सब कुछ कर जाता है,
वो बाप कहलाता है |
वो बाप के कहलाता है ||

~ राधिका


#radhika
#review #promote
|| वो पिता कहलाता है ||


जो कुछ ना बोल कर बोल कर भी बहुत कुछ बोल जाता है,
जो अपनी खुशी मारकर अपने बच्चों की खुशियों को पहले लाता है,
वो पिता कहलाता है ||

डांट तो देता है वह अपने लाल को,
जो अपने बच्चों के खातिर दिल में पत्थर रखकर चलता है सख्त चाल को ,
वो पिता कहलाता है ||

जिसका प्यार छिपा होता है गुस्से के पीछे ,
आता उसका नाम प्रेम में फिर क्यों मां के नीचे ?,
फिर भी वह बिन कहे सब कुछ कर जाता है,
वो पिता कहलाता है |
वो पिता के कहलाता है ||

~ राधिका


#radhika
#review #promote
||💕 कृष्ण स्वप्न 💕||

नहीं भूल पाऊंगी मैं वह शाम ,
जिसमें गिरधर का ले रही थी मैं नाम |
अचानक जाने कैसा चमत्कार हो गया,
मेरा कुछ क्षण के लिए मानो सोया हुआ भाग्य ही खुल गया |
चारों तरफ अंधेरी रात छा गयी,
तभी एक तेज रोशनी आई ;
जिससे मैं उस अनंत सुख को पा गयी ,
शब्दों में नहीं बयां कर सकती मैं उसके बाद के सुखद अहसास को ,
वह पल था मानों जैसे मैंने जी लिया हो रास को |
क्योंकि कान्हा के हाथ को अपने माथे पर मैं महसूस कर पा रही थी ,
मेरी आत्मा मानो कृष्ण में समाय जा रही थी |
फिर कान्हा ने मेरे हाथ को प्यार से छुआ ,
मानो लग रहा था जैसे दे रहे हो मुझे वह अपने प्रेम की दुआ |
उसके बाद मेरे पैरों से उन्होंने अपने पैर मिलाएं बड़े प्यार से ,
लग रहा था जैसे मिल रही थी मैं उस क्षण अपने गिरधर के दुलार से |
इतना सारा कृष्ण प्रेम को मैंने देखा पहली बार था,
डर गई थी उस पल मैं क्योंकि मेरे लिए वह सब एक अनोखा सार था |
समझ नहीं पा रही थी मैं कि यह क्या हो रहा है साथ मेरे,
डर के मारे छोड़ दिया वह सपना जिसमें थी मैं नाथ ! साथ तेरे |
दुख अभी भी है मुझे उस अधूरे सपने का ,
दोबारा जीना चाहती हूं उस पल को मैं जिसमें एहसास था मेरे किसी अपने का ||

~ राधिका

#radhika
#review
दुख छिपाते हो आप अपने हंसते हुए चेहरे के पीछे ,
अपनी खुशियों को रखते हो आप अपने बच्चों की ख्वाहिशों के नीचे |
मेहनत की आप महान सूरत हो ,
पापा आप ही मेरी प्रेरणा की मूरत हो |
अंधकार भरे जीवन में आप हो जैसे उजाला ,
आप ही हो पापा मेरे स्वाभिमान की माला |
दूं क्या आपको मैं! क्योंकि सब तो आपने ही है मुझको दिया ,
बस मैंने ईश्वर से बहुत सारा प्यार आपके लिए है मांग लिया ||




#review #radhika
दुख छिपाते हो आप अपने हंसते हुए चेहरे के पीछे ,
अपनी खुशियों को रखते हो आप अपने बच्चों की ख्वाहिशों के नीचे |
मेहनत की आप महान सूरत हो ,
पापा आप ही मेरी प्रेरणा की मूरत हो |
अंधकार भरे जीवन में आप हो जैसे उजाला ,
आप ही हो पापा मेरे स्वाभिमान की माला |
दूं क्या आपको मैं! क्योंकि सब तो आपने ही है मुझको दिया ,
बस मैंने ईश्वर से बहुत सारा प्यार आपके लिए है मांग लिया ||

#review #radhika
मैं नहीँ जानती तुम्हारा
मूझसे क्या रिस्ता है

मगर जब भी तुम्हें सुनती हूँ,
मुझे सुकून मिलता है 😌

-राधिका

#radhika
#review
कभी जून का ताप लगते हो
कभी दिसंबर की सर्द रात लगते हो
जुलाई की बारिश सी बरसते कभी
तुम कुदरत की सौगात लगते हो

~राधिका ✍️
#radhika021
#review

Lo ho gaya 🌼😄🤭
#Hriday #Radhika

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उलझन की ये डगर हैं,
मोहब्बत हैं या कुछ और हैं।
ये बिन नाम का रिश्ता हैं,
जो लगता कभी ख़ास हैं।
आस हैं,
आस नहीं भी,
इस रिश्ते से।
बातें होती कभी कबार हैं,
पर अपना लगता वो हर बार हैं।
मन में बहुत सवाल हैं,
स्पष्ट्ता की तलाश हैं।
उलझन की ये डगर हैं,
मोहब्बत हैं या कुछ और हैं।

#radhika #review

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वो पास होकर भी पास नहीं
वो साथ होकर भी साथ नहीं

बातें तो आज भी होती है
पर उन बातों में अब
वो पहले जैसी बात नहीं।

#radhika #review

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गुम थी,
खुश थी,
मैं अपनी किताबों में।
मग्न था,
मस्त था,
वो भी अपने यारों में।
फिर यू,
एक आंधी चली
जोड़ गई हमारी मंजिल को।
मौसम कुछ सुहाना था
हाथ में मेरे कुछ किताबें थी।
देखा जब उसने ये
मदत को हाथ बढ़ाई।
मिले जब हाथ हमारे,
शुरू हुई एक नई कहानी।
दोस्ती का हाथ था वो
या यू कहूं
एक नई दास्तां शुरू होने वाली थी।
जुदा थे ,
हम दोनो के अंदाज।
सोच ने,
इस रिश्ते को,
एक धागे से बांधी थी।
डोर उस धागे की,
अब कभी ना टूटने वाली थी।
नज़दीकियां कुछ बड़ने लगी थी
अंदाज भी मिलने लगे थे
अब मोहब्बत की बारी थी।
डर था दोनो को,
मोहब्बत दोस्ती ना तोड़ दे।
दोनो अनजान थे,
एक दूसरे के जज्बातों से।
क़िस्मत पर छोड़ कर
एक ने हिम्मत जुटाई।
सोमवार का दिन था
जब इजहार-ए-मोहब्बत
करने की बारी थी।
सुनकर उसकी बातों को
मैं कुछ मुसकाई।
समझ गया था अब वो भी
हम दोनो की हामी थी।
शुरू हुआ था
अब एक नया अध्याय।
काटें कुछ कम ना थे
पर हम दोनों अब साथ थे।
थामकर एक दुजे का हाथ
हर चुनौती को हम तैयार थे।
लड़ाइयां हममें भी होती थी
पर रेखाए हमे पता थी।
भरोसा एक दुजे पर था
जो हमारे रिश्ते की नीव थी।
हर कहानी की तरह
हमारी कहानी नहीं थी।
ये तो बस एक अध्याय था
हमारी कहानी अभी और बुने जाने वाली थी।


#radhika #poetry #review

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पास रहने की एक वजह ढूँढ़ लो,
छोड़ जाने के बहाने तो बहुत हैं।

#radhika #review

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पास रहने की एक वजह ढूँढ़ लो,
छोड़ जाने के बहाने तो बहुत हैं।

#radhika #review

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