सब कुछ छोड़ चली प्रभुधाम..
भज हृदय में गिरिधर नाम..
कुछ भी नहीं हाथ था उसके
कृष्ण प्रेम बस साथ था उसके..
प्रीत जहाँ पर नहीं रहे,वह दुनियाँ है बेरंग
माखनचोर प्रेम में वो अब, रंगी अजब-सी रंग..
जीवन-नाव को मिला किनारा,जीवन का पतवार संभाला..
ये प्रेम शब्द है बड़ा निराला..
जिसने माँ मीरा को तारा
#radhika
#review
#colab
भज हृदय में गिरिधर नाम..
कुछ भी नहीं हाथ था उसके
कृष्ण प्रेम बस साथ था उसके..
प्रीत जहाँ पर नहीं रहे,वह दुनियाँ है बेरंग
माखनचोर प्रेम में वो अब, रंगी अजब-सी रंग..
जीवन-नाव को मिला किनारा,जीवन का पतवार संभाला..
ये प्रेम शब्द है बड़ा निराला..
जिसने माँ मीरा को तारा
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