Bhul jane ka hunar
दूर तक ढूंढती रही उसको मेरी नज़रें
वो तो भूल जाने का हुनर रखता है
जाने कितने राज़ है उसके दिल मे
गम में वो मुस्कुराने की हुनर रखता है
कैसे बहकने से खुद को अब रोकूँ मैं
वो होंठो से जाम पिलाने की हुनर रखता है
उसको आवाज दूँ या उससे लिपट जाऊं मैं
वो दूरियों में भी तड़पाने का हुनर रखता है
भींगता रहता है आँसू में मेरा ये बदन
वो पानी मे आग लगाने की हुनर रखता है
इतना आसान कहाँ है उसको भूल जाना
वो दिल मे आने जाने का हुनर रखता है
आंख लगती ही नही वो चला आता हैं
वो ख्वाबो में हक़ जताने का हुनर रखता है
मेरे मासूम दिल से रोज खेलता था वो
वो बेवफ़ाई को वफ़ा बनाने का हुनर रखता हैं
शम्स को भी उसने दामन मे छुपा ही लिया
वो दिन को रात बनाने का हुनर रखता है
मेरी हर शाम की बुझा हुआ चिराग है वो
वो खामोशी से दिल जलाने का हुनर रखता है
#Parveen
#review
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दूर तक ढूंढती रही उसको मेरी नज़रें
वो तो भूल जाने का हुनर रखता है
जाने कितने राज़ है उसके दिल मे
गम में वो मुस्कुराने की हुनर रखता है
कैसे बहकने से खुद को अब रोकूँ मैं
वो होंठो से जाम पिलाने की हुनर रखता है
उसको आवाज दूँ या उससे लिपट जाऊं मैं
वो दूरियों में भी तड़पाने का हुनर रखता है
भींगता रहता है आँसू में मेरा ये बदन
वो पानी मे आग लगाने की हुनर रखता है
इतना आसान कहाँ है उसको भूल जाना
वो दिल मे आने जाने का हुनर रखता है
आंख लगती ही नही वो चला आता हैं
वो ख्वाबो में हक़ जताने का हुनर रखता है
मेरे मासूम दिल से रोज खेलता था वो
वो बेवफ़ाई को वफ़ा बनाने का हुनर रखता हैं
शम्स को भी उसने दामन मे छुपा ही लिया
वो दिन को रात बनाने का हुनर रखता है
मेरी हर शाम की बुझा हुआ चिराग है वो
वो खामोशी से दिल जलाने का हुनर रखता है
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Aaj aaya mera Chand
आज आया मेरा चाँद🌙
फ़लक पे जो चमकता था वो उजाला मेरा
चाँद
की देखो मेरे आँगन में भी वो चमक लाया मेरा
चाँद
ना देखी होगी उसकी नूर ना देखी होगी
उसकी शान
की मेरे घर मेहमान बनकर आज आया
मेरा चाँद
नज़र ठहरती नही उसपे,उसे देखूं या घर
देखूं
वो अपनी चाँदनी से घर मेरा सजाया मेरा
चाँद
खिली है बागों में कलियां, की भौरे नाच
उठे है आज
चमक शबनम की बूंद देख फिर इतराया
मेरा चाँद
बेचैन सी ढूंढती है नज़रे यहाँ पर कौन है
आला
रखा जब सामने आईना तो फिर सरमाया
मेरा चाँद
करते रोज तेरा इंतेज़ार,ये उदास राह
काली रातें
छुपा कर बादल से चेहरा बहुत तड़पाया
मेरा चाँद
खड़े थे सफ में वो सारे की जुगनू,आसमान
के तारे
हुई फिर रहमतों की बारिश, भींग नहाया
मेरा चाँद
नज़र सबकी ठहरी हुई थी उस प्यारे से
मुखड़े पर
जला जब ताख पर चिराग़,ग़ज़ल सुनाया
मेरा चाँद
#review
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आज आया मेरा चाँद🌙
फ़लक पे जो चमकता था वो उजाला मेरा
चाँद
की देखो मेरे आँगन में भी वो चमक लाया मेरा
चाँद
ना देखी होगी उसकी नूर ना देखी होगी
उसकी शान
की मेरे घर मेहमान बनकर आज आया
मेरा चाँद
नज़र ठहरती नही उसपे,उसे देखूं या घर
देखूं
वो अपनी चाँदनी से घर मेरा सजाया मेरा
चाँद
खिली है बागों में कलियां, की भौरे नाच
उठे है आज
चमक शबनम की बूंद देख फिर इतराया
मेरा चाँद
बेचैन सी ढूंढती है नज़रे यहाँ पर कौन है
आला
रखा जब सामने आईना तो फिर सरमाया
मेरा चाँद
करते रोज तेरा इंतेज़ार,ये उदास राह
काली रातें
छुपा कर बादल से चेहरा बहुत तड़पाया
मेरा चाँद
खड़े थे सफ में वो सारे की जुगनू,आसमान
के तारे
हुई फिर रहमतों की बारिश, भींग नहाया
मेरा चाँद
नज़र सबकी ठहरी हुई थी उस प्यारे से
मुखड़े पर
जला जब ताख पर चिराग़,ग़ज़ल सुनाया
मेरा चाँद
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Aaina
बड़ी मुद्दतों बाद हुई रूबरू ऐ आईना
जाने क्या छिपा हुआ ज़ुस्तज़ु ऐ आईना
सदियों पुरानी जिंदगी की तस्वीर है तुझमें
बसी
वक़्त की आंधियो में धुंधुला हुआ आईना
संभाल कर रखी थी मैंने, बचपन की
निशानी वो
जमाने की टक्कर में टूटकर बिखरा हुआ
आईना
एक चेहरे को दूसरे चेहरे से मिलाता रोज
ये
मेरी ही तन्हाई को मुझमें ढूंढता हुआ ऐ
आईना
सारी दास्ताँ सून कर भी नही बांटा मेरे
गम को
चुपचाप सुन रही क्यों ख़ामोश है ये
आईना
बदलते नही सूरत यहाँ, बदलती नही
निशानिया
एक ही इंसान का कई चेहरा बदलता है
आईना
टूटी ना थी जो कभी,धूप बरसात सहती
रही वो
बेरहम पत्थर की चोट से टूट गयी वो
आईना
निखारता है रूप ये,संवारता है सबकी
जिंदगी
फ़रेब का ये तीर चलाता क़ातिलाना-ए-
आईना
जाने कितने अक्स छिपे है, जाने कितनी
चोट खाई
चींखता है रोज रात को ग़म-ए-जुदाई में
आईना
सूरत-ए-आलम रोज गुज़रती रही उसके
सामने
हलचल ना हुई जिसमें , रहता है
बूत-ए-आईना
रात को रात कहता,दिन को है दिन
दिखाता
अपनी ईमानदारी का सुबूत देता ऐ
आईना
आँसू को परख नहीं पाता,हर अक्स उल्टा
दिखाता
दाये से बाएं करता ये झूठ बोलता ऐ
आईना
सब छोड़ चले गए मुझे अकेला तू इंतेज़ार
करता रहा
जाने कितनी रात गुजारी मेरा महबूब
ऐ आईना
सारी नक़ाब उतार कर जमाने की, तू फिर
से चमक उठा
जब चाँद की चमक पड़ी,तो सरमा गया
ऐ आईना
कितने खुशी का लम्हा देखा कितने ग़म
रोये तेरे सामने
जाने कितने राज़ दफ़्न किया,गुमशुदा
ऐ आईना
अच्छे के लिए अच्छा ,बुरो के लिए बुरा
बनता
एक ही दर्पण के कई रूप सारे ऐ
आईना
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बड़ी मुद्दतों बाद हुई रूबरू ऐ आईना
जाने क्या छिपा हुआ ज़ुस्तज़ु ऐ आईना
सदियों पुरानी जिंदगी की तस्वीर है तुझमें
बसी
वक़्त की आंधियो में धुंधुला हुआ आईना
संभाल कर रखी थी मैंने, बचपन की
निशानी वो
जमाने की टक्कर में टूटकर बिखरा हुआ
आईना
एक चेहरे को दूसरे चेहरे से मिलाता रोज
ये
मेरी ही तन्हाई को मुझमें ढूंढता हुआ ऐ
आईना
सारी दास्ताँ सून कर भी नही बांटा मेरे
गम को
चुपचाप सुन रही क्यों ख़ामोश है ये
आईना
बदलते नही सूरत यहाँ, बदलती नही
निशानिया
एक ही इंसान का कई चेहरा बदलता है
आईना
टूटी ना थी जो कभी,धूप बरसात सहती
रही वो
बेरहम पत्थर की चोट से टूट गयी वो
आईना
निखारता है रूप ये,संवारता है सबकी
जिंदगी
फ़रेब का ये तीर चलाता क़ातिलाना-ए-
आईना
जाने कितने अक्स छिपे है, जाने कितनी
चोट खाई
चींखता है रोज रात को ग़म-ए-जुदाई में
आईना
सूरत-ए-आलम रोज गुज़रती रही उसके
सामने
हलचल ना हुई जिसमें , रहता है
बूत-ए-आईना
रात को रात कहता,दिन को है दिन
दिखाता
अपनी ईमानदारी का सुबूत देता ऐ
आईना
आँसू को परख नहीं पाता,हर अक्स उल्टा
दिखाता
दाये से बाएं करता ये झूठ बोलता ऐ
आईना
सब छोड़ चले गए मुझे अकेला तू इंतेज़ार
करता रहा
जाने कितनी रात गुजारी मेरा महबूब
ऐ आईना
सारी नक़ाब उतार कर जमाने की, तू फिर
से चमक उठा
जब चाँद की चमक पड़ी,तो सरमा गया
ऐ आईना
कितने खुशी का लम्हा देखा कितने ग़म
रोये तेरे सामने
जाने कितने राज़ दफ़्न किया,गुमशुदा
ऐ आईना
अच्छे के लिए अच्छा ,बुरो के लिए बुरा
बनता
एक ही दर्पण के कई रूप सारे ऐ
आईना
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Chudiya
चूड़ियां
बड़ी नाज़ुक थी,बड़ी ही सुंदर थी वो
मेरी चुड़िया
बहुत दिन बाद मेरे हाथों में खनकी थी
वो चुड़िया
कभी रेशमी कभी लाल कभी सुनहरी
भाती मुझे
हर रंग में लायी थी खरीद कर सतरँगी
वो चुड़िया
कितने मौसम गुजर गए सुनी रह गयी
कलाई मेरी
भूल गयी है खनकना अब मेरी
प्यारी प्यारी चुड़िया
जाने कब पपीहा गाएंगी फिर से मेरी
बागों में
जाने कब पहनूँगी मैं फिर सावन की
हरी चुड़िया
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चूड़ियां
बड़ी नाज़ुक थी,बड़ी ही सुंदर थी वो
मेरी चुड़िया
बहुत दिन बाद मेरे हाथों में खनकी थी
वो चुड़िया
कभी रेशमी कभी लाल कभी सुनहरी
भाती मुझे
हर रंग में लायी थी खरीद कर सतरँगी
वो चुड़िया
कितने मौसम गुजर गए सुनी रह गयी
कलाई मेरी
भूल गयी है खनकना अब मेरी
प्यारी प्यारी चुड़िया
जाने कब पपीहा गाएंगी फिर से मेरी
बागों में
जाने कब पहनूँगी मैं फिर सावन की
हरी चुड़िया
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Kalam
"कलम"
ऐ कलम बता,तुझे लिखना किसने
सिखाया,
क्या तूने भी किसी से प्यार किया,क्या तूने
भी धोखा खाया,
ऐ कलम बता,तुम्हें रुलाया किसने
किसने दर्द दिया तुम्हे,आँसु में डुबाया
किसने।
ऐ कलम बता ,तूने किसकी ग़म कागज़ में
बहायी है,
क्या अपनी कहानी लिखी,या किसी का
दर्द चुरा कर लायी है
ऐ कलम बता,तूने किसके अल्फ़ाज़
पिरोया है
कैसे लिखते हो इतना,क्या किसी अपने
को खोया है,
ऐ कलम बता,तूने कितनो का दिल
तोड़ा है,
कितनो की घर बसाई,कितनो को बीच राह
में छोड़ा है।
ऐ कलम बता,तूने कितनो की किस्मत
बनाई है
क्या तूने जज़्बात को समझा, या किसी से
रिश्वत खाई है,
ऐ कलम बता,क्या तुझसे कभी गलती
होती है क्या
तोड़ देती हो कभी किसी के हौसले,फिर
तन्हाई में रोती हो क्या
ऐ कलम बता,तेरा मोल नही स्याही का,तू
लफ़्ज़ों की मोहताज नही
लिख दो इक नया कलाम,जो कल था वो
आज नहीं
ऐ कलम बता,मौत से मौत और जिंदगी से
जिंदगी को मिलाती हो
कैसे कर देती हो इंसाफ,ये हुनर कहा से
लाती हो,
ऐ कलम बता,क्या कागज़ से तुम्हे प्यार है
सारे दर्द बयां करती उससे,क्या वही
तुम्हारा संसार है,
ऐ कलम बता,उदास रहकर भी तुम
कितना बोलती हो,
बेज़ुबान होकर भी ,कागज़ पर सारी राज़
खोलती हो,
ऐ कलम बता,तू कितना इल्ज़ाम झेलती है
कभी एक लफ्ज़ पर दम तोड़ देती,कभी
लफ़्ज़ों से खेलती है,
ऐ कलम बता,क्या तूने कल को देखा है
फिर कैसे किसी की जिंदगी सवाँर देती,
क्या तेरे पास तक़दीर की रेखा है।
#parveen
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"कलम"
ऐ कलम बता,तुझे लिखना किसने
सिखाया,
क्या तूने भी किसी से प्यार किया,क्या तूने
भी धोखा खाया,
ऐ कलम बता,तुम्हें रुलाया किसने
किसने दर्द दिया तुम्हे,आँसु में डुबाया
किसने।
ऐ कलम बता ,तूने किसकी ग़म कागज़ में
बहायी है,
क्या अपनी कहानी लिखी,या किसी का
दर्द चुरा कर लायी है
ऐ कलम बता,तूने किसके अल्फ़ाज़
पिरोया है
कैसे लिखते हो इतना,क्या किसी अपने
को खोया है,
ऐ कलम बता,तूने कितनो का दिल
तोड़ा है,
कितनो की घर बसाई,कितनो को बीच राह
में छोड़ा है।
ऐ कलम बता,तूने कितनो की किस्मत
बनाई है
क्या तूने जज़्बात को समझा, या किसी से
रिश्वत खाई है,
ऐ कलम बता,क्या तुझसे कभी गलती
होती है क्या
तोड़ देती हो कभी किसी के हौसले,फिर
तन्हाई में रोती हो क्या
ऐ कलम बता,तेरा मोल नही स्याही का,तू
लफ़्ज़ों की मोहताज नही
लिख दो इक नया कलाम,जो कल था वो
आज नहीं
ऐ कलम बता,मौत से मौत और जिंदगी से
जिंदगी को मिलाती हो
कैसे कर देती हो इंसाफ,ये हुनर कहा से
लाती हो,
ऐ कलम बता,क्या कागज़ से तुम्हे प्यार है
सारे दर्द बयां करती उससे,क्या वही
तुम्हारा संसार है,
ऐ कलम बता,उदास रहकर भी तुम
कितना बोलती हो,
बेज़ुबान होकर भी ,कागज़ पर सारी राज़
खोलती हो,
ऐ कलम बता,तू कितना इल्ज़ाम झेलती है
कभी एक लफ्ज़ पर दम तोड़ देती,कभी
लफ़्ज़ों से खेलती है,
ऐ कलम बता,क्या तूने कल को देखा है
फिर कैसे किसी की जिंदगी सवाँर देती,
क्या तेरे पास तक़दीर की रेखा है।
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Purani yaadein
उम्र के किसी उस राह पर मिलेंगे
कभी हम,
कुछ जानी पहचानी सी खुश्बु
झिलमिल सी यादों के साथ,
देखेंगे एक दूसरे को लेकिन नज़रें चुराये,
बैठेंगे कोई सुकून सी जगह में किसी बेंच
पर,
करेंगे ढेरों बातें, कुछ प्यार की कुछ
शिकायते,
ख़ुद से खुद में ही कई सारे सवाल ज़हन में
आएंगे
और दिल कहेगा,पूछ लू क्या...?
आज तो वो खफ़ा भी नही होगा,मेरी
अटपटी बातों से...कह दु क्या दिल का
हाल सुना दुँ क्या... की ,याद तुम आते थे बहुत उस वक़्त...
जब, मैं दुनिया से बेख़बर किसी
पुरानी यादों में गुम हो जाती थी तब,
जब किसी अपने को पास महसूस करती
थी तब,
जब आसमान में बादल घिरते और देर तक
बारिश होती तब,
जब रात में चाँदनी मेरे छत पर आकर
मुस्कुराती तब,
जब गली में कोई शोर नही होता,सुनसान
राह से कोई रूह भटकती तब।
जब तुम्हारी जिस्म की खुश्बू मेरे
रूह को छूकर निकल जाती तब,
जब अंधेरा सताने लगती,जब तन्हाई
तड़पने लगती तब।
जब तुम मेरे अकेलेपन को छेड़ जाते तब
याद बहुत आती तुम्हारी।।
कह दुँ क्या ये सारी बात,क्या वो सुनेगा मेरी बात...
इस सवाल को समेटे अंदर ही अंदर कुछ
कमी महसूस करेंगे,
कुछ रब से शिकायत भी करेंगे...शायद
फिर..
याद करेंगे बीती बातों को,अनजाने
ख्यालातों को,
बहुत सी दफ़्न बातें,एक एक कर दिल के
तिज़ोरी से बाहर आएंगी
दिल भी धड़केगा,फिर से एक बार
लेकिन उस धड़कन में कोई बेक़रारी
नही रहेगी,
रहेगा तो इक अनजाना सा सुकून
रोयेंगे कभी किसी गहरी अफसोस में
देर तक नज़र चेहरे पर गड़ी रहेगी,
दिल एक ही बात दुरायेगा...
"काश ये वक़्त यही थम जाता
काश ये लम्हा यही सिमट जाता
काश ये दिन ढलता नहीं
काश जिंदगी का शाम यही हो जाता"
फ़िर एक अलविदा कह कर
दुबारा आंखों में आँसू लिए
आख़री सलाम कह कह
अपने अपने राह चले जायेंगे।।
क़दम भारी सा लगेगा,
आँखे बोझिल रहेगी,
लेकिन अब तो पूरी जिंदगी की सफ़र
तो ऐसे ही तय कर ली,दो दिन के लिए
क्या गिला शिकवा...
इस बार दुबारा मिलने की उम्मीद भी नही
रहेगी..लेकिन उदास चेहरे पर इक हल्की सी मुस्कान और दिल मे शुकुन रहेगा।।
#parveen
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उम्र के किसी उस राह पर मिलेंगे
कभी हम,
कुछ जानी पहचानी सी खुश्बु
झिलमिल सी यादों के साथ,
देखेंगे एक दूसरे को लेकिन नज़रें चुराये,
बैठेंगे कोई सुकून सी जगह में किसी बेंच
पर,
करेंगे ढेरों बातें, कुछ प्यार की कुछ
शिकायते,
ख़ुद से खुद में ही कई सारे सवाल ज़हन में
आएंगे
और दिल कहेगा,पूछ लू क्या...?
आज तो वो खफ़ा भी नही होगा,मेरी
अटपटी बातों से...कह दु क्या दिल का
हाल सुना दुँ क्या... की ,याद तुम आते थे बहुत उस वक़्त...
जब, मैं दुनिया से बेख़बर किसी
पुरानी यादों में गुम हो जाती थी तब,
जब किसी अपने को पास महसूस करती
थी तब,
जब आसमान में बादल घिरते और देर तक
बारिश होती तब,
जब रात में चाँदनी मेरे छत पर आकर
मुस्कुराती तब,
जब गली में कोई शोर नही होता,सुनसान
राह से कोई रूह भटकती तब।
जब तुम्हारी जिस्म की खुश्बू मेरे
रूह को छूकर निकल जाती तब,
जब अंधेरा सताने लगती,जब तन्हाई
तड़पने लगती तब।
जब तुम मेरे अकेलेपन को छेड़ जाते तब
याद बहुत आती तुम्हारी।।
कह दुँ क्या ये सारी बात,क्या वो सुनेगा मेरी बात...
इस सवाल को समेटे अंदर ही अंदर कुछ
कमी महसूस करेंगे,
कुछ रब से शिकायत भी करेंगे...शायद
फिर..
याद करेंगे बीती बातों को,अनजाने
ख्यालातों को,
बहुत सी दफ़्न बातें,एक एक कर दिल के
तिज़ोरी से बाहर आएंगी
दिल भी धड़केगा,फिर से एक बार
लेकिन उस धड़कन में कोई बेक़रारी
नही रहेगी,
रहेगा तो इक अनजाना सा सुकून
रोयेंगे कभी किसी गहरी अफसोस में
देर तक नज़र चेहरे पर गड़ी रहेगी,
दिल एक ही बात दुरायेगा...
"काश ये वक़्त यही थम जाता
काश ये लम्हा यही सिमट जाता
काश ये दिन ढलता नहीं
काश जिंदगी का शाम यही हो जाता"
फ़िर एक अलविदा कह कर
दुबारा आंखों में आँसू लिए
आख़री सलाम कह कह
अपने अपने राह चले जायेंगे।।
क़दम भारी सा लगेगा,
आँखे बोझिल रहेगी,
लेकिन अब तो पूरी जिंदगी की सफ़र
तो ऐसे ही तय कर ली,दो दिन के लिए
क्या गिला शिकवा...
इस बार दुबारा मिलने की उम्मीद भी नही
रहेगी..लेकिन उदास चेहरे पर इक हल्की सी मुस्कान और दिल मे शुकुन रहेगा।।
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Zindagi
ज़िंदगी
इक पल, दो पल,
कुछ पल, हज़ारों पल!
कुछ रूखा! रूखा !
मातम! ही मातम!
जिंदगी! जिंदगी!
जल रही! जल रही!
हो रहा! खो रहा!
रुक रही! चल रही!
उड़ रहे! उड़ रहे!
परिंदे उड़ रहे!
उजड़ रहे! उजड़ रहे!
वो हरे-भरे उजड़ रहे!
टूटते! टूटते!
टुकड़े! टुकड़े!
खाली ये खाली!
पन्ने भर रहे!
थरथराहट! थरथराहट!
दिल की नज़ाकत!
होती सुरख-रु!
सुरख-रु! सुरख-रु!
सूख रहे! सूख रहे!
वो जवान सुख रहे!
झड़ रहे! झड़ रहे!
जो सूखे झड़ रहे!
रूबरू! रूबरू!
हो रही रूबरू!
जिंदगी से यूँ
चल रही गुफ्तगु!
कलियाँ! कलियाँ!
जागती! जागती!
सो रहे! सो रहे!
खिले हुए सो रहे!
डरी! डरी! काँपती!
वो गुमसुम सब भाँपती!
रुकी! रुकी! आँखें उसकी!
सब जानती! सब जानती!
बतिया रही! बतिया रही!
जिंदगी कुछ यूँ सुना रही!
खामोशी! उसकी खामोशी!
गुर्रा रही! गुर्रा रही!
मान रही! वो मान रही!
अपनी नाराज़गी मान रही!
मना रही! मना रही!
वो आज मुझे मना रही!
सुना रही! सुना रही!
कहानियाँ सुना रही!
कहीं शुरुआत! कहीं अंत!
कुछ यूँ बता रहीं!
#lotus
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ज़िंदगी
इक पल, दो पल,
कुछ पल, हज़ारों पल!
कुछ रूखा! रूखा !
मातम! ही मातम!
जिंदगी! जिंदगी!
जल रही! जल रही!
हो रहा! खो रहा!
रुक रही! चल रही!
उड़ रहे! उड़ रहे!
परिंदे उड़ रहे!
उजड़ रहे! उजड़ रहे!
वो हरे-भरे उजड़ रहे!
टूटते! टूटते!
टुकड़े! टुकड़े!
खाली ये खाली!
पन्ने भर रहे!
थरथराहट! थरथराहट!
दिल की नज़ाकत!
होती सुरख-रु!
सुरख-रु! सुरख-रु!
सूख रहे! सूख रहे!
वो जवान सुख रहे!
झड़ रहे! झड़ रहे!
जो सूखे झड़ रहे!
रूबरू! रूबरू!
हो रही रूबरू!
जिंदगी से यूँ
चल रही गुफ्तगु!
कलियाँ! कलियाँ!
जागती! जागती!
सो रहे! सो रहे!
खिले हुए सो रहे!
डरी! डरी! काँपती!
वो गुमसुम सब भाँपती!
रुकी! रुकी! आँखें उसकी!
सब जानती! सब जानती!
बतिया रही! बतिया रही!
जिंदगी कुछ यूँ सुना रही!
खामोशी! उसकी खामोशी!
गुर्रा रही! गुर्रा रही!
मान रही! वो मान रही!
अपनी नाराज़गी मान रही!
मना रही! मना रही!
वो आज मुझे मना रही!
सुना रही! सुना रही!
कहानियाँ सुना रही!
कहीं शुरुआत! कहीं अंत!
कुछ यूँ बता रहीं!
#lotus
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Paisa our maa baap
पैसा और माँ बाप
माँ बाप को
पैसे दे देना
हर महीने
पैसों के बारे में
पूछ लेना,
"के अम्मी पैसा है ना?
अब्बू कुछ चीज़ की
ज़रूरत तो नहीं
अगर आपको
पैसों की
या कुछ भी
ज़रुरत हो तो
फोन कर दीजिए गा"
हमारे और आपके
माँ बाप
सिर्फ़ इन्हीं चंद
जुमले के भूखे नहीं होते
उनको हम और आप से
सिर्फ पैसे ही
नहीं चाहिए होते
हम और आप
सिर्फ़
इन्हीं चंद जुमलों को
माँ बाप के लिए ख़ास
मत कर लीजिए
अजनबी की क़लम से
#Ajnabi
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पैसा और माँ बाप
माँ बाप को
पैसे दे देना
हर महीने
पैसों के बारे में
पूछ लेना,
"के अम्मी पैसा है ना?
अब्बू कुछ चीज़ की
ज़रूरत तो नहीं
अगर आपको
पैसों की
या कुछ भी
ज़रुरत हो तो
फोन कर दीजिए गा"
हमारे और आपके
माँ बाप
सिर्फ़ इन्हीं चंद
जुमले के भूखे नहीं होते
उनको हम और आप से
सिर्फ पैसे ही
नहीं चाहिए होते
हम और आप
सिर्फ़
इन्हीं चंद जुमलों को
माँ बाप के लिए ख़ास
मत कर लीजिए
अजनबी की क़लम से
#Ajnabi
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Mehandi aur phool
मेहंदी और फूल
इक आंगन मे दो नन्हे जीवन रहते थे
बचपन से संग
अलग अलग अंदाज है फिर भी रंगे थे
एक ही रंग
इक नाजुक कली थी प्यारी,कांटो में
था उसका संसार
कभी सावन कभी पतझड़ में, करती
थी वो श्रृंगार
ये मेहंदी के बूटे ऐसे, पत्ता पत्ता निखरा हो
जैसे
खुद का रंग हाथो मे भर दी,पत्थर पर वो
बिखरा ऐसे
एक हाथ कई हाथों में लगी,रंग आंसू
कभी रंग खुशी
फूलों की किस्मत में थे कांटे,मिली सिर्फ
उसे दो पल की हंसी
हर मौसम हर लम्हा बिताया,साथ एक ही
आंगन में
थी रौनक जब साथ थे दोनो, टूटे थे एक ही
आंचल में
कुदरत ने हमें एक ही अदा दी,कोमल सा
जिस्म बना दी
जालिम दुनिया पत्थर पे घिंसा,और फूलों
में आग लगा दी
हमको पता था इतनी हकीकत,टूट कर
फिर संवरना है इक दिन
फूल गले का हार बनेगा,पत्ती को हाथ पर
बिखरना है इक दिन
एक ही साथ हमें तोड़ा गया,एक ही
डाल में आए थे हम
अपने जख्मों की ना ही दवा थी,ना काम
आया कोई मरहम
मैं मेहंदी मेरा रंग है लाल,हर सुहागन के
हाथों में लगी मैं
मैं फूल थी, बहार की खुशबू,बर्बादी की
अब राह चली मैं
इक बेबस कली ने पूछा,सुन माली क्या
औकात हमारी
हम ही खुशी में गम में भी आगे,आखिर
क्या है जात हमारी
#Parveen
#review
#feature
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मेहंदी और फूल
इक आंगन मे दो नन्हे जीवन रहते थे
बचपन से संग
अलग अलग अंदाज है फिर भी रंगे थे
एक ही रंग
इक नाजुक कली थी प्यारी,कांटो में
था उसका संसार
कभी सावन कभी पतझड़ में, करती
थी वो श्रृंगार
ये मेहंदी के बूटे ऐसे, पत्ता पत्ता निखरा हो
जैसे
खुद का रंग हाथो मे भर दी,पत्थर पर वो
बिखरा ऐसे
एक हाथ कई हाथों में लगी,रंग आंसू
कभी रंग खुशी
फूलों की किस्मत में थे कांटे,मिली सिर्फ
उसे दो पल की हंसी
हर मौसम हर लम्हा बिताया,साथ एक ही
आंगन में
थी रौनक जब साथ थे दोनो, टूटे थे एक ही
आंचल में
कुदरत ने हमें एक ही अदा दी,कोमल सा
जिस्म बना दी
जालिम दुनिया पत्थर पे घिंसा,और फूलों
में आग लगा दी
हमको पता था इतनी हकीकत,टूट कर
फिर संवरना है इक दिन
फूल गले का हार बनेगा,पत्ती को हाथ पर
बिखरना है इक दिन
एक ही साथ हमें तोड़ा गया,एक ही
डाल में आए थे हम
अपने जख्मों की ना ही दवा थी,ना काम
आया कोई मरहम
मैं मेहंदी मेरा रंग है लाल,हर सुहागन के
हाथों में लगी मैं
मैं फूल थी, बहार की खुशबू,बर्बादी की
अब राह चली मैं
इक बेबस कली ने पूछा,सुन माली क्या
औकात हमारी
हम ही खुशी में गम में भी आगे,आखिर
क्या है जात हमारी
#Parveen
#review
#feature
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Jab tum Milne aaoge
जब तुम मिलने आओगे
ठहरे एहसास को रवा मिलेगी
सूखे पत्ते को जैसे हवा मिलेगी
बिखरी बिखरी थी मैं सदियों से
नासाज दिल को अब दवा मिलेगी
जब तुम मिलने आओगे
आहट को तेरी जान लूंगी
खुश्बू से तेरी पहचान लूंगी
बहकने लगे गर कदम तुम्हारे
गेसुओ में तुझे संभाल लूंगी
जब तुम मिलने आओगे
नदियों की धार शोर करेगी
मध्यम मध्यम सी हवा चलेगी
लहराने लगेगी फिर आंचल मेरी
घुंगरू घुंगरू भी बोल उठेगी
जब तुम मिलने आओगे
पतझड़ में भी फूल की डाली
सावन की जैसी हो हरियाली
पत्ती पत्ती बन बिखरूंगी मैं
जैसे हो तेरी चाहत की सवाली
जब तुम मिलने आओगे
शाम भी क्या सुहाना होगा
चांद भी उसका दीवाना होगा
दूर से जुगनू चमक उठेंगे
चिरागों को फिर बुझाना होगा
जब तुम मिलने आओगे
होंठो की फिर प्यास बुझेगी
आंखो में कोई ख्वाब सजेगा
दिल की धड़कन तेज होगी
सांसों में नया सरगम बजेगा
जब तुम मिलने आओगे
सुबह की मचलती हवा सुहानी
ओस ओस और पानी पानी
इत्र की खुश्बू महक उठेगी
जैसे हो कोई रूह नूरानी
जब तुम मिलने आओगे
गर्मी में जैसे ठंडा आब
मायखाने की उबलती शराब
जिस्म से मेरी लिपट जायेगा
सर्द रातों में जैसे गर्म लिहाफ
जब तुम मिलने आओगे
#Parveen
#review
#feature
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जब तुम मिलने आओगे
ठहरे एहसास को रवा मिलेगी
सूखे पत्ते को जैसे हवा मिलेगी
बिखरी बिखरी थी मैं सदियों से
नासाज दिल को अब दवा मिलेगी
जब तुम मिलने आओगे
आहट को तेरी जान लूंगी
खुश्बू से तेरी पहचान लूंगी
बहकने लगे गर कदम तुम्हारे
गेसुओ में तुझे संभाल लूंगी
जब तुम मिलने आओगे
नदियों की धार शोर करेगी
मध्यम मध्यम सी हवा चलेगी
लहराने लगेगी फिर आंचल मेरी
घुंगरू घुंगरू भी बोल उठेगी
जब तुम मिलने आओगे
पतझड़ में भी फूल की डाली
सावन की जैसी हो हरियाली
पत्ती पत्ती बन बिखरूंगी मैं
जैसे हो तेरी चाहत की सवाली
जब तुम मिलने आओगे
शाम भी क्या सुहाना होगा
चांद भी उसका दीवाना होगा
दूर से जुगनू चमक उठेंगे
चिरागों को फिर बुझाना होगा
जब तुम मिलने आओगे
होंठो की फिर प्यास बुझेगी
आंखो में कोई ख्वाब सजेगा
दिल की धड़कन तेज होगी
सांसों में नया सरगम बजेगा
जब तुम मिलने आओगे
सुबह की मचलती हवा सुहानी
ओस ओस और पानी पानी
इत्र की खुश्बू महक उठेगी
जैसे हो कोई रूह नूरानी
जब तुम मिलने आओगे
गर्मी में जैसे ठंडा आब
मायखाने की उबलती शराब
जिस्म से मेरी लिपट जायेगा
सर्द रातों में जैसे गर्म लिहाफ
जब तुम मिलने आओगे
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Mere dard ki kahaniyan
ना आस है ना प्यार है ये कैसी है
जिंदगानिया
मैं मर गई हूं तुझमें,अब बची है सिर्फ
निशानिया
उलझ उलझ के डोर अब टूटी है ऐसी
मोड़ पर
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
की आएगा लौटकर वो मौसम फिर
बहार के
कभी तो तय करेगा ये दिल सफर
इंतजार के
बिखर बिखर के टूटी मैं,फैली है बस
वीरानियां
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
समझ के भी ना समझ सके वो चार दिन
का साथ था
जन्मों के कसमों से बंधा वो अधूरा इक
मुलाकात था
सिसक सिसक के रोई मैं,कैसी भूल थी
या नादानियां
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
गुजरते वक्त के साथ ही मेरे हौसले भी
थम गए
कहीं पे ख्वाब टूट गई, कहीं ये आंख
नम हुए
सुलग सुलग के जल रहा दिल,अब गम
की है रवानिया
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
ये रात दिन सी जिंदगी, ना छाव है ना
रौशनी
चमकते तारों के बीच,बुझ गई अब
चांदनी
बुझा बुझा चिराग है, अंधेरों की है
निगरानिया
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
उमड़ रहा आंखों में सागर,फिर भी होंठो पे
प्यास है
बसे है दिल में वो मगर,फिर भी कैसी ये
तलाश है
धुंधला धुंधला सा ये जहां,मिली मुझे
गुमनामिया
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
मेरे जख्मों का काफिला,तंग गली से
निकल रहा
जान इस जिस्म से अब रेत की तरह
फिसल रहा
मुरझा गए है फुल सब,ना हुस्न है ना
जवानियां
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
ये कैसा इम्तेहान है,जहर में जिंदगी
घुली
लहरों में डूबकर भी लबों को
तिश्नगी मिली
मिली है हर बार मुझे ये सितम ये
मेहरबानियां
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
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ना आस है ना प्यार है ये कैसी है
जिंदगानिया
मैं मर गई हूं तुझमें,अब बची है सिर्फ
निशानिया
उलझ उलझ के डोर अब टूटी है ऐसी
मोड़ पर
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
की आएगा लौटकर वो मौसम फिर
बहार के
कभी तो तय करेगा ये दिल सफर
इंतजार के
बिखर बिखर के टूटी मैं,फैली है बस
वीरानियां
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
समझ के भी ना समझ सके वो चार दिन
का साथ था
जन्मों के कसमों से बंधा वो अधूरा इक
मुलाकात था
सिसक सिसक के रोई मैं,कैसी भूल थी
या नादानियां
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
गुजरते वक्त के साथ ही मेरे हौसले भी
थम गए
कहीं पे ख्वाब टूट गई, कहीं ये आंख
नम हुए
सुलग सुलग के जल रहा दिल,अब गम
की है रवानिया
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
ये रात दिन सी जिंदगी, ना छाव है ना
रौशनी
चमकते तारों के बीच,बुझ गई अब
चांदनी
बुझा बुझा चिराग है, अंधेरों की है
निगरानिया
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
उमड़ रहा आंखों में सागर,फिर भी होंठो पे
प्यास है
बसे है दिल में वो मगर,फिर भी कैसी ये
तलाश है
धुंधला धुंधला सा ये जहां,मिली मुझे
गुमनामिया
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
मेरे जख्मों का काफिला,तंग गली से
निकल रहा
जान इस जिस्म से अब रेत की तरह
फिसल रहा
मुरझा गए है फुल सब,ना हुस्न है ना
जवानियां
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
ये कैसा इम्तेहान है,जहर में जिंदगी
घुली
लहरों में डूबकर भी लबों को
तिश्नगी मिली
मिली है हर बार मुझे ये सितम ये
मेहरबानियां
दफन हुई मेरे साथ मेरे दर्द की
कहानियां
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Phool aur maali
आओ सुनो किस्सा बागों की
एक फूल और एक माली था
सारे फूलो अपने घरों में
सिर्फ उसका रखवाली था
डरती थी वो रात से
दिन से भी घबराती थी
सूरज को वो ललकार नही पाती
चाँद से शरमाती थी
देख कर सारा बगीचा
सारी कलियां परेशान थी
कैसा नखरा इस फूल का है
कैसी ये शैतान थी
भौरों को देख आंखे बंद करती
तितलियां देख खिल जाती थी
आसमान के इंद्रधनुष देख
उसके रंगों में मिल जाती थी
कांटो में थी पली बढ़ी
फिर भी छूने से मुरझाती थी
तोड़ लेता जब कोई चोरी से
चुपके आंसू बहाती थी
बड़ी नटखट बड़ी प्यारी
जुदा उसकी सवाली थी
सारे फूल अपने घरों में
सिर्फ एक फूल की रखवाली थी
#Parveen
#review
#feature
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आओ सुनो किस्सा बागों की
एक फूल और एक माली था
सारे फूलो अपने घरों में
सिर्फ उसका रखवाली था
डरती थी वो रात से
दिन से भी घबराती थी
सूरज को वो ललकार नही पाती
चाँद से शरमाती थी
देख कर सारा बगीचा
सारी कलियां परेशान थी
कैसा नखरा इस फूल का है
कैसी ये शैतान थी
भौरों को देख आंखे बंद करती
तितलियां देख खिल जाती थी
आसमान के इंद्रधनुष देख
उसके रंगों में मिल जाती थी
कांटो में थी पली बढ़ी
फिर भी छूने से मुरझाती थी
तोड़ लेता जब कोई चोरी से
चुपके आंसू बहाती थी
बड़ी नटखट बड़ी प्यारी
जुदा उसकी सवाली थी
सारे फूल अपने घरों में
सिर्फ एक फूल की रखवाली थी
#Parveen
#review
#feature
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Phool aur maali
आओ सुनो किस्सा बागों की
एक फूल और एक माली था
सारे फूलो अपने घरों में
सिर्फ उसका रखवाली था
डरती थी वो रात से
दिन से भी घबराती थी
सूरज को वो ललकार नही पाती
चाँद से शरमाती थी
देख कर सारा बगीचा
सारी कलियां परेशान थी
कैसा नखरा इस फूल का है
कैसी ये शैतान थी
भौरों को देख आंखे बंद करती
तितलियां देख खिल जाती थी
आसमान के इंद्रधनुष देख
उसके रंगों में मिल जाती थी
कांटो में थी पली बढ़ी
फिर भी छूने से मुरझाती थी
तोड़ लेता जब कोई चोरी से
चुपके आंसू बहाती थी
बड़ी नटखट बड़ी प्यारी
जुदा उसकी सवाली थी
सारे फूल अपने घरों में
सिर्फ एक फूल की रखवाली थी
#Parveen
#review
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आओ सुनो किस्सा बागों की
एक फूल और एक माली था
सारे फूलो अपने घरों में
सिर्फ उसका रखवाली था
डरती थी वो रात से
दिन से भी घबराती थी
सूरज को वो ललकार नही पाती
चाँद से शरमाती थी
देख कर सारा बगीचा
सारी कलियां परेशान थी
कैसा नखरा इस फूल का है
कैसी ये शैतान थी
भौरों को देख आंखे बंद करती
तितलियां देख खिल जाती थी
आसमान के इंद्रधनुष देख
उसके रंगों में मिल जाती थी
कांटो में थी पली बढ़ी
फिर भी छूने से मुरझाती थी
तोड़ लेता जब कोई चोरी से
चुपके आंसू बहाती थी
बड़ी नटखट बड़ी प्यारी
जुदा उसकी सवाली थी
सारे फूल अपने घरों में
सिर्फ एक फूल की रखवाली थी
#Parveen
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तुम गीत बनो पहले
मैं होंठो पे सजाऊंगी
तुम मित बनो पहले
मैं वफा निभाऊंगी
तुम पानी बनो पहले
मैं प्यास बन जाऊंगी
जो कभी नहीं टूटे
वो आस बन जाऊंगी
तुम रंग बनो पहले
मैं उसमे रंग जाऊंगी
वो लाल रंग का तारा
माथे पे सजाऊंगी
तुम सांस बनो पहले
मैं जिंदगी बन जाऊंगी
रातें गर डसती तुम्हे
मैं दिन बन जाऊंगी
तुम नींद बनो पहले
मैं ख्वाब बन जाऊंगी
जो कभी न छलके आंखो से
वो आब बन जाऊंगी
तुम आसमान बनो पहले
मैं चांद बन जाऊंगी
तेरे घर आंगन को
शीतल कर जाऊंगी
तुम राह बनो पहले
मैं राही बन जाऊंगी
कोरे दिल की कागज पर
स्याही बन जाऊंगी
तुम आंसू बनो पहले
मैं गम बन जाऊंगी
तेरे दिल के हर जख्मों के
मरहम बन जाऊंगी
तुम जिस्म बनो पहले
मैं दिल बन जाऊंगी
सांसे ने गर छोड़ा जिस्म को
आखरी मंजिल बन जाऊंगी
#Parveen
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मैं होंठो पे सजाऊंगी
तुम मित बनो पहले
मैं वफा निभाऊंगी
तुम पानी बनो पहले
मैं प्यास बन जाऊंगी
जो कभी नहीं टूटे
वो आस बन जाऊंगी
तुम रंग बनो पहले
मैं उसमे रंग जाऊंगी
वो लाल रंग का तारा
माथे पे सजाऊंगी
तुम सांस बनो पहले
मैं जिंदगी बन जाऊंगी
रातें गर डसती तुम्हे
मैं दिन बन जाऊंगी
तुम नींद बनो पहले
मैं ख्वाब बन जाऊंगी
जो कभी न छलके आंखो से
वो आब बन जाऊंगी
तुम आसमान बनो पहले
मैं चांद बन जाऊंगी
तेरे घर आंगन को
शीतल कर जाऊंगी
तुम राह बनो पहले
मैं राही बन जाऊंगी
कोरे दिल की कागज पर
स्याही बन जाऊंगी
तुम आंसू बनो पहले
मैं गम बन जाऊंगी
तेरे दिल के हर जख्मों के
मरहम बन जाऊंगी
तुम जिस्म बनो पहले
मैं दिल बन जाऊंगी
सांसे ने गर छोड़ा जिस्म को
आखरी मंजिल बन जाऊंगी
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मंहगाई
किसे पता था ये दुनिया यूंही बदल जायेगी
जो कल तक एक रूपये का मोल था आज
दस भी ना चुका पाएगी
ये महंगाई पर एक व्यंग...जो आज के लिए
शर्मिंदगी का सबब बना हुआ है
इसके कई सारे कारण है,कुछ हद
तक हम भी इसके जिम्मेदार है
हम खुद चीज़ों का ना सही उपयोग करते
ना उसका बचाव करते...
बची कूची कसर ये भ्रष्टाचारी सरकार तो
कुछ अवैध धंधे पूरी कर देते है...
एक वक्त था की पैसे की कीमत का अंदाजा नहीं था,लोग जितना कमाते थे
उसमे से खर्च भी कर लेते थे और बचत भी,
तब महंगाई इतनी नहीं थी,लोग उस वक्त भी गरीब थे, उनका घर मिट्टी का था,
कोई वाहन नही था उनके पास,
दूर तक सफर वो पैदल करते थे,
लोग शिक्षित नहीं थे,ना जागरूक थे,
चीज़े सस्ती महंगी उस वक्त भी थी लेकिन
फिर भी महंगाई ने उन्हें इतना मजबूर
कभी नहीं किया जितना आज के दौर में कर दिया है, लोगो को सुसाइड करने
पर मजबूर.....
पहले लोग अधिकांश काम हाथो से
करते थे,मेहनत ज्यादा लगता था
और वक्त भी...
लेकिन आज मेहनत और वक्त दोनो
बचा लिए गए,फिर भी इंसान आज पहले
से ज्यादा परेशान और भूखा है...
खेतों में अन्न की उपज,कारखानों में
नए नए चीजों का उत्पादन, कृषि सम्बन्धी
नए नए टेक्नालॉजी, परिवहन,और शिक्षा
जो कल की अपेक्षा आज ज्यादा है
फिर भी लोग महंगाई की मार खा रहे है
लेकिन ये महंगाई यूंही बनी रही सरकार अगर इसका समाधान नहीं करती तो
ये भुखमरी तो लायेगा ही,और जब पेट
में अन्न के लिए पैसा नहीं होगा तो पढ़ाई
के लिए कोई क्या कोशिश करेगा,जिसके
फलस्वरूप अशिक्षिता फिर से बढ़ने लगेगी
और हर तरह से इस देश का नुकसान तय है
कई घरों में रोटियां नही मिल रही तो कहीं
चूल्हे नहीं जल रहे... इनका आय कम और
व्यय ज्यादा है,जिसके वजह से जरूरत
की चीज भी नहीं खरीद पा रहे लोग...
गरीब और मध्यम स्तर के लोगो को ऐसे
हालतों का सामना आय दिन करना पड़
रहा है
ये कृषि प्रधान देश होते हुए भी महंगाई ने सबसे ज्यादा किसानों की हालत को दयनीय बना दिया है
महंगाई की सबसे ज्यादा चोट इनपर पड़ी
है
इक गरीब के शरीर का पूरा लहू पसीना
बन कर जिस्म से निकल जाता है,ये किसान
अपना पूरा वक्त पूरी जिंदगी इसी में बीता देता है,इतनी मेहनत कर ये अनाज उपजाता
और बदले में उस अनाज की पूरी कीमत भी
नहीं मिलती,उनसे सस्ते में अनाज लेकर
मार्केट में उसकी कीमत कई गुना कर देते
ये नहीं सोचते की यहां खरीदने वाले अमीर और गरीब सब है..
कैसे एक गरीब इतनी महंगाई में
भर पेट खाना खायेगा
अपनी जरुरत की चीज खरीदेगा
कैसे वो बच्चो को नए कपड़े देगा
कैसे अच्छी शिक्षा देगा
कैसे किसी बीमारी का इलाज करवाएगा
कैसे वो उजालों में रहेगा
कैसे वो बिजली के बिल का भुगतान करेगा
हर चीज दुगुने से भी ज्यादा कीमत में
बिक रही है
इधर पेट्रोल डीजल में जैसे
आग लगी हो
और इस आग में कितने घर जल गए
और जाने कितने जलेंगे
डीजल पेट्रोल की महंगाई के वजह से
लोग अपनी वाहन use नहीं कर रहे
इस महंगाई ने देश की पूरी अर्थव्यवस्था
को बाधित किया है
इस महंगाई ने लोगो को जुर्म की तरफ
प्रेरित किया है, इंसानियत को खत्म कर
दिया
अगर इसपर ध्यान नहीं दिया गया
इसे रोका नहीं गया तो एक ये बढ़ती
महंगाई विकराल रूप लेगी और मानवता
को प्रभावित तो किया है इसने,इसे पूरी
तरह से नष्ट भी कर देगी...
#feature
#Parveen
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किसे पता था ये दुनिया यूंही बदल जायेगी
जो कल तक एक रूपये का मोल था आज
दस भी ना चुका पाएगी
ये महंगाई पर एक व्यंग...जो आज के लिए
शर्मिंदगी का सबब बना हुआ है
इसके कई सारे कारण है,कुछ हद
तक हम भी इसके जिम्मेदार है
हम खुद चीज़ों का ना सही उपयोग करते
ना उसका बचाव करते...
बची कूची कसर ये भ्रष्टाचारी सरकार तो
कुछ अवैध धंधे पूरी कर देते है...
एक वक्त था की पैसे की कीमत का अंदाजा नहीं था,लोग जितना कमाते थे
उसमे से खर्च भी कर लेते थे और बचत भी,
तब महंगाई इतनी नहीं थी,लोग उस वक्त भी गरीब थे, उनका घर मिट्टी का था,
कोई वाहन नही था उनके पास,
दूर तक सफर वो पैदल करते थे,
लोग शिक्षित नहीं थे,ना जागरूक थे,
चीज़े सस्ती महंगी उस वक्त भी थी लेकिन
फिर भी महंगाई ने उन्हें इतना मजबूर
कभी नहीं किया जितना आज के दौर में कर दिया है, लोगो को सुसाइड करने
पर मजबूर.....
पहले लोग अधिकांश काम हाथो से
करते थे,मेहनत ज्यादा लगता था
और वक्त भी...
लेकिन आज मेहनत और वक्त दोनो
बचा लिए गए,फिर भी इंसान आज पहले
से ज्यादा परेशान और भूखा है...
खेतों में अन्न की उपज,कारखानों में
नए नए चीजों का उत्पादन, कृषि सम्बन्धी
नए नए टेक्नालॉजी, परिवहन,और शिक्षा
जो कल की अपेक्षा आज ज्यादा है
फिर भी लोग महंगाई की मार खा रहे है
लेकिन ये महंगाई यूंही बनी रही सरकार अगर इसका समाधान नहीं करती तो
ये भुखमरी तो लायेगा ही,और जब पेट
में अन्न के लिए पैसा नहीं होगा तो पढ़ाई
के लिए कोई क्या कोशिश करेगा,जिसके
फलस्वरूप अशिक्षिता फिर से बढ़ने लगेगी
और हर तरह से इस देश का नुकसान तय है
कई घरों में रोटियां नही मिल रही तो कहीं
चूल्हे नहीं जल रहे... इनका आय कम और
व्यय ज्यादा है,जिसके वजह से जरूरत
की चीज भी नहीं खरीद पा रहे लोग...
गरीब और मध्यम स्तर के लोगो को ऐसे
हालतों का सामना आय दिन करना पड़
रहा है
ये कृषि प्रधान देश होते हुए भी महंगाई ने सबसे ज्यादा किसानों की हालत को दयनीय बना दिया है
महंगाई की सबसे ज्यादा चोट इनपर पड़ी
है
इक गरीब के शरीर का पूरा लहू पसीना
बन कर जिस्म से निकल जाता है,ये किसान
अपना पूरा वक्त पूरी जिंदगी इसी में बीता देता है,इतनी मेहनत कर ये अनाज उपजाता
और बदले में उस अनाज की पूरी कीमत भी
नहीं मिलती,उनसे सस्ते में अनाज लेकर
मार्केट में उसकी कीमत कई गुना कर देते
ये नहीं सोचते की यहां खरीदने वाले अमीर और गरीब सब है..
कैसे एक गरीब इतनी महंगाई में
भर पेट खाना खायेगा
अपनी जरुरत की चीज खरीदेगा
कैसे वो बच्चो को नए कपड़े देगा
कैसे अच्छी शिक्षा देगा
कैसे किसी बीमारी का इलाज करवाएगा
कैसे वो उजालों में रहेगा
कैसे वो बिजली के बिल का भुगतान करेगा
हर चीज दुगुने से भी ज्यादा कीमत में
बिक रही है
इधर पेट्रोल डीजल में जैसे
आग लगी हो
और इस आग में कितने घर जल गए
और जाने कितने जलेंगे
डीजल पेट्रोल की महंगाई के वजह से
लोग अपनी वाहन use नहीं कर रहे
इस महंगाई ने देश की पूरी अर्थव्यवस्था
को बाधित किया है
इस महंगाई ने लोगो को जुर्म की तरफ
प्रेरित किया है, इंसानियत को खत्म कर
दिया
अगर इसपर ध्यान नहीं दिया गया
इसे रोका नहीं गया तो एक ये बढ़ती
महंगाई विकराल रूप लेगी और मानवता
को प्रभावित तो किया है इसने,इसे पूरी
तरह से नष्ट भी कर देगी...
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बातों का दायरा
"बिगड़े इन हालातों में ,
हाथों से रेत की तरह ,
फिसलते वक्त में ,
मुझे नहीं पता तुमसे ,
मेरी बातों का दायरा"
मंजिल पर पहुंच कर ,
अपनें भागदौड़ की ज़िन्दगी से ,
थक जाना जब कभी ,
और खोजना कुछ सुकून के पल ,
तब यादों के गुज़रे कल में ,
ढूंढना उसे उसी जगह ,
जहाँ छोड़ गए थे तन्हा उसे ,
आँखो को बंद कर ,
ढलते शाम में देखना तुम ,
एक हंसी दिखेगी तुम्हे ,
उसी की दिशा में चलते जाना ,
याद कर सुंदर सा शहर ,
जिसे कहती थी सपनों का शहर ,
ढूंढना उस शहर को तुम ,
ऊँची ईमारतों से नहीं दिखेगी ,
आना ज़मी पर ,
जहाँ था उसका घर ,
मिलेगा वँही सपनों का शहर ,
आसमान होगा छत जिसका ,
हरी घास की ज़मी होगी ,
पौधों से सजा उपवन होगा ,
जुगनूओं से रोशनी होगी ,
आखिरी पेड़ के सिरहाने में ,
बैठी होगी वो ,
एक आस में इंतजार में ,
खोई हुई याद में ,
जाना करीब उसके तुम ,
देखना उसे पास से ,
गालों पर आए आँसु को ,
पोछ देना हाथ से ,
आँख खुलने से पहले ,
सटा लेना अपनें आप से ,
फिर पुछना धीरे से उस से ,
क्या है तुम्हारी बातों का दायरा !
सुनकर आवाज जग जाएगी ,
आँखों को विश्वास दिलाएगी ,
आसु अपने छिपाकर ,
फिर सीने से लगा जाएगी ,
फिर देखना उसकी आहट को ,
होंठो पर बिखरी चहचहाहट को ,
देखकर सरमाएगी ,
चेहरे पर लालिमा छाएगी ,
पढ़ लेना तुम मुख को उसके ,
जो दायरा बताएगी ।
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"बिगड़े इन हालातों में ,
हाथों से रेत की तरह ,
फिसलते वक्त में ,
मुझे नहीं पता तुमसे ,
मेरी बातों का दायरा"
मंजिल पर पहुंच कर ,
अपनें भागदौड़ की ज़िन्दगी से ,
थक जाना जब कभी ,
और खोजना कुछ सुकून के पल ,
तब यादों के गुज़रे कल में ,
ढूंढना उसे उसी जगह ,
जहाँ छोड़ गए थे तन्हा उसे ,
आँखो को बंद कर ,
ढलते शाम में देखना तुम ,
एक हंसी दिखेगी तुम्हे ,
उसी की दिशा में चलते जाना ,
याद कर सुंदर सा शहर ,
जिसे कहती थी सपनों का शहर ,
ढूंढना उस शहर को तुम ,
ऊँची ईमारतों से नहीं दिखेगी ,
आना ज़मी पर ,
जहाँ था उसका घर ,
मिलेगा वँही सपनों का शहर ,
आसमान होगा छत जिसका ,
हरी घास की ज़मी होगी ,
पौधों से सजा उपवन होगा ,
जुगनूओं से रोशनी होगी ,
आखिरी पेड़ के सिरहाने में ,
बैठी होगी वो ,
एक आस में इंतजार में ,
खोई हुई याद में ,
जाना करीब उसके तुम ,
देखना उसे पास से ,
गालों पर आए आँसु को ,
पोछ देना हाथ से ,
आँख खुलने से पहले ,
सटा लेना अपनें आप से ,
फिर पुछना धीरे से उस से ,
क्या है तुम्हारी बातों का दायरा !
सुनकर आवाज जग जाएगी ,
आँखों को विश्वास दिलाएगी ,
आसु अपने छिपाकर ,
फिर सीने से लगा जाएगी ,
फिर देखना उसकी आहट को ,
होंठो पर बिखरी चहचहाहट को ,
देखकर सरमाएगी ,
चेहरे पर लालिमा छाएगी ,
पढ़ लेना तुम मुख को उसके ,
जो दायरा बताएगी ।
#Rose
#review
#feature
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मैने जैसी कल्पना कि थी
प्रेम की शायद प्रेम उन सब से परे है
जिसे मैं हर बार समझने की
कोशिश में थोड़ा डूब जाती हूँ
वो थोड़ा उथला-उथला दिखता है
लेकिन फिर भी मुझें वो नहीं मिला
जिसकी तलाश है
फिर भी मुझें उत्तर नही मिलता
जिसे मैं सुनकर या पढ़कर प्रेम की गहराई को जान पाऊँ
मैं आज भी नहीं समझ पाई प्रेम क्या है
हजारो युगों से हजारो विद्वानों ने,
लेखको ने,
दार्शनिक ने क्या क्या ,
कितनी गहराई से लिखा
शायद इसका कोई विस्तार नही है
लेक़िन हर दफा प्रेम को पूरा होने में
कुछ ना कुछ झूट जाता है
जैसे प्रेम अपने आप में अधूरा
होकर पूर्ण हो जाता है
जब गौर से देखो और समझो
तब पता चलता है
उथला देखते देखते वो तुम्हें
अनंत गहराई में ले जाती है
वहाँ देखने में पता चलता है उस गहराई में अंधेरे के अलावा कुछ नहीं ,वो मन की एक ऐसी व्यथा है जिसमें एक उथली चीज़ो में गहराई देखने लगते है
~रोशनी
#Roshni
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प्रेम की शायद प्रेम उन सब से परे है
जिसे मैं हर बार समझने की
कोशिश में थोड़ा डूब जाती हूँ
वो थोड़ा उथला-उथला दिखता है
लेकिन फिर भी मुझें वो नहीं मिला
जिसकी तलाश है
फिर भी मुझें उत्तर नही मिलता
जिसे मैं सुनकर या पढ़कर प्रेम की गहराई को जान पाऊँ
मैं आज भी नहीं समझ पाई प्रेम क्या है
हजारो युगों से हजारो विद्वानों ने,
लेखको ने,
दार्शनिक ने क्या क्या ,
कितनी गहराई से लिखा
शायद इसका कोई विस्तार नही है
लेक़िन हर दफा प्रेम को पूरा होने में
कुछ ना कुछ झूट जाता है
जैसे प्रेम अपने आप में अधूरा
होकर पूर्ण हो जाता है
जब गौर से देखो और समझो
तब पता चलता है
उथला देखते देखते वो तुम्हें
अनंत गहराई में ले जाती है
वहाँ देखने में पता चलता है उस गहराई में अंधेरे के अलावा कुछ नहीं ,वो मन की एक ऐसी व्यथा है जिसमें एक उथली चीज़ो में गहराई देखने लगते है
~रोशनी
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प्रेम की कल्पना/ prem ki kalpna
मैने जैसी कल्पना कि थी
प्रेम की शायद प्रेम उन सब से परे है
जिसे मैं हर बार समझने की
कोशिश में थोड़ा डूब जाती हूँ
वो थोड़ा उथला-उथला दिखता है
लेकिन फिर भी मुझें वो नहीं मिला
जिसकी तलाश है
फिर भी मुझें उत्तर नही मिलता
जिसे मैं सुनकर या पढ़कर प्रेम की गहराई को जान पाऊँ
मैं आज भी नहीं समझ पाई प्रेम क्या है
हजारो युगों से हजारो विद्वानों ने,
लेखको ने,
दार्शनिक ने क्या क्या ,
कितनी गहराई से लिखा
शायद इसका कोई विस्तार नही है
लेक़िन हर दफा प्रेम को पूरा होने में
कुछ ना कुछ झूट जाता है
जैसे प्रेम अपने आप में अधूरा
होकर पूर्ण हो जाता है
जब गौर से देखो और समझो
तब पता चलता है
उथला देखते देखते वो तुम्हें
अनंत गहराई में ले जाती है
वहाँ देखने में पता चलता है उस गहराई में अंधेरे के अलावा कुछ नहीं ,वो मन की एक ऐसी व्यथा है जिसमें एक उथली चीज़ो में गहराई देखने लगते है
~रोशनी
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मैने जैसी कल्पना कि थी
प्रेम की शायद प्रेम उन सब से परे है
जिसे मैं हर बार समझने की
कोशिश में थोड़ा डूब जाती हूँ
वो थोड़ा उथला-उथला दिखता है
लेकिन फिर भी मुझें वो नहीं मिला
जिसकी तलाश है
फिर भी मुझें उत्तर नही मिलता
जिसे मैं सुनकर या पढ़कर प्रेम की गहराई को जान पाऊँ
मैं आज भी नहीं समझ पाई प्रेम क्या है
हजारो युगों से हजारो विद्वानों ने,
लेखको ने,
दार्शनिक ने क्या क्या ,
कितनी गहराई से लिखा
शायद इसका कोई विस्तार नही है
लेक़िन हर दफा प्रेम को पूरा होने में
कुछ ना कुछ झूट जाता है
जैसे प्रेम अपने आप में अधूरा
होकर पूर्ण हो जाता है
जब गौर से देखो और समझो
तब पता चलता है
उथला देखते देखते वो तुम्हें
अनंत गहराई में ले जाती है
वहाँ देखने में पता चलता है उस गहराई में अंधेरे के अलावा कुछ नहीं ,वो मन की एक ऐसी व्यथा है जिसमें एक उथली चीज़ो में गहराई देखने लगते है
~रोशनी
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झील किनारे आ जाना🌹
Jhil kinare aa jana
कुछ गीत पुराने याद आए कुछ गीत पुराने भूल गए
कुछ धुंधली सी यादों की तस्वीर पुरानी भूल गए
नहीं जागते अब रातों में वो चांद अधूरा भूल गए
वो मुझसे मिलने आए थे पर पूरा आना भूल गए
जो कभी राह तकते थे,वो मेरा चेहरा भूल गए
मुझे दिल में रखना भूल गए,वो सारे पहरे भूल गए
याद नहीं मैं उनमें हूं,कुछ इस तरह हमें भूल गए
ऐसी विरानियां आई फिर वो सहरा सहरा भूल गए
वो टूट कर तो आए थे फिर भी बिखरना भूल गए
कुछ आईने को संवार दी पर खुद संवरना भूल गए
फिर भी कहती रहती मैं तुम भूल से सब भुला जाना
वक्त मिले तो मुझसे मिलने झील किनारे आ जाना
जब आना मुझसे मिलने कुछ पुराने सपने ले आना
जो साथ बिताए लम्हे थे कुछ लम्हें उनमें से ले आना
बिखरे हुए लफ्जों की कोई अधूरी कहानी ले आना
आंखो में काजल के साथ कोई गजल पुरानी ले आना
मांगी थी दुआ हमने कभी तारो की उन झुरमुट से
आसमान में तारो की बनी वो शहर पुरानी ले आना
ना कहना तुम घबराए हो ना कहना तुम शरमाए हो
जब भी आना पूरा आना ना आधी जवानी ले आना
अक्सर रातों को नींदों से तुम ख्वाब चुराकर जाते थे
वो ख्वाब आंखो में ले आना वो रात पुरानी ले आना
फिर भी कहूंगी मैं तुमसे वही नगमे फिर दुहरा जाना
वक्त मिले तो मुझसे मिलने झील किनारे आ जाना
वही तारो की चमक होगी वही चांद की पनाह होगी
वही सुनी सी वादिया होंगी वही तन्हा फिर राह होगी
होगी फिर एक लंबी रातें, रातों में याद जवां होगी
कुछ तुम लबों से कह देना कुछ मेरे लबों से बयां होगी
स्याह बादल में लिपटे कुछ बूंदे फिर मेहरबान होगी
फिर तेरी बाहों में मेरी इक छोटी सी आशियां होगी
इत्र की महक सांसों में और हवाओं में शोखिया होगी
दो पल की मुलाकात में सदियों की गुजरी जहां होगी
बस एक बार कह देना इक झूठा ही वादा कर लेना
भले तू साथ नही होगा पर ये लम्हा यादगार होगी
फिर भी कहती मेरी जान,जी भर मुझे तड़पा जाना
वक्त मिले तो मुझसे मिलने झील किनारे आ जाना
#Parveen
#review
#feature
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Jhil kinare aa jana
कुछ गीत पुराने याद आए कुछ गीत पुराने भूल गए
कुछ धुंधली सी यादों की तस्वीर पुरानी भूल गए
नहीं जागते अब रातों में वो चांद अधूरा भूल गए
वो मुझसे मिलने आए थे पर पूरा आना भूल गए
जो कभी राह तकते थे,वो मेरा चेहरा भूल गए
मुझे दिल में रखना भूल गए,वो सारे पहरे भूल गए
याद नहीं मैं उनमें हूं,कुछ इस तरह हमें भूल गए
ऐसी विरानियां आई फिर वो सहरा सहरा भूल गए
वो टूट कर तो आए थे फिर भी बिखरना भूल गए
कुछ आईने को संवार दी पर खुद संवरना भूल गए
फिर भी कहती रहती मैं तुम भूल से सब भुला जाना
वक्त मिले तो मुझसे मिलने झील किनारे आ जाना
जब आना मुझसे मिलने कुछ पुराने सपने ले आना
जो साथ बिताए लम्हे थे कुछ लम्हें उनमें से ले आना
बिखरे हुए लफ्जों की कोई अधूरी कहानी ले आना
आंखो में काजल के साथ कोई गजल पुरानी ले आना
मांगी थी दुआ हमने कभी तारो की उन झुरमुट से
आसमान में तारो की बनी वो शहर पुरानी ले आना
ना कहना तुम घबराए हो ना कहना तुम शरमाए हो
जब भी आना पूरा आना ना आधी जवानी ले आना
अक्सर रातों को नींदों से तुम ख्वाब चुराकर जाते थे
वो ख्वाब आंखो में ले आना वो रात पुरानी ले आना
फिर भी कहूंगी मैं तुमसे वही नगमे फिर दुहरा जाना
वक्त मिले तो मुझसे मिलने झील किनारे आ जाना
वही तारो की चमक होगी वही चांद की पनाह होगी
वही सुनी सी वादिया होंगी वही तन्हा फिर राह होगी
होगी फिर एक लंबी रातें, रातों में याद जवां होगी
कुछ तुम लबों से कह देना कुछ मेरे लबों से बयां होगी
स्याह बादल में लिपटे कुछ बूंदे फिर मेहरबान होगी
फिर तेरी बाहों में मेरी इक छोटी सी आशियां होगी
इत्र की महक सांसों में और हवाओं में शोखिया होगी
दो पल की मुलाकात में सदियों की गुजरी जहां होगी
बस एक बार कह देना इक झूठा ही वादा कर लेना
भले तू साथ नही होगा पर ये लम्हा यादगार होगी
फिर भी कहती मेरी जान,जी भर मुझे तड़पा जाना
वक्त मिले तो मुझसे मिलने झील किनारे आ जाना
#Parveen
#review
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मां-पापा की प्यारी बिटिया
जिससे घर रौशन होता था
जिसे फूलों जैसे पाला था
जिससे खुश आंगन होता था
जो अम्मा की प्यारी गुड़िया थी
और पापा का अभिमान थी जो
जो प्राणों की रक्षा करती थी
ख़ुद ईश्वर का वरदान थी जो
वो सोच रही थी उस पल में
क्या यही न्याय है नियति का
और पूछ रहीं थी दुनिया से
क्या यही मोल है लड़की का
आंखों से बहते खून में जब
सब सपने बहते जाते थे
तो पूछ रही थी वो बेबस
क्या यही मेरे तप का फल था
टूटी ऊंगली और हाथों से
लड़ रही थी जब वो वहशी से
तो पूछ रही होगी खुद से
क्या दोष मेरा अपराध हैं क्या
जब लड़ते-लड़ते आखिर में
वो झेल चुकी थी वार कई
पीड़ा ने सबकुछ घेर लिया
हिम्मत और आशा हार गई
तो छोड़ चली वो जीवन को
जो जीवन की रक्षा करती थी
और छोड़ दिया उस दुनिया को
जहां इतनी पीड़ा बसती थी
अब कहती होगी झूठ है सब
जो परियों की गाथाऐं हैं
अब कहती होगी झूठ है सब
जो कानून की धाराएं हैं
अब कहती होगी झूठ है सब
जो सत्य-अहिंसा कहते हैं
और थूकती होगी दुनिया पर
जहां ऐसे वहशी रहते हैं
#Hriday
#review
#feature
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जिससे घर रौशन होता था
जिसे फूलों जैसे पाला था
जिससे खुश आंगन होता था
जो अम्मा की प्यारी गुड़िया थी
और पापा का अभिमान थी जो
जो प्राणों की रक्षा करती थी
ख़ुद ईश्वर का वरदान थी जो
वो सोच रही थी उस पल में
क्या यही न्याय है नियति का
और पूछ रहीं थी दुनिया से
क्या यही मोल है लड़की का
आंखों से बहते खून में जब
सब सपने बहते जाते थे
तो पूछ रही थी वो बेबस
क्या यही मेरे तप का फल था
टूटी ऊंगली और हाथों से
लड़ रही थी जब वो वहशी से
तो पूछ रही होगी खुद से
क्या दोष मेरा अपराध हैं क्या
जब लड़ते-लड़ते आखिर में
वो झेल चुकी थी वार कई
पीड़ा ने सबकुछ घेर लिया
हिम्मत और आशा हार गई
तो छोड़ चली वो जीवन को
जो जीवन की रक्षा करती थी
और छोड़ दिया उस दुनिया को
जहां इतनी पीड़ा बसती थी
अब कहती होगी झूठ है सब
जो परियों की गाथाऐं हैं
अब कहती होगी झूठ है सब
जो कानून की धाराएं हैं
अब कहती होगी झूठ है सब
जो सत्य-अहिंसा कहते हैं
और थूकती होगी दुनिया पर
जहां ऐसे वहशी रहते हैं
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