कृतज्ञता
कभी कभी मन में ख्याल आता है,
कि सब कुछ कितना हसीन है,
ओस से ढके सवेरे
और सर्दी की ढलती शामों में,
ढलती धूप से सजे खेत,
सूखे से पत्ते;
खाली सी टहनियाँ;
सब कुछ कितना सुंदर लगता है;
जब मन में प्रेम बसा हो,
जीवन के लिए,
या जीवन जीने के लिए,
जीवन में आगे बढ़ने के लिए,
या जीवन के ठहराव के लिए,
कभी कभी लगता है,
कि सब कुछ अंत तक आ चुका है,
लाज़मी होता है ऐसे में,
टूट कर बिखर जाना,
पर सफ़ल तो वो है,
जो टूट कर सिमटना जानता है,
जो उन टुकड़ों का मूल्य जानता है,
मंज़िल पर पहुंचना लाज़मी तो नहीं होता,
लाज़मी तो खैर सफ़र होता है,
जो बहुत कुछ सीखा देता है,
जब मन में चाहत होती है,
तो रास्ते मिल जाते हैं,
शायद इसे अच्छी किस्मत कहते हैं या क्या, मुझे मालूम नहीं,
शायद किस्मत जैसा कुछ होता ही नहीं,
पर कुछ तो होता है,
जो हमारे साथ चलता है,
हमारे मन में चाह और प्रेम देख कर,
हमें रास्ता दिखाता है,
हमें हिम्मत देता है,
वो क्या है मुझे नहीं पता,
पर वो जो कुछ भी है,
मैं उसके लिए आभारी हूँ,
#lotus
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कभी कभी मन में ख्याल आता है,
कि सब कुछ कितना हसीन है,
ओस से ढके सवेरे
और सर्दी की ढलती शामों में,
ढलती धूप से सजे खेत,
सूखे से पत्ते;
खाली सी टहनियाँ;
सब कुछ कितना सुंदर लगता है;
जब मन में प्रेम बसा हो,
जीवन के लिए,
या जीवन जीने के लिए,
जीवन में आगे बढ़ने के लिए,
या जीवन के ठहराव के लिए,
कभी कभी लगता है,
कि सब कुछ अंत तक आ चुका है,
लाज़मी होता है ऐसे में,
टूट कर बिखर जाना,
पर सफ़ल तो वो है,
जो टूट कर सिमटना जानता है,
जो उन टुकड़ों का मूल्य जानता है,
मंज़िल पर पहुंचना लाज़मी तो नहीं होता,
लाज़मी तो खैर सफ़र होता है,
जो बहुत कुछ सीखा देता है,
जब मन में चाहत होती है,
तो रास्ते मिल जाते हैं,
शायद इसे अच्छी किस्मत कहते हैं या क्या, मुझे मालूम नहीं,
शायद किस्मत जैसा कुछ होता ही नहीं,
पर कुछ तो होता है,
जो हमारे साथ चलता है,
हमारे मन में चाह और प्रेम देख कर,
हमें रास्ता दिखाता है,
हमें हिम्मत देता है,
वो क्या है मुझे नहीं पता,
पर वो जो कुछ भी है,
मैं उसके लिए आभारी हूँ,
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संसार जल गया,
जंगल रौंद दिये गये,
पक्षी दर्दनाक मौत मारे गए
और पशु चारे के लिए तरसते रहे
झीलें सुख गई,
और झरनों का प्रवाह रुक गया,
गलेशियर पिघलने लगे,
घर तहस-नहस हो गए,
भैंसों को चारा नहीं,
और कौए को पानी नहीं मिला,
पैसे छापने वाली मशीनें बंद हो गई,
और कुछ किसी के बाप का न रहा,
सब आपस में लूट खसूट करने लगे,
इंसान चिटियों की तरह छुप गए,
कल भयानक बर्बादी का दिन था
और आज खाने के लाले पड़े हैं,
बाढ़ आने को है,
जो संसार को डुबा ले जायेगी,
कुछ भी काम नहीं आ रहा,
न बम्ब से बीमारी मरी,
न सिपाही सूखे को रोक सके,
और आज वो बाढ़ भी न रोक पाएंगे,
संसार जल रहा है,
चारों और आग ही आग है,
अंगारे बरस रहे हैं,
धुंआ मास्क का मतलब नहीं समझता,
इंसान यदि और जिंदा रहे,
तो एक दूसरे का माँस खायेंगे,
जंगली जानवरों की तरह,
जो मिलेगा उसे कच्चा चबा जायेंगे,
कोई अपना हो या अपना दुश्मन,
छोटी जात का या नवजात,
तब कोई भेद भाव नहीं रहेगा,
भूख को सबकी चमड़ी एक समान नज़र आएगी,
धरती की मृत्यु दूर नहीं,
और तुम यहाँ सो रहे हो,
खून से लथपथ, चैन की नींद,
उठो और नये आविष्कार करो,
नाम बनाने के लिए,
पुरुस्कार जितने के लिए
संसार को बचाने के लिए,
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जंगल रौंद दिये गये,
पक्षी दर्दनाक मौत मारे गए
और पशु चारे के लिए तरसते रहे
झीलें सुख गई,
और झरनों का प्रवाह रुक गया,
गलेशियर पिघलने लगे,
घर तहस-नहस हो गए,
भैंसों को चारा नहीं,
और कौए को पानी नहीं मिला,
पैसे छापने वाली मशीनें बंद हो गई,
और कुछ किसी के बाप का न रहा,
सब आपस में लूट खसूट करने लगे,
इंसान चिटियों की तरह छुप गए,
कल भयानक बर्बादी का दिन था
और आज खाने के लाले पड़े हैं,
बाढ़ आने को है,
जो संसार को डुबा ले जायेगी,
कुछ भी काम नहीं आ रहा,
न बम्ब से बीमारी मरी,
न सिपाही सूखे को रोक सके,
और आज वो बाढ़ भी न रोक पाएंगे,
संसार जल रहा है,
चारों और आग ही आग है,
अंगारे बरस रहे हैं,
धुंआ मास्क का मतलब नहीं समझता,
इंसान यदि और जिंदा रहे,
तो एक दूसरे का माँस खायेंगे,
जंगली जानवरों की तरह,
जो मिलेगा उसे कच्चा चबा जायेंगे,
कोई अपना हो या अपना दुश्मन,
छोटी जात का या नवजात,
तब कोई भेद भाव नहीं रहेगा,
भूख को सबकी चमड़ी एक समान नज़र आएगी,
धरती की मृत्यु दूर नहीं,
और तुम यहाँ सो रहे हो,
खून से लथपथ, चैन की नींद,
उठो और नये आविष्कार करो,
नाम बनाने के लिए,
पुरुस्कार जितने के लिए
संसार को बचाने के लिए,
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संसार जल गया,
जंगल रौंद दिये गये,
पक्षी दर्दनाक मौत मारे गए
और पशु चारे के लिए तरसते रहे
झीलें सुख गई,
और झरनों का प्रवाह रुक गया,
गलेशियर पिघलने लगे,
घर तहस-नहस हो गए,
भैंसों को चारा नहीं,
और कौए को पानी नहीं मिला,
पैसे छापने वाली मशीनें बंद हो गई,
और कुछ किसी के बाप का न रहा,
सब आपस में लूट खसूट करने लगे,
इंसान चिटियों की तरह छुप गए,
कल भयानक बर्बादी का दिन था
और आज खाने के लाले पड़े हैं,
बाढ़ आने को है,
जो संसार को डुबा ले जायेगी,
कुछ भी काम नहीं आ रहा,
न बम्ब से बीमारी मरी,
न सिपाही सूखे को रोक सके,
और आज वो बाढ़ भी न रोक पाएंगे,
संसार जल रहा है,
चारों और आग ही आग है,
अंगारे बरस रहे हैं,
धुंआ मास्क का मतलब नहीं समझता,
इंसान यदि और जिंदा रहे,
तो एक दूसरे का माँस खायेंगे,
जंगली जानवरों की तरह,
जो मिलेगा उसे कच्चा चबा जायेंगे,
कोई अपना हो या अपना दुश्मन,
छोटी जात का या नवजात,
तब कोई भेद भाव नहीं रहेगा,
भूख को सबकी चमड़ी एक समान नज़र आएगी,
धरती की मृत्यु दूर नहीं,
और तुम यहाँ सो रहे हो,
खून से लथपथ, चैन की नींद,
उठो और नये आविष्कार करो,
नाम बनाने के लिए,
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जंगल रौंद दिये गये,
पक्षी दर्दनाक मौत मारे गए
और पशु चारे के लिए तरसते रहे
झीलें सुख गई,
और झरनों का प्रवाह रुक गया,
गलेशियर पिघलने लगे,
घर तहस-नहस हो गए,
भैंसों को चारा नहीं,
और कौए को पानी नहीं मिला,
पैसे छापने वाली मशीनें बंद हो गई,
और कुछ किसी के बाप का न रहा,
सब आपस में लूट खसूट करने लगे,
इंसान चिटियों की तरह छुप गए,
कल भयानक बर्बादी का दिन था
और आज खाने के लाले पड़े हैं,
बाढ़ आने को है,
जो संसार को डुबा ले जायेगी,
कुछ भी काम नहीं आ रहा,
न बम्ब से बीमारी मरी,
न सिपाही सूखे को रोक सके,
और आज वो बाढ़ भी न रोक पाएंगे,
संसार जल रहा है,
चारों और आग ही आग है,
अंगारे बरस रहे हैं,
धुंआ मास्क का मतलब नहीं समझता,
इंसान यदि और जिंदा रहे,
तो एक दूसरे का माँस खायेंगे,
जंगली जानवरों की तरह,
जो मिलेगा उसे कच्चा चबा जायेंगे,
कोई अपना हो या अपना दुश्मन,
छोटी जात का या नवजात,
तब कोई भेद भाव नहीं रहेगा,
भूख को सबकी चमड़ी एक समान नज़र आएगी,
धरती की मृत्यु दूर नहीं,
और तुम यहाँ सो रहे हो,
खून से लथपथ, चैन की नींद,
उठो और नये आविष्कार करो,
नाम बनाने के लिए,
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ऐसे बड़े कामों सा ज़रा प्रहेज़ रखिये,
हम छोटी सोच वालों को भी नज़र में रखिये,
इश्क़ करो और करो सरहदों से भी ऊँचा,
मोहल्ला बदनाम है, बंद घर की दहलीज़ रखिये,
मैं नुक्कड़ पर बैठा यही सब तो देखता हूँ,
बस गुजरते वक्त आप थोड़ी तमीज़ रखिये,
अरे मेरे जैसे इस गली में बहुत मिलेंगें,
चोरी न हो, ज़ेवर ज़रा तीजोरी में रखिये,
बुज़्दिलों का शहर है, हँसते हँसते मार देते हैं,
जाँ प्यारी है तो तन बदन को महफ़ूज़ रखिये,
कोठे नहीं मिलेंगें इस शहर में, उसूल पक्के हैं,
अपनी औरत ढूँढिये और ज़रा पर्दा रखिये,
पर्दा गिरा और सब दिख गया, तो आँखें बंद न होगी,
बस इतनी सी लाज़ रखिये, के उस छी से डर रखिये,
मेरा क्या है मैं तो झुंड की भेड़ हूँ,
अकेले शेर हैं,ज़रा ताज की कदर रखिये,
दीवार पर लिखा है "यहाँ कुत्ते मूतते हैं",
ज़रा निशां देखिये और अपनी कौम को अलग रखिये,
कुड़ेदान बराबर रखे हैं हर नुक्कड़ पे,
यूँ गंदगी न फैलाइये मेरे शहर को साफ़ रखिये,
बालकनी में खड़े हो कर थूकोगे अगर गली में,
तो जनाब कान बंद रखिये, और मुँह छुपा कर रखिये,
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हम छोटी सोच वालों को भी नज़र में रखिये,
इश्क़ करो और करो सरहदों से भी ऊँचा,
मोहल्ला बदनाम है, बंद घर की दहलीज़ रखिये,
मैं नुक्कड़ पर बैठा यही सब तो देखता हूँ,
बस गुजरते वक्त आप थोड़ी तमीज़ रखिये,
अरे मेरे जैसे इस गली में बहुत मिलेंगें,
चोरी न हो, ज़ेवर ज़रा तीजोरी में रखिये,
बुज़्दिलों का शहर है, हँसते हँसते मार देते हैं,
जाँ प्यारी है तो तन बदन को महफ़ूज़ रखिये,
कोठे नहीं मिलेंगें इस शहर में, उसूल पक्के हैं,
अपनी औरत ढूँढिये और ज़रा पर्दा रखिये,
पर्दा गिरा और सब दिख गया, तो आँखें बंद न होगी,
बस इतनी सी लाज़ रखिये, के उस छी से डर रखिये,
मेरा क्या है मैं तो झुंड की भेड़ हूँ,
अकेले शेर हैं,ज़रा ताज की कदर रखिये,
दीवार पर लिखा है "यहाँ कुत्ते मूतते हैं",
ज़रा निशां देखिये और अपनी कौम को अलग रखिये,
कुड़ेदान बराबर रखे हैं हर नुक्कड़ पे,
यूँ गंदगी न फैलाइये मेरे शहर को साफ़ रखिये,
बालकनी में खड़े हो कर थूकोगे अगर गली में,
तो जनाब कान बंद रखिये, और मुँह छुपा कर रखिये,
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ऐसे बड़े कामों सा ज़रा प्रहेज़ रखिये,
हम छोटी सोच वालों को भी नज़र में रखिये,
इश्क़ करो और करो सरहदों से भी ऊँचा,
मोहल्ला बदनाम है, तंग घर की दहलीज़ रखिये,
मैं नुक्कड़ पर बैठा यही सब तो देखता हूँ,
बस गुजरते वक्त आप थोड़ी तमीज़ रखिये,
अरे मेरे जैसे इस गली में बहुत मिलेंगें,
चोरी न हो, ज़ेवर ज़रा तीजोरी में रखिये,
बुज़्दिलों का शहर है, हँसते हँसते मार देते हैं,
जाँ प्यारी है तो तन बदन को महफ़ूज़ रखिये,
कोठे नहीं मिलेंगें इस शहर में, उसूल पक्के हैं,
अपनी औरत ढूँढिये और ज़रा पर्दा रखिये,
पर्दा गिरा और सब दिख गया, तो आँखें बंद न होगी,
बस इतनी सी लाज़ रखिये, के उस छी से डर रखिये,
मेरा क्या है मैं तो झुंड की भेड़ हूँ,
अकेले शेर हैं,ज़रा ताज की कदर रखिये,
दीवार पर लिखा है "यहाँ कुत्ते मूतते हैं",
ज़रा निशां देखिये और अपनी कौम को अलग रखिये,
कुड़ेदान बराबर रखे हैं हर नुक्कड़ पे,
यूँ गंदगी न फैलाइये मेरे शहर को साफ़ रखिये,
बालकनी में खड़े हो कर थूकोगे अगर गली में,
तो जनाब कान बंद रखिये, और मुँह छुपा कर रखिये,
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इश्क़ करो और करो सरहदों से भी ऊँचा,
मोहल्ला बदनाम है, तंग घर की दहलीज़ रखिये,
मैं नुक्कड़ पर बैठा यही सब तो देखता हूँ,
बस गुजरते वक्त आप थोड़ी तमीज़ रखिये,
अरे मेरे जैसे इस गली में बहुत मिलेंगें,
चोरी न हो, ज़ेवर ज़रा तीजोरी में रखिये,
बुज़्दिलों का शहर है, हँसते हँसते मार देते हैं,
जाँ प्यारी है तो तन बदन को महफ़ूज़ रखिये,
कोठे नहीं मिलेंगें इस शहर में, उसूल पक्के हैं,
अपनी औरत ढूँढिये और ज़रा पर्दा रखिये,
पर्दा गिरा और सब दिख गया, तो आँखें बंद न होगी,
बस इतनी सी लाज़ रखिये, के उस छी से डर रखिये,
मेरा क्या है मैं तो झुंड की भेड़ हूँ,
अकेले शेर हैं,ज़रा ताज की कदर रखिये,
दीवार पर लिखा है "यहाँ कुत्ते मूतते हैं",
ज़रा निशां देखिये और अपनी कौम को अलग रखिये,
कुड़ेदान बराबर रखे हैं हर नुक्कड़ पे,
यूँ गंदगी न फैलाइये मेरे शहर को साफ़ रखिये,
बालकनी में खड़े हो कर थूकोगे अगर गली में,
तो जनाब कान बंद रखिये, और मुँह छुपा कर रखिये,
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हम छोटी सोच वालों को भी नज़र में रखिये,
इश्क़ करो और करो सरहदों से भी ऊँचा,
मोहल्ला बदनाम है, तंग घर की दहलीज़ रखिये,
मैं नुक्कड़ पर बैठा यही सब तो देखता हूँ,
बस गुजरते वक्त आप थोड़ी सी ही तमीज़ रखिये,
अरे मेरे जैसे इस गली में बहुत मिलेंगें,
चोरी न हो, ज़ेवर ज़रा तीजोरी में रखिये,
बुज़्दिलों का शहर है, हँसते हँसते मार देते हैं,
जाँ प्यारी है तो तन बदन को महफ़ूज़ रखिये,
कोठे नहीं मिलेंगें इस शहर में, उसूल पक्के हैं,
अपनी औरत ढूँढिये और ज़रा पर्दा रखिये,
पर्दा गिरा और सब दिख गया, तो आँखें बंद न होगी,
बस इतनी सी लाज़ रखिये, के उस छी से डर रखिये,
मेरा क्या है मैं तो झुंड की भेड़ हूँ,
अकेले शेर हैं,ज़रा ताज की कदर रखिये,
दीवार पर लिखा है "यहाँ कुत्ते मूतते हैं",
ज़रा निशां देखिये और अपनी कौम को अलग रखिये,
कुड़ेदान बराबर रखे हैं हर नुक्कड़ पे,
यूँ गंदगी न फैलाइये मेरे शहर को साफ़ रखिये,
बालकनी में खड़े हो कर थूकोगे अगर गली में,
तो जनाब कान बंद रखिये, और मुँह छुपा कर रखिये,
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मोहल्ला बदनाम है, तंग घर की दहलीज़ रखिये,
मैं नुक्कड़ पर बैठा यही सब तो देखता हूँ,
बस गुजरते वक्त आप थोड़ी सी ही तमीज़ रखिये,
अरे मेरे जैसे इस गली में बहुत मिलेंगें,
चोरी न हो, ज़ेवर ज़रा तीजोरी में रखिये,
बुज़्दिलों का शहर है, हँसते हँसते मार देते हैं,
जाँ प्यारी है तो तन बदन को महफ़ूज़ रखिये,
कोठे नहीं मिलेंगें इस शहर में, उसूल पक्के हैं,
अपनी औरत ढूँढिये और ज़रा पर्दा रखिये,
पर्दा गिरा और सब दिख गया, तो आँखें बंद न होगी,
बस इतनी सी लाज़ रखिये, के उस छी से डर रखिये,
मेरा क्या है मैं तो झुंड की भेड़ हूँ,
अकेले शेर हैं,ज़रा ताज की कदर रखिये,
दीवार पर लिखा है "यहाँ कुत्ते मूतते हैं",
ज़रा निशां देखिये और अपनी कौम को अलग रखिये,
कुड़ेदान बराबर रखे हैं हर नुक्कड़ पे,
यूँ गंदगी न फैलाइये मेरे शहर को साफ़ रखिये,
बालकनी में खड़े हो कर थूकोगे अगर गली में,
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हम छोटी सोच वालों को भी नज़र में रखिये,
इश्क़ करो और करो सरहदों से भी ऊँचा,
मोहल्ला बदनाम है, तंग घर की दहलीज़ रखिये,
मैं नुक्कड़ पर बैठा यही सब तो देखता हूँ,
बस गुजरते वक्त आप थोड़ी सी ही तमीज़ रखिये,
अरे मेरे जैसे इस गली में बहुत मिल जायेगें,
चोरी न हो जाएँ, ज़ेवर तीजोरी में संभाल रखिये,
बुज़्दिलों का शहर है, हँसते हँसते मार देते हैं,
जाँ प्यारी है तो तन बदन को महफ़ूज़ रखिये,
कोठे नहीं मिलेंगें यहाँ,इस शहर के उसूल पक्के हैं,
अपनी औरत ढूँढिये और ज़रा सबसे पर्दा रखिये,
पर्दा गिरा और सब दिख गया, तो आँखें बंद न होगी,
बस इतनी सी लाज़ रखिये, के उस छी से डर रखिये,
मेरा क्या है मैं तो झुंड की भेड़ हूँ,
अकेले शेर हैं,ज़रा ताज की कदर रखिये,
दीवार पर लिखा है "यहाँ कुत्ते मूतते हैं",
ज़रा निशां देखिये और अपनी कौम को अलग रखिये,
कुड़ेदान बराबर रखे हैं हर नुक्कड़ पे,
यूँ गंदगी न फैलाइये मेरे शहर को साफ़ रखिये,
बालकनी में खड़े हो कर थूकोगे अगर गली में,
तो जनाब कान बंद रखिये, और मुँह छुपा कर रखिये,
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मोहल्ला बदनाम है, तंग घर की दहलीज़ रखिये,
मैं नुक्कड़ पर बैठा यही सब तो देखता हूँ,
बस गुजरते वक्त आप थोड़ी सी ही तमीज़ रखिये,
अरे मेरे जैसे इस गली में बहुत मिल जायेगें,
चोरी न हो जाएँ, ज़ेवर तीजोरी में संभाल रखिये,
बुज़्दिलों का शहर है, हँसते हँसते मार देते हैं,
जाँ प्यारी है तो तन बदन को महफ़ूज़ रखिये,
कोठे नहीं मिलेंगें यहाँ,इस शहर के उसूल पक्के हैं,
अपनी औरत ढूँढिये और ज़रा सबसे पर्दा रखिये,
पर्दा गिरा और सब दिख गया, तो आँखें बंद न होगी,
बस इतनी सी लाज़ रखिये, के उस छी से डर रखिये,
मेरा क्या है मैं तो झुंड की भेड़ हूँ,
अकेले शेर हैं,ज़रा ताज की कदर रखिये,
दीवार पर लिखा है "यहाँ कुत्ते मूतते हैं",
ज़रा निशां देखिये और अपनी कौम को अलग रखिये,
कुड़ेदान बराबर रखे हैं हर नुक्कड़ पे,
यूँ गंदगी न फैलाइये मेरे शहर को साफ़ रखिये,
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मोहल्ला बदनाम है, तंग घर की दहलीज़ रखिये,
मैं नुक्कड़ पर बैठा यही सब तो देखता हूँ,
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अरे मेरे जैसे इस गली में बहुत मिल जायेगें,
चोरी न हो जाएँ, ज़ेवर तीजोरी में संभाल रखिये,
बुज़्दिलों का शहर है, हँसते हँसते मार देते हैं,
जाँ प्यारी है तो तन बदन को महफ़ूज़ रखिये,
कोठे नहीं मिलेंगें यहाँ,इस शहर के उसूल पक्के हैं,
अपनी औरत ढूँढिये और ज़रा सबसे पर्दा रखिये,
पर्दा गिरा और सब दिख गया, तो आँखें बंद न होगी,
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मेरा क्या है मैं तो झुंड की भेड़ हूँ,
आप अकेले शेर हैं,ज़रा ताज़ की कीमत रखिये,
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ज़रा निशां देखिये और अपनी कौम को अलग रखिये,
कुड़ेदान बराबर रखे हैं हर नुक्कड़ पे,
यूँ गंदगी न फैलाइये मेरे शहर को साफ़ रखिये,
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बुज़्दिलों का शहर है, हँसते हँसते मार देते हैं,
जाँ प्यारी है तो तन बदन को महफ़ूज़ रखिये,
कोठे नहीं मिलेंगें यहाँ,इस शहर के उसूल पक्के हैं,
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पर्दा गिरा और सब दिख गया, तो आँखें बंद न होगी,
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मेरा क्या है मैं तो झुंड की भेड़ हूँ,
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यूँ गंदगी न फैलाइये मेरे शहर को साफ़ रखिये,
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बुज़्दिलों का शहर है, हँसते हँसते मार देते हैं,
जाँ प्यारी है तो तन बदन को महफ़ूज़ रखिये,
कोठे नहीं मिलेंगें यहाँ,इस शहर के उसूल पक्के हैं,
अपनी औरत ढूँढिये और ज़रा सबसे पर्दा रखिये,
पर्दा गिरा और सब दिख गया, तो आँखें बंद न होगी,
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मेरा क्या है मैं तो झुंड की भेड़ हूँ,
आप अकेले शेर हैं,ज़रा ताज़ की कीमत रखिये,
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मैं नुक्कड़ पर बैठा यही सब तो देखता हूँ,
बस गुजरते वक्त आप थोड़ी सी ही तमीज़ रखिये,
अरे मेरे जैसे इस गली में बहुत मिल जायेगें,
चोरी न हो जाएँ, ज़ेवर तीजोरी में संभाल रखिये,
बुज़्दिलों का शहर है, हँसते हँसते मार देते हैं,
जाँ प्यारी है तो तन बदन को महफ़ूज़ रखिये,
कोठे नहीं मिलेंगें यहाँ,इस शहर के उसूल पक्के हैं,
अपनी औरत ढूँढिये और ज़रा सबसे पर्दा रखिये,
पर्दा गिरा और सब दिख गया, तो आँखें बंद न होगी,
बस इतनी सी लाज़ रखिये, के उस छी से डर रखिये,
मेरा क्या है मैं तो झुंड की भेड़ हूँ,
आप अकेले शेर हैं,ज़रा ताज़ की कीमत रखिये,
दीवार पर लिखा है "यहाँ कुत्ते मूतते हैं",
ज़रा निशां देखिये और अपनी कौम को अलग रखिये,
कुड़ेदान बराबर रखे हैं हर नुक्कड़ पे,
यूँ गंदगी न फैलाइये मेरे शहर को साफ़ रखिये,
बालकनी में खड़े हो कर थूकोगे अगर गली में,
तो जनाब कान बंद रखिये, और मुँह छुपा कर रखिये,
#lotus
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संसार जल गया,
जंगल रौंद दिये गये,
पक्षी दर्दनाक मौत मारे गए
और पशु चारे के लिए तरसते रहे
झीलें सुख गई,
और झरनों का प्रवाह रुक गया,
गलेशियर पिघलने लगे,
घर तहस-नहस हो गए,
भैंसों को चारा नहीं,
और कौए को पानी नहीं मिला,
पैसे छापने वाली मशीनें बंद हो गई,
और कुछ किसी के बाप का न रहा,
सब आपस में लूट खसूट करने लगे,
इंसान चिटियों की तरह छुप गए,
कल भयानक बर्बादी का दिन था
और आज खाने के लाले पड़े हैं,
बाढ़ आने को है,
जो संसार को डुबा ले जायेगी,
कुछ भी काम नहीं आ रहा,
न बम्ब से बीमारी मरी,
न सिपाही सूखे को रोक सके,
और आज वो बाढ़ भी न रोक पाएंगे,
संसार जल रहा है,
चारों और आग ही आग है,
अंगारे बरस रहे हैं,
धुंआ मास्क का मतलब नहीं समझता,
इंसान यदि और जिंदा रहे,
तो एक दूसरे का माँस खायेंगे,
जंगली जानवरों की तरह,
जो मिलेगा उसे कच्चा चबा जायेंगे,
कोई अपना हो या अपना दुश्मन,
छोटी जात का या नवजात,
तब कोई भेद भाव नहीं रहेगा,
भूख को सबकी चमड़ी एक समान नज़र आएगी,
धरती की मृत्यु दूर नहीं,
और तुम यहाँ सो रहे हो,
खून से लथपथ, चैन की नींद,
उठो और नये आविष्कार करो,
नाम बनाने के लिए,
पुरुस्कार जितने के लिए
संसार को बचाने के लिए,
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जंगल रौंद दिये गये,
पक्षी दर्दनाक मौत मारे गए
और पशु चारे के लिए तरसते रहे
झीलें सुख गई,
और झरनों का प्रवाह रुक गया,
गलेशियर पिघलने लगे,
घर तहस-नहस हो गए,
भैंसों को चारा नहीं,
और कौए को पानी नहीं मिला,
पैसे छापने वाली मशीनें बंद हो गई,
और कुछ किसी के बाप का न रहा,
सब आपस में लूट खसूट करने लगे,
इंसान चिटियों की तरह छुप गए,
कल भयानक बर्बादी का दिन था
और आज खाने के लाले पड़े हैं,
बाढ़ आने को है,
जो संसार को डुबा ले जायेगी,
कुछ भी काम नहीं आ रहा,
न बम्ब से बीमारी मरी,
न सिपाही सूखे को रोक सके,
और आज वो बाढ़ भी न रोक पाएंगे,
संसार जल रहा है,
चारों और आग ही आग है,
अंगारे बरस रहे हैं,
धुंआ मास्क का मतलब नहीं समझता,
इंसान यदि और जिंदा रहे,
तो एक दूसरे का माँस खायेंगे,
जंगली जानवरों की तरह,
जो मिलेगा उसे कच्चा चबा जायेंगे,
कोई अपना हो या अपना दुश्मन,
छोटी जात का या नवजात,
तब कोई भेद भाव नहीं रहेगा,
भूख को सबकी चमड़ी एक समान नज़र आएगी,
धरती की मृत्यु दूर नहीं,
और तुम यहाँ सो रहे हो,
खून से लथपथ, चैन की नींद,
उठो और नये आविष्कार करो,
नाम बनाने के लिए,
पुरुस्कार जितने के लिए
संसार को बचाने के लिए,
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मुर्दों की गिरी पड़ी मुर्दा लाशें
न लहू न ज़ख़्म
न शोर न ज़रा सी आह,
सफ़ेद चेहरा,
हरी बाहें,
बेजान,
बेमौत,
मर गए,
नहीं,
मार दिये गए,
लंबा तन
मोटा तना,
बेकाम का,
बेकाम रहा,
वो कातिल नहीं,
ये कतल नहीं,
ज़रूरत थी,
मुनासिब था,
मुर्दों को मार देना,
उनकी लाशें बिछा देना,
कोई कानूनी कारवाही नहीं होगी
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न लहू न ज़ख़्म
न शोर न ज़रा सी आह,
सफ़ेद चेहरा,
हरी बाहें,
बेजान,
बेमौत,
मर गए,
नहीं,
मार दिये गए,
लंबा तन
मोटा तना,
बेकाम का,
बेकाम रहा,
वो कातिल नहीं,
ये कतल नहीं,
ज़रूरत थी,
मुनासिब था,
मुर्दों को मार देना,
उनकी लाशें बिछा देना,
कोई कानूनी कारवाही नहीं होगी
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कनारी चिड़िया
पाँच में से दो मर गई
तीन लापरवाही से उड़ने में सफ़ल रहीं,
फिर भाल शुरू हुई
और दो को पकड़ लिया गया,
एक अब भी लापता है,
मेरे ज़हन में एक सवाल आया,
कि क्या अच्छा है उसका पिंजरे से बहुत दूर उड़ जाना,
या अच्छा है पिंजरे में रह कर मुफ़्त का दाना खाना,
पर सुना है कनारी चिड़िया ज़्यादा ऊँचा नहीं उड़ती,
वो इतनी छोटी होती है के आसानी से बड़े पक्षी उसका शिकार कर लेते है,
वो पिंजरे में रखने के लिए ही पैदा होती है,
और उसे पालतू जानवर की तरह रखा जाता है,
पर अब एक नहीं कई सारे सवाल हैं,
क्या मुफ़्त के दाने के लिए उसकी आज़ादी छीन लेना ठीक है?
ये तो ठीक ऐसा है के लड़की को घर बिठा कर रख लो,
क्योंकि बाहर छेड़ने वाले लोग बहुत घूमते हैं,
और होगा ये के जब ये लड़की रूपी कनारी चिड़िया उड़ने के लिए बाहर जायेगी,
तो बहुत ऊँचा नहीं उड़ पायेगी,
और दानव रूपी बड़े पक्षी उसका आसानी से शिकार कर लेंगे,
खैर पक्षी और इंसान में ज़मीं आसमाँ का अंतर होता है,
पर अब सवाल महज़ ये है,
कि क्या वो कनारी चिड़िया बहुत दूर उड़ जायेगी?
या भूख लगने पर वापिस आ जायेगी,
दूसरी चिड़ियों की साथी बनने,
और आज़ादी के बदले दाना खाने,
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पाँच में से दो मर गई
तीन लापरवाही से उड़ने में सफ़ल रहीं,
फिर भाल शुरू हुई
और दो को पकड़ लिया गया,
एक अब भी लापता है,
मेरे ज़हन में एक सवाल आया,
कि क्या अच्छा है उसका पिंजरे से बहुत दूर उड़ जाना,
या अच्छा है पिंजरे में रह कर मुफ़्त का दाना खाना,
पर सुना है कनारी चिड़िया ज़्यादा ऊँचा नहीं उड़ती,
वो इतनी छोटी होती है के आसानी से बड़े पक्षी उसका शिकार कर लेते है,
वो पिंजरे में रखने के लिए ही पैदा होती है,
और उसे पालतू जानवर की तरह रखा जाता है,
पर अब एक नहीं कई सारे सवाल हैं,
क्या मुफ़्त के दाने के लिए उसकी आज़ादी छीन लेना ठीक है?
ये तो ठीक ऐसा है के लड़की को घर बिठा कर रख लो,
क्योंकि बाहर छेड़ने वाले लोग बहुत घूमते हैं,
और होगा ये के जब ये लड़की रूपी कनारी चिड़िया उड़ने के लिए बाहर जायेगी,
तो बहुत ऊँचा नहीं उड़ पायेगी,
और दानव रूपी बड़े पक्षी उसका आसानी से शिकार कर लेंगे,
खैर पक्षी और इंसान में ज़मीं आसमाँ का अंतर होता है,
पर अब सवाल महज़ ये है,
कि क्या वो कनारी चिड़िया बहुत दूर उड़ जायेगी?
या भूख लगने पर वापिस आ जायेगी,
दूसरी चिड़ियों की साथी बनने,
और आज़ादी के बदले दाना खाने,
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हेरा फेरी की कला
हेरा फेरी की कला भी एक कला है
आम सी नहीं ये एक खास कला है,
देखा देखी से सीखी जाने वाली ये कला
कभी मेहनत न करने वाले इंसानों में कुदरती तौर पर पायी जाती है,
जैसे शब्दों का हेर फेर करने वाले कवि,
जो मेहनत से पढ़ते हैं पाँच कविताएँ,
और छाप लेते हैं हर एक की एक पंक्ति,
और बना लेते हैं अपनी नई नवेली कविता,
हेरा फेरी करने वालों का दिमाग सदा सातवें आसमान पर रहता है,
ठीक उनकी आँखें भी,
अगर सामने खंबा हो और ये टकरा जाएँ,
तो खंभे को कोसने में देर नहीं लगाते,
क्योंकि खंबे की ही गलती है कि वो सामने आया,
बड़े लोग तो सदा ऊँचा ही देखते है न,
नीच खंबों को नहीं,
#lotus
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हेरा फेरी की कला भी एक कला है
आम सी नहीं ये एक खास कला है,
देखा देखी से सीखी जाने वाली ये कला
कभी मेहनत न करने वाले इंसानों में कुदरती तौर पर पायी जाती है,
जैसे शब्दों का हेर फेर करने वाले कवि,
जो मेहनत से पढ़ते हैं पाँच कविताएँ,
और छाप लेते हैं हर एक की एक पंक्ति,
और बना लेते हैं अपनी नई नवेली कविता,
हेरा फेरी करने वालों का दिमाग सदा सातवें आसमान पर रहता है,
ठीक उनकी आँखें भी,
अगर सामने खंबा हो और ये टकरा जाएँ,
तो खंभे को कोसने में देर नहीं लगाते,
क्योंकि खंबे की ही गलती है कि वो सामने आया,
बड़े लोग तो सदा ऊँचा ही देखते है न,
नीच खंबों को नहीं,
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हेरा फेरी की कला
हेरा फेरी की कला भी एक कला है
आम सी नहीं ये एक खास कला है,
देखा देखी से सीखी जाने वाली ये कला
कभी मेहनत न करने वाले इंसानों में कुदरती तौर पर पायी जाती है,
जैसे शब्दों का हेर फेर करने वाले कवि,
जो मेहनत से पढ़ते हैं पाँच कविताएँ,
और छाप लेते हैं हर एक की एक पंक्ति,
और बना लेते हैं अपनी नई नवेली कविता,
हेरा फेरी करने वालों का दिमाग सदा सातवें आसमान पर रहता है,
ठीक उनकी आँखें भी,
अगर सामने खंबा हो और ये टकरा जाएँ,
तो खंभे को कोसने में देर नहीं लगाते,
क्योंकि खंबे की ही गलती है कि वो सामने आया,
बड़े लोग तो सदा ऊँचा ही देखते है न,
नीच खंबों को नहीं,
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हेरा फेरी की कला भी एक कला है
आम सी नहीं ये एक खास कला है,
देखा देखी से सीखी जाने वाली ये कला
कभी मेहनत न करने वाले इंसानों में कुदरती तौर पर पायी जाती है,
जैसे शब्दों का हेर फेर करने वाले कवि,
जो मेहनत से पढ़ते हैं पाँच कविताएँ,
और छाप लेते हैं हर एक की एक पंक्ति,
और बना लेते हैं अपनी नई नवेली कविता,
हेरा फेरी करने वालों का दिमाग सदा सातवें आसमान पर रहता है,
ठीक उनकी आँखें भी,
अगर सामने खंबा हो और ये टकरा जाएँ,
तो खंभे को कोसने में देर नहीं लगाते,
क्योंकि खंबे की ही गलती है कि वो सामने आया,
बड़े लोग तो सदा ऊँचा ही देखते है न,
नीच खंबों को नहीं,
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मैं आसमां को देखता रहता हूँ
मैं दिल का शोर सुनता रहता हूँ
वो कहते आज बोलता क्यूँ नहीं
मैं आज कल चुप सा रहता हूँ
वक़्त बीतता है
और याद आये तु
मैं खोया जा रहा हूँ,
और न बुलाये तु
कभी दरवाज़ा खोल के देख
मैं दिन रात तेरे इंतज़ार से मिलता हूँ
पूछ ले तु कितनी देर से हो
मैं तेरे बिन बिता हर लम्हा भी गिनता हूँ
तु कहे तो रख दूँ मैं सारे
ये तारे, वो खत अधूरे हमारे,
आज भी बंद सलाखों में जो मेरे कमरे की
मैं कर दूँ आज़ाद
खुद को और इन पन्नों को, जो तु कहे,
मैं लिखना भी छोड़ दूँ, मनाना भी छोड़ दूँ,
तेरा नाम लिख कर मिटाना भी छोड़ दूँ,
जो तु कहे,
मैं रोक दूँ ये हाथों की थरथराहट
मिटा दूँ दिल में है जितनी भी शिकायत
और वक़्त की ये थोड़ी सी जो नज़ाकत
जो तु कहे
मैं बिखर के बिछ जाऊँ तेरे कदमों में
परछाईं बन चलूँ सब रास्तों पे,
तु बोले तो नालायक से लायक मैं बन जाऊँ,
तु बोले तो गुमशुदा मैं शायर सा बन जाऊँ,
शाम बीत रही है,
और हम चुप हैं खड़े,
तु कुछ कहती नहीं है,
और फिज़ाएँ शोर करे,
कि इक पल को तु बोल दे
इंतज़ार खत्म हो मेरा,
जाने को बस बोल दे,
कहीं तो हो फिर बसेरा,
तु पत्थर को यूँ न तोड़,
न हाथ ज़ख़्मी हो तेरा
मैं लिखता तुझे रहूँगा,
घर चलता रहेगा मेरा,
तु ऐसे मुँह न मोड,
होगा करम ये तेरा,
बस जाने को दे बोल,
वक़्त बीतता है
और याद आये तु
मैं खोया जा रहा
और न बुलाये तु
शाम बीत रही है,
और हम चुप हैं खड़े,
तुम कुछ कहती नहीं हो,
और फिज़ाएँ शोर करे,
#lotus
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मैं दिल का शोर सुनता रहता हूँ
वो कहते आज बोलता क्यूँ नहीं
मैं आज कल चुप सा रहता हूँ
वक़्त बीतता है
और याद आये तु
मैं खोया जा रहा हूँ,
और न बुलाये तु
कभी दरवाज़ा खोल के देख
मैं दिन रात तेरे इंतज़ार से मिलता हूँ
पूछ ले तु कितनी देर से हो
मैं तेरे बिन बिता हर लम्हा भी गिनता हूँ
तु कहे तो रख दूँ मैं सारे
ये तारे, वो खत अधूरे हमारे,
आज भी बंद सलाखों में जो मेरे कमरे की
मैं कर दूँ आज़ाद
खुद को और इन पन्नों को, जो तु कहे,
मैं लिखना भी छोड़ दूँ, मनाना भी छोड़ दूँ,
तेरा नाम लिख कर मिटाना भी छोड़ दूँ,
जो तु कहे,
मैं रोक दूँ ये हाथों की थरथराहट
मिटा दूँ दिल में है जितनी भी शिकायत
और वक़्त की ये थोड़ी सी जो नज़ाकत
जो तु कहे
मैं बिखर के बिछ जाऊँ तेरे कदमों में
परछाईं बन चलूँ सब रास्तों पे,
तु बोले तो नालायक से लायक मैं बन जाऊँ,
तु बोले तो गुमशुदा मैं शायर सा बन जाऊँ,
शाम बीत रही है,
और हम चुप हैं खड़े,
तु कुछ कहती नहीं है,
और फिज़ाएँ शोर करे,
कि इक पल को तु बोल दे
इंतज़ार खत्म हो मेरा,
जाने को बस बोल दे,
कहीं तो हो फिर बसेरा,
तु पत्थर को यूँ न तोड़,
न हाथ ज़ख़्मी हो तेरा
मैं लिखता तुझे रहूँगा,
घर चलता रहेगा मेरा,
तु ऐसे मुँह न मोड,
होगा करम ये तेरा,
बस जाने को दे बोल,
वक़्त बीतता है
और याद आये तु
मैं खोया जा रहा
और न बुलाये तु
शाम बीत रही है,
और हम चुप हैं खड़े,
तुम कुछ कहती नहीं हो,
और फिज़ाएँ शोर करे,
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मैं आसमां को देखता रहता हूँ
मैं दिल का शोर सुनता रहता हूँ
वो कहते आज बोलता क्यूँ नहीं
मैं आज कल चुप सा रहता हूँ
वक़्त बीतता है
और याद आये तु
मैं खोया जा रहा हूँ,
और न बुलाये तु
कभी दरवाज़ा खोल के देख
मैं दिन रात तेरे इंतज़ार से मिलता हूँ
पूछ ले तु कितनी देर से हो
मैं तेरे बिन बिता हर लम्हा भी गिनता हूँ
तु कहे तो रख दूँ मैं सारे
ये तारे, वो खत अधूरे हमारे,
आज भी बंद सलाखों में जो मेरे कमरे की
मैं कर दूँ आज़ाद
खुद को और इन पन्नों को, जो तु कहे,
मैं लिखना भी छोड़ दूँ, मनाना भी छोड़ दूँ,
तेरा नाम लिख कर मिटाना भी छोड़ दूँ,
जो तु कहे,
मैं रोक दूँ ये हाथों की थरथराहट
मिटा दूँ दिल में है जितनी भी शिकायत
और वक़्त की ये थोड़ी सी जो नज़ाकत
जो तु कहे
मैं बिखर के बिछ जाऊँ तेरे कदमों में
परछाईं बन चलूँ सब रास्तों पे,
तु बोले तो नालायक से लायक मैं बन जाऊँ,
तु बोले तो गुमशुदा मैं शायर सा बन जाऊँ,
शाम बीत रही है,
और हम चुप हैं खड़े,
तु कुछ कहती नहीं है,
और फिज़ाएँ शोर करे,
कि इक पल को तु बोल दे
इंतज़ार खत्म हो मेरा,
जाने को बस बोल दे,
कहीं तो हो फिर बसेरा,
तु पत्थर को यूँ न तोड़,
न हाथ ज़ख़्मी हो तेरा
मैं लिखता तुझे रहूँगा,
घर चलता रहेगा मेरा,
तु ऐसे मुँह न मोड,
होगा करम ये तेरा,
बस जाने को दे बोल,
वक़्त बीतता है
और याद आये तु
मैं खोया जा रहा हूँ,
और न बुलाये तु
शाम बीत रही है,
और हम चुप हैं खड़े,
तु कुछ कहती नहीं है,
और फिज़ाएँ शोर करे,
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मैं दिल का शोर सुनता रहता हूँ
वो कहते आज बोलता क्यूँ नहीं
मैं आज कल चुप सा रहता हूँ
वक़्त बीतता है
और याद आये तु
मैं खोया जा रहा हूँ,
और न बुलाये तु
कभी दरवाज़ा खोल के देख
मैं दिन रात तेरे इंतज़ार से मिलता हूँ
पूछ ले तु कितनी देर से हो
मैं तेरे बिन बिता हर लम्हा भी गिनता हूँ
तु कहे तो रख दूँ मैं सारे
ये तारे, वो खत अधूरे हमारे,
आज भी बंद सलाखों में जो मेरे कमरे की
मैं कर दूँ आज़ाद
खुद को और इन पन्नों को, जो तु कहे,
मैं लिखना भी छोड़ दूँ, मनाना भी छोड़ दूँ,
तेरा नाम लिख कर मिटाना भी छोड़ दूँ,
जो तु कहे,
मैं रोक दूँ ये हाथों की थरथराहट
मिटा दूँ दिल में है जितनी भी शिकायत
और वक़्त की ये थोड़ी सी जो नज़ाकत
जो तु कहे
मैं बिखर के बिछ जाऊँ तेरे कदमों में
परछाईं बन चलूँ सब रास्तों पे,
तु बोले तो नालायक से लायक मैं बन जाऊँ,
तु बोले तो गुमशुदा मैं शायर सा बन जाऊँ,
शाम बीत रही है,
और हम चुप हैं खड़े,
तु कुछ कहती नहीं है,
और फिज़ाएँ शोर करे,
कि इक पल को तु बोल दे
इंतज़ार खत्म हो मेरा,
जाने को बस बोल दे,
कहीं तो हो फिर बसेरा,
तु पत्थर को यूँ न तोड़,
न हाथ ज़ख़्मी हो तेरा
मैं लिखता तुझे रहूँगा,
घर चलता रहेगा मेरा,
तु ऐसे मुँह न मोड,
होगा करम ये तेरा,
बस जाने को दे बोल,
वक़्त बीतता है
और याद आये तु
मैं खोया जा रहा हूँ,
और न बुलाये तु
शाम बीत रही है,
और हम चुप हैं खड़े,
तु कुछ कहती नहीं है,
और फिज़ाएँ शोर करे,
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सपना
मैं भी देखता हूँ एक सपना,
तुम भी देखते हो एक सपना,
प्रत्येक मानव,
जिसके मानस में श्वास हैं शेष
वह देखता है एक सपना,
पर सवाल पूछो!
क्या है ये सपना?
सपना वो,
जो शेर की दहाड़ भाँति तुम्हारे भीतर से गर्जे,
वो जो रग रग में लहू की भाँति दौड़े,
वो जो दिन रात जागने का तर्क दे,
और निद्रा से वंचित नेत्रगोलकों में भी ललाट सा चमके,
बेजान दरखत,
सूखी टहनियाँ,
कीचड़ और नाले,
बिजली के खंभे,
कटघरों में घिरे आयताकार घर,
जहाँ तक नज़र पड़े,
जितनी दूर तक नज़र पड़े,
जिस पदार्थ पर नज़र पड़े,
दिखाई दे सपना वो,
जिसका नाम गर्म कर दे तुम्हारा ठंडा खून,
और भर दे ऐसी भूख और हवस,
जो शांत न हो आखरी कदम तक,
सपना वो जो कश भरने से छोड़ने तक,
विशाल दैत्य की तरह उभड़ता रहे,
जो तुम्हारे भीतर बची आखरी रक्त की बूंद से भी दोहराता रहे:
उठो! आगे बढ़ो;
जो रात के सपनों में आ कर,
सन्न कर दे तुम्हारा मस्तिष्क,
और तुम्हारे शव की हर कोशिका से चिल्लाये:
जंगल से भीड़ो,
पहाड़ नष्ट करो,
नंगे पाँव चल कर मरूस्थल पार करो,
महासागर के सबसे गहन बिंदु तक डुबकी लगाओ,
तन, मन, धन, भेंट चढ़ा दो,
हत्या करो या प्राण समर्पित कर दो,
यदि तुम्हारे सवालों की दीर्घ सूची पर
लग गया हो पूर्ण विराम,
तो उठो,
और आगे बढ़ो,
और यदि तुम अल्प विराम, विस्मयादिबोधक चिन्ह, या प्रश्न चिन्ह पर रुक कर टहल रहे हो,
तो छोड़ो!
पीछे मुड़ जाओ!
क्योंकि आगे प्राणघातक जंगल में,
हैं सदियों के भूखे दानव और पिशाच,
जिनकी भूख के मुकाबले तुम्हारी भूख तुच्छ है!
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मैं भी देखता हूँ एक सपना,
तुम भी देखते हो एक सपना,
प्रत्येक मानव,
जिसके मानस में श्वास हैं शेष
वह देखता है एक सपना,
पर सवाल पूछो!
क्या है ये सपना?
सपना वो,
जो शेर की दहाड़ भाँति तुम्हारे भीतर से गर्जे,
वो जो रग रग में लहू की भाँति दौड़े,
वो जो दिन रात जागने का तर्क दे,
और निद्रा से वंचित नेत्रगोलकों में भी ललाट सा चमके,
बेजान दरखत,
सूखी टहनियाँ,
कीचड़ और नाले,
बिजली के खंभे,
कटघरों में घिरे आयताकार घर,
जहाँ तक नज़र पड़े,
जितनी दूर तक नज़र पड़े,
जिस पदार्थ पर नज़र पड़े,
दिखाई दे सपना वो,
जिसका नाम गर्म कर दे तुम्हारा ठंडा खून,
और भर दे ऐसी भूख और हवस,
जो शांत न हो आखरी कदम तक,
सपना वो जो कश भरने से छोड़ने तक,
विशाल दैत्य की तरह उभड़ता रहे,
जो तुम्हारे भीतर बची आखरी रक्त की बूंद से भी दोहराता रहे:
उठो! आगे बढ़ो;
जो रात के सपनों में आ कर,
सन्न कर दे तुम्हारा मस्तिष्क,
और तुम्हारे शव की हर कोशिका से चिल्लाये:
जंगल से भीड़ो,
पहाड़ नष्ट करो,
नंगे पाँव चल कर मरूस्थल पार करो,
महासागर के सबसे गहन बिंदु तक डुबकी लगाओ,
तन, मन, धन, भेंट चढ़ा दो,
हत्या करो या प्राण समर्पित कर दो,
यदि तुम्हारे सवालों की दीर्घ सूची पर
लग गया हो पूर्ण विराम,
तो उठो,
और आगे बढ़ो,
और यदि तुम अल्प विराम, विस्मयादिबोधक चिन्ह, या प्रश्न चिन्ह पर रुक कर टहल रहे हो,
तो छोड़ो!
पीछे मुड़ जाओ!
क्योंकि आगे प्राणघातक जंगल में,
हैं सदियों के भूखे दानव और पिशाच,
जिनकी भूख के मुकाबले तुम्हारी भूख तुच्छ है!
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सपना
मैं भी देखता हूँ एक सपना,
तुम भी देखते हो एक सपना,
प्रत्येक मानव,
जिसके मानस में श्वास हैं शेष
वह देखता है एक सपना,
पर सवाल पूछो!
क्या है ये सपना?
सपना वो,
जो शेर की दहाड़ भाँति तुम्हारे भीतर से गर्जे,
वो जो रग रग में लहू की भाँति दौड़े,
वो जो दिन रात जागने का तर्क दे,
और निद्रा से वंचित नेत्रगोलकों में भी ललाट सा चमके,
बेजान दरखत,
सूखी टहनियाँ,
कीचड़ और नाले,
बिजली के खंभे,
कटघरों में घिरे आयताकार घर,
जहाँ तक नज़र पड़े,
जितनी दूर तक नज़र पड़े,
जिस पदार्थ पर नज़र पड़े,
दिखाई दे सपना वो,
जिसका नाम गर्म कर दे तुम्हारा ठंडा खून,
और भर दे ऐसी भूख और हवस,
जो शांत न हो आखरी कदम तक,
सपना वो जो कश भरने से छोड़ने तक,
विशाल दैत्य की तरह उभड़ता रहे,
जो तुम्हारे भीतर बची आखरी रक्त की बूंद से भी दोहराता रहे:
उठो! आगे बढ़ो;
जो रात के सपनों में आ कर,
सन्न कर दे तुम्हारा मस्तिष्क,
और तुम्हारे शव की हर कोशिका से चिल्लाये:
जंगल से भीड़ो,
पहाड़ नष्ट करो,
नंगे पाँव चल कर मरूस्थल पार करो,
महासागर के सबसे गहन बिंदु तक डुबकी लगाओ,
तन, मन, धन, भेंट चढ़ा दो,
हत्या करो या प्राण समर्पित कर दो,
यदि तुम्हारे सवालों की दीर्घ सूची पर
लग गया हो पूर्ण विराम,
तो उठो,
और आगे बढ़ो,
और यदि तुम अल्प विराम, विस्मयादिबोधक चिन्ह, या प्रश्न चिन्ह पर रुक कर टहल रहे हो,
तो छोड़ो!
पीछे मुड़ जाओ!
क्योंकि आगे प्राणघातक जंगल में,
हैं सदियों के भूखे दानव और पिशाच,
जिनकी भूख के मुकाबले तुम्हारी भूख तुच्छ है!
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मैं भी देखता हूँ एक सपना,
तुम भी देखते हो एक सपना,
प्रत्येक मानव,
जिसके मानस में श्वास हैं शेष
वह देखता है एक सपना,
पर सवाल पूछो!
क्या है ये सपना?
सपना वो,
जो शेर की दहाड़ भाँति तुम्हारे भीतर से गर्जे,
वो जो रग रग में लहू की भाँति दौड़े,
वो जो दिन रात जागने का तर्क दे,
और निद्रा से वंचित नेत्रगोलकों में भी ललाट सा चमके,
बेजान दरखत,
सूखी टहनियाँ,
कीचड़ और नाले,
बिजली के खंभे,
कटघरों में घिरे आयताकार घर,
जहाँ तक नज़र पड़े,
जितनी दूर तक नज़र पड़े,
जिस पदार्थ पर नज़र पड़े,
दिखाई दे सपना वो,
जिसका नाम गर्म कर दे तुम्हारा ठंडा खून,
और भर दे ऐसी भूख और हवस,
जो शांत न हो आखरी कदम तक,
सपना वो जो कश भरने से छोड़ने तक,
विशाल दैत्य की तरह उभड़ता रहे,
जो तुम्हारे भीतर बची आखरी रक्त की बूंद से भी दोहराता रहे:
उठो! आगे बढ़ो;
जो रात के सपनों में आ कर,
सन्न कर दे तुम्हारा मस्तिष्क,
और तुम्हारे शव की हर कोशिका से चिल्लाये:
जंगल से भीड़ो,
पहाड़ नष्ट करो,
नंगे पाँव चल कर मरूस्थल पार करो,
महासागर के सबसे गहन बिंदु तक डुबकी लगाओ,
तन, मन, धन, भेंट चढ़ा दो,
हत्या करो या प्राण समर्पित कर दो,
यदि तुम्हारे सवालों की दीर्घ सूची पर
लग गया हो पूर्ण विराम,
तो उठो,
और आगे बढ़ो,
और यदि तुम अल्प विराम, विस्मयादिबोधक चिन्ह, या प्रश्न चिन्ह पर रुक कर टहल रहे हो,
तो छोड़ो!
पीछे मुड़ जाओ!
क्योंकि आगे प्राणघातक जंगल में,
हैं सदियों के भूखे दानव और पिशाच,
जिनकी भूख के मुकाबले तुम्हारी भूख तुच्छ है!
#lotus
#review
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सपना
मैं भी देखता हूँ एक सपना,
तुम भी देखते हो एक सपना,
प्रत्येक मानव,
जिसके मानस में श्वास हैं शेष
वह देखता है एक सपना,
पर सवाल पूछो!
क्या है ये सपना?
सपना वो,
जो शेर की दहाड़ भाँति तुम्हारे भीतर से गर्जे,
वो जो रग रग में लहू की भाँति दौड़े,
वो जो दिन रात जागने का तर्क दे,
और निद्रा से वंचित नेत्रगोलकों में भी ललाट सा चमके,
बेजान दरखत,
सूखी टहनियाँ,
कीचड़ और नाले,
बिजली के खंभे,
कटघरों में घिरे आयताकार घर,
जहाँ तक नज़र पड़े,
जितनी दूर तक नज़र पड़े,
जिस पदार्थ पर नज़र पड़े,
दिखाई दे सपना वो,
जिसका नाम गर्म कर दे तुम्हारा ठंडा खून,
और भर दे ऐसी भूख और हवस,
जो शांत न हो आखरी कदम तक,
सपना वो जो कश भरने से छोड़ने तक,
विशाल दैत्य की तरह उभड़ता रहे,
जो तुम्हारे भीतर बची आखरी रक्त की बूंद से भी दोहराता रहे:
उठो! आगे बढ़ो;
जो रात के सपनों में आ कर,
सन्न कर दे तुम्हारा मस्तिष्क,
और तुम्हारे शव की हर कोशिका से चिल्लाये:
जंगल से भीड़ो,
पहाड़ नष्ट करो,
नंगे पाँव चल कर मरूस्थल पार करो,
महासागर के सबसे गहन बिंदु तक डुबकी लगाओ,
तन, मन, धन, भेंट करो,
हत्या करो या प्राण समर्पित करो,
यदि तुम्हारे सवालों की दीर्घ सूची पर
लग गया हो पूर्ण विराम,
तो उठो,
और आगे बढ़ो,
और यदि तुम अल्प विराम, विस्मयादिबोधक चिन्ह, या प्रश्न चिन्ह पर रुक कर टहल रहे हो,
तो छोड़ो!
पीछे मुड़ जाओ!
क्योंकि आगे प्राणघातक जंगल में,
हैं सदियों के भूखे दानव और पिशाच,
जिनकी भूख के मुकाबले तुम्हारी भूख तुच्छ है!
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मैं भी देखता हूँ एक सपना,
तुम भी देखते हो एक सपना,
प्रत्येक मानव,
जिसके मानस में श्वास हैं शेष
वह देखता है एक सपना,
पर सवाल पूछो!
क्या है ये सपना?
सपना वो,
जो शेर की दहाड़ भाँति तुम्हारे भीतर से गर्जे,
वो जो रग रग में लहू की भाँति दौड़े,
वो जो दिन रात जागने का तर्क दे,
और निद्रा से वंचित नेत्रगोलकों में भी ललाट सा चमके,
बेजान दरखत,
सूखी टहनियाँ,
कीचड़ और नाले,
बिजली के खंभे,
कटघरों में घिरे आयताकार घर,
जहाँ तक नज़र पड़े,
जितनी दूर तक नज़र पड़े,
जिस पदार्थ पर नज़र पड़े,
दिखाई दे सपना वो,
जिसका नाम गर्म कर दे तुम्हारा ठंडा खून,
और भर दे ऐसी भूख और हवस,
जो शांत न हो आखरी कदम तक,
सपना वो जो कश भरने से छोड़ने तक,
विशाल दैत्य की तरह उभड़ता रहे,
जो तुम्हारे भीतर बची आखरी रक्त की बूंद से भी दोहराता रहे:
उठो! आगे बढ़ो;
जो रात के सपनों में आ कर,
सन्न कर दे तुम्हारा मस्तिष्क,
और तुम्हारे शव की हर कोशिका से चिल्लाये:
जंगल से भीड़ो,
पहाड़ नष्ट करो,
नंगे पाँव चल कर मरूस्थल पार करो,
महासागर के सबसे गहन बिंदु तक डुबकी लगाओ,
तन, मन, धन, भेंट करो,
हत्या करो या प्राण समर्पित करो,
यदि तुम्हारे सवालों की दीर्घ सूची पर
लग गया हो पूर्ण विराम,
तो उठो,
और आगे बढ़ो,
और यदि तुम अल्प विराम, विस्मयादिबोधक चिन्ह, या प्रश्न चिन्ह पर रुक कर टहल रहे हो,
तो छोड़ो!
पीछे मुड़ जाओ!
क्योंकि आगे प्राणघातक जंगल में,
हैं सदियों के भूखे दानव और पिशाच,
जिनकी भूख के मुकाबले तुम्हारी भूख तुच्छ है!
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अपेक्षाओं की चोटी से
सत्य की घाटी में गिर जाने पर
आदमी भूल गया
सत्य और झूठ का अंतर
आढ़े-टेढ़े गिरने की इस घटना में
जब थल पर पहुँच कर
उसका सर किसी चट्टान से टकराया,
तब छोटे नयनों में उत्पन्न हुए अंधेरे में,
इतने बड़े सितारे दिखे,
कि वह भूल गया ज़मीन आसमान का अंतर,
और सत्य-अस्तय के बीच की लकीर,
उसका भार न झेलते हुए,
उड़ गई गर्द बन कर,
जिस से हुआ यह,
कि वह समझा,
कि वह बादलों पर आ गिरा है,
और पृथ्वी की गंदगी से मुक्त हो चुका है,
उसने समझ लिया,
कंकर पत्थरों को हीरे मोती,
रेंगते कीड़ों को सफ़ेद पंछी,
काली धूल को बादलो की उपरी सतह,
और अपने मूत्र को बरसात,
जिस से वह सूखी पृथ्वी को धन्य करेगा,
वह चलता है,
चलता जाता है,
और एक ही जगह चल रहा है,
कभी कभी बादलों से बरसती बरसात ने,
उसकी धूल को धो कर उसे सच दिखाना चाहा,
तो उसने समझा के इस बादल से उपर के बादल पर कोई चाहता है कि वह और ऊँचे बादलों पर न उड़े,
उसने चिल्ला चिल्ला कर उस उपरी बादल को गालियाँ दी,
और अपने झूठे सच को मिटने नहीं दिया,
और न मिटने दे रहा है,
मौजूदा स्थिति यह है,
कि अब झूठा सत्य, सत्य सत्य से कहीं ज़्यादा सत्य बन चुका है,
और सत्य सत्य, झूठे सत्य के आगे तुच्छ जान पड़ता है,
वह आदमी आज भी ठीक उसी जगह चल रहा है,
और चलने के इस सफ़र में वह खुद को महान समझता है,
और पृथ्वी के लोगों को छोटा बता कर उन पर थूकता है,
उसके द्वारा बसाई उस बादल की दुनिया में,
वह एक शक्तिशाली योध्दा है,
जिसने हरा दिये कई काल्पनिक शत्रु,
और हासिल कर लिए अनगिनत साम्राज्य,
हर जीत के बाद वह एक आईने के आगे खड़ा होता है,
जिस आईने में वह और उसके जैसे दिखने वाले कई लोग उसकी प्रशंसा करते है,
वही प्रशंसा जो पृथ्वी के लोग बड़ी आँखों वाले लोगों को मुफ़्त में देते रहते हैं।
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सत्य की घाटी में गिर जाने पर
आदमी भूल गया
सत्य और झूठ का अंतर
आढ़े-टेढ़े गिरने की इस घटना में
जब थल पर पहुँच कर
उसका सर किसी चट्टान से टकराया,
तब छोटे नयनों में उत्पन्न हुए अंधेरे में,
इतने बड़े सितारे दिखे,
कि वह भूल गया ज़मीन आसमान का अंतर,
और सत्य-अस्तय के बीच की लकीर,
उसका भार न झेलते हुए,
उड़ गई गर्द बन कर,
जिस से हुआ यह,
कि वह समझा,
कि वह बादलों पर आ गिरा है,
और पृथ्वी की गंदगी से मुक्त हो चुका है,
उसने समझ लिया,
कंकर पत्थरों को हीरे मोती,
रेंगते कीड़ों को सफ़ेद पंछी,
काली धूल को बादलो की उपरी सतह,
और अपने मूत्र को बरसात,
जिस से वह सूखी पृथ्वी को धन्य करेगा,
वह चलता है,
चलता जाता है,
और एक ही जगह चल रहा है,
कभी कभी बादलों से बरसती बरसात ने,
उसकी धूल को धो कर उसे सच दिखाना चाहा,
तो उसने समझा के इस बादल से उपर के बादल पर कोई चाहता है कि वह और ऊँचे बादलों पर न उड़े,
उसने चिल्ला चिल्ला कर उस उपरी बादल को गालियाँ दी,
और अपने झूठे सच को मिटने नहीं दिया,
और न मिटने दे रहा है,
मौजूदा स्थिति यह है,
कि अब झूठा सत्य, सत्य सत्य से कहीं ज़्यादा सत्य बन चुका है,
और सत्य सत्य, झूठे सत्य के आगे तुच्छ जान पड़ता है,
वह आदमी आज भी ठीक उसी जगह चल रहा है,
और चलने के इस सफ़र में वह खुद को महान समझता है,
और पृथ्वी के लोगों को छोटा बता कर उन पर थूकता है,
उसके द्वारा बसाई उस बादल की दुनिया में,
वह एक शक्तिशाली योध्दा है,
जिसने हरा दिये कई काल्पनिक शत्रु,
और हासिल कर लिए अनगिनत साम्राज्य,
हर जीत के बाद वह एक आईने के आगे खड़ा होता है,
जिस आईने में वह और उसके जैसे दिखने वाले कई लोग उसकी प्रशंसा करते है,
वही प्रशंसा जो पृथ्वी के लोग बड़ी आँखों वाले लोगों को मुफ़्त में देते रहते हैं।
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