Hindi/Urdu Poems
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Hindi/Urdu Poetry Collection.
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मैंने कब कहा तुम स्वयं को मुझे सौंप दो
जो कुछ तुम में बचा हैं, तुम मेरे नाम कर दो
मैंने कब कहा मेरे लिए तुम इंतेज़ार करो
दिन भर बेसुकुनी और रात बेचैनी में गुज़ारो!!

मैं जानती हूँ ह्रदय की भावनाओं को
और मानती बहुत हूँ इस पावन साधना को!!
मैं समझती हूँ तुम्हारी प्रेम की भाषा को
तुम्हारे नेह,चाहत,उम्मीद की अभिलाषा को!!

मुझे लगता नहीँ यह संसार है स्वार्थ से
वाक़िफ़ हूँ में चाँद सूरज ,धरा गगन की प्यार से
मगर मज़बूर हूँ अपने हालातों से
बँधी हूँ दुनिया की रीत रीवाजों से!!

गंतव्य के बिना एक यात्रा तय कर लिया
तुम्हारे प्रेम के दर्पण में खुद को सँवार लिया
हम मिलें ना मिलें यह प्रेम मुकम्मल रहेगा
रोज़ ह्रदय में तुम्हारे नाम का कमल खिलता रहेगा!!🥀

~राधिका
#radhika021
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सच में सुकूँ था तेरे पास दुःखों की बस्तियों में भी
ना जाने कितनों की रात जगेगी, एक तेरे जाने से।

#Akash #review #repost

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हर सवाल का जवाब ढूंढना जरूरी नहीं
जवाब मिल कर तस्सली हो , ऐसा कहीं लिखा नहीं
कभी कभी
कुछ और सुलझाने के चक्कर में हम बेहद उलझ जाते है
हर उलझी चीज़ की तह तक जाना हर वक्त जरूरी नहीं

#pragya
#review
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हर सवाल का जवाब ढूंढना जरूरी नहीं
जवाब मिल कर तस्सली हो , ऐसा कहीं लिखा नहीं
कभी कभी
कुछ और सुलझाने के चक्कर में हम बेहद उलझ जाते है
हर उलझी चीज़ की तह तक जाना हर वक्त जरूरी नहीं

#pragya
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जब बूँद बग़ावत करती है
दरिया की ख़िलाफ़त करती है
तो बैठ हवा उड़ जाती है
वो बादल से जुड़ जाती है
तुम भी चुप न बहना सीखो
ना नियति को सहना सीखो
यलगार करो जग मेरा है
हुँकार भरो सब मेरा है
कुछ स्वप्न नहीं सब ईक्षा है
जो भाग्य मिले वह भिक्षा है
तुम भी क्यों भिक्षुक बनते हो
क्यों पौरुष की ना सुनते हो
हो मानुज भान जरा कर लो
तुम खुद का ज्ञान जरा कर लो
और उठो करों को खोलो तो
आदेश जगत से बोलो तो
हर मार्ग स्वतः खुल जायेगा
और भाग्य दौड़ता आयेगा

#Hriday

#review
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जब बूँद बग़ावत करती है
दरिया की ख़िलाफ़त करती है
तो बैठ हवा उड़ जाती है
वो बादल से जुड़ जाती है
तुम भी चुप न बहना सीखो
ना नियति को सहना सीखो
यलगार करो जग मेरा है
हुँकार भरो सब मेरा है
कुछ स्वप्न नहीं सब ईक्षा है
जो भाग्य मिले वह भिक्षा है
तुम भी क्यों भिक्षुक बनते हो
क्यों पौरुष की ना सुनते हो
हो मानुज भान जरा कर लो
तुम खुद का ज्ञान जरा कर लो
और उठो करों को खोलो तो
आदेश जगत से बोलो तो
हर मार्ग स्वतः खुल जायेगा
और भाग्य दौड़ता आयेगा

#Hriday

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जीवन की लम्बी पगडण्डी पे
चलते जाते गिरते पड़ते
कुछ शब्द सजा कर पन्नों पे
अपना खाली मन भरते
कुछ लोग मेरे संग चलते हैं
मुझसे हैं कुछ आगे बढ़ते
कुछ मेरा सहारा बन जाते
कुछ मेरी बाँह कभी धरते
कुछ मील के पत्थर होते हैं
खो जाते हैं ओझल हो के
कुछ बातें मुझसे कर लेते है
कुछ यूं ही गुमसुम हैं चलते
हर कदम मेरा लिखता जाता
लिखता हूँ कितने मोड़ मुड़े
लिख देता हूँ उन सब को भी
जो क्षण भर चलते साथ मेरे
मेरी सब कविता पढ़ लेना तुम
जब भी आना हो पास मेरे
एक राह पकड़ चलते जाना
मत रुकना ठंडी छाँव तले
मन सब मिलकर बहकाएँगे
चलते रहना धुन एक लिए
हर राह अंत जा मिलती है
एक प्राण श्वास सब है भरते
जीवन की लम्बी पगडण्डी पे
चलते जाना गिरते पड़ते
मेरे शब्द संजो कर होठों पे
अपना खाली मन भरते

#review
#Hriday

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जीवन की लम्बी पगडण्डी पे
चलते जाते गिरते पड़ते
कुछ शब्द सजा कर पन्नों पे
अपना खाली मन भरते
कुछ लोग मेरे संग चलते हैं
मुझसे हैं कुछ आगे बढ़ते
कुछ मेरा सहारा बन जाते
कुछ मेरी बाँह कभी धरते
कुछ मील के पत्थर होते हैं
खो जाते हैं ओझल हो के
कुछ बातें मुझसे कर लेते है
कुछ यूं ही गुमसुम हैं चलते
हर कदम मेरा लिखता जाता
लिखता हूँ कितने मोड़ मुड़े
लिख देता हूँ उन सब को भी
जो क्षण भर चलते साथ मेरे
मेरी सब कविता पढ़ लेना तुम
जब भी आना हो पास मेरे
एक राह पकड़ चलते जाना
मत रुकना ठंडी छाँव तले
मन सब मिलकर बहकाएँगे
चलते रहना धुन एक लिए
हर राह अंत जा मिलती है
एक प्राण श्वास सब है भरते
जीवन की लम्बी पगडण्डी पे
चलते जाना गिरते पड़ते
मेरे शब्द संजो कर होठों पे
अपना खाली मन भरते

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#Hriday

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मैं दिल के कोरे कागज़ पर
कुछ बातें लिखता आज भी हूँ
मैं कमरे की दीवारों से
कुछ बातें करता आज भी हूँ
मैं अश्कों से दिल के खाली
सब प्याले भरता आज भी हूँ
मै कह न सका तुम सुन न सकी
पर प्यार मैं करता आज भी हूँ
मैं करता हूँ अब भी अक्सर
बातें फूलों और कलियों की
मैं तकता हूँ अब भी अक्सर
दिशा तुम्हारी गलियों की
अक्सर चँदा को अम्बर पर
मैं चलते तकता आज भी हूँ
जैसे कहती थी मुझसे तुम
मैं वैसे रहता आज भी हूँ
मैं अश्कों से दिल के खाली
प्याले भरता आज भी हूँ
तुमको न दिखा हमने न कहा
पर प्यार मैं करता आज भी हूँ

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#Hriday
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DULHAN
"दुल्हन"

वो थी पीहर छोड़ आयी
ले के एक सपना नयन में
देखती थी नया जीवन
और नयी दुनिया सजन में
माँ की सब बातें संजो कर
लग पिता के गले रो कर
अँगना में परछन उड़ाकर
और सभी सखियाँ भुलाकर
वो चली सब छोड़ पीछे
अश्रु से नयनों को सींचे
है एक घरौंदे को सजाना
ख़ुद की है जगह बनाना
जिनको कल न जानती थी
उन सभी को है रिझाना
धैर्य कितना,कितना समर्पण
देह ,सपने सब हैं अर्पण
माँ से जो सीखा दिखाना
बाबा का सर न झुकाना
कल जवाब खुल के देती
आज सब है सुनते जाना
पर वो सब संभाल लेगी
खुद को झट से ढ़ाल लेगी
कितनी भी गहरी आये विपदा
अपनी गृहस्थी निकाल लेगी
सब के सपने सजाएगी वो
मकान को घर बनाएगी वो
ठीक जैसा ईश्वर है करता
एक दुनिया बसायेगी वो

#Hriday
#review
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DULHAN
"दुल्हन"

वो थी पीहर छोड़ आयी
ले के एक सपना नयन में
देखती थी नया जीवन
और नयी दुनिया सजन में
माँ की सब बातें संजो कर
लग पिता के गले रो कर
अँगना में परछन उड़ाकर
और सभी सखियाँ भुलाकर
वो चली सब छोड़ पीछे
अश्रु से नयनों को सींचे
है एक घरौंदे को सजाना
ख़ुद की है जगह बनाना
जिनको कल न जानती थी
उन सभी को है रिझाना
धैर्य कितना,कितना समर्पण
देह ,सपने सब हैं अर्पण
माँ से जो सीखा दिखाना
बाबा का सर न झुकाना
कल जवाब खुल के देती
आज सब है सुनते जाना
पर वो सब संभाल लेगी
खुद को झट से ढ़ाल लेगी
कितनी भी गहरी आये विपदा
अपनी गृहस्थी निकाल लेगी
सब के सपने सजाएगी वो
मकान को घर बनाएगी वो
ठीक जैसा ईश्वर है करता
एक दुनिया बसायेगी वो

#Hriday
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Pyar ka prateek jise hm samajh baithe the ,
Wo nikli harjaii
Us bewafa ko meri yaad Tak n aayi,
jispe Maine mohabbat ki daulat lutaai
#pankaj #review #repost

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क्या है बनारस?

इतिहास की पहचान बनारस।
काशी विश्वनाथ से प्रसिद्ध महामोक्क्ष तीर्थ स्थान बनारस।
श्रृष्टि से अलग, शिव के त्रिशूल पर टिकी यही पंच्चकोसी हमारी प्राण बनारस।
अस्सी से मणिकर्णिका तक में मिल जाता जीवन का सार्थ बनारस।
सुकून की शाम बनारस, मोक्क्ष का द्वार बनारस।
गंगा भी जहाँ उलटी बहे ऐसी हमारी शान बनारस।
यहाँ के कण-कण में बसे शिव संग पार्वती नाम बनारस।
हर गली में मिलता यहाँ पान हो या भांग बनारस।
घाट-घाट गंगा संग गाती यहाँ एक राग बनारस।
पुराणो का साक्षात प्रमाण बनारस।
मौत भी जहाँ हस्स-उल्लास से मनाई जाए ऐसी यहाँ की पहचान बनारस।
यमदूत भी आने से थर-थर कपकपाए ऐसी हे यहाँ महाश्मशान बनारस।
समस्त देवी-देवता आकर दिप जलाए ऐसा महापुण्य स्थान बनारस।
मृतक के लिए एक वरदान बनारस।
जिवित के लिए है अमरीतपान बनारस।
पापो के पाप का जहाँ अंत हो ऐसा एक स्थान बनारस।
काल भैरव हो जहाँ कोतवाल और रहते हो स्वंय महाकाल वही है हमारी जान बनारस।

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#Banarasiya 🥀

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मुद्दत बाद जहन में इख्तियार-ए-लफ्ज आया
आँखे नम हुई तब जाके इनमे कोई रंग आया

ऐ "बनारसिया" छोड़ दे जिद्द ये दुनिया क्या समझेंगी
जिसने तुझे प्यार किया जब वही नही समझ पाया

तरबतर भटक रहा है तू वो गलिया है इश्क वालो की
बनारस की गली नही जहाँ तू गया और भटक आया

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#Banarasiya 🥀

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वो जो पूछ ले की हमारी उम्र क्या है
हम भी कह दे हमे गुजरे अर्सा हो गया।

गम ये नही की वो पूछती नही की हमारी उम्र क्या है

सितम ये है की वो जानती है की हमे गुजरे अर्सा हो गया।

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#Banarasiya 🥀

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आपकी रूह मे शामिल हुआ करते थे कभी हम, अब हमसे क्या छिपाती है आप।

आपके सबसे प्रिय शख्स थे कभी हम, क्या लोगो को अब भी यही बताती है आप।

उम्र ढल रही है हर रोज, एक दिन आएगा फिर शाम नही होगी।

मर्ज के दवा का हम क्या करे, हिज्र कुछ ऐसे हुआ कि अब वस्ल की रात नही होगी।

आपका इस कदर जाना बता रहा अब फिर कभी मुलाकात नही होगी।

शिकायते, शिकवे, गिले क्या करे हम आपसे अब इनका कोई जोर नही चलता।

आप तो चली गई बेवफाओ के शहर की ओर, पर हमारा दिल प्यार के शहर की ओर नही चलता।

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#Banarasiya 🥀

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जब बूँद बग़ावत करती है
दरिया की ख़िलाफ़त करती है
तो बैठ हवा उड़ जाती है
वो बादल से जुड़ जाती है
तुम भी चुप न बहना सीखो
ना नियति को सहना सीखो
यलगार करो जग मेरा है
हुँकार भरो सब मेरा है
कुछ स्वप्न नहीं सब ईक्षा है
जो भाग्य मिले वह भिक्षा है
तुम भी क्यों भिक्षुक बनते हो
क्यों पौरुष की ना सुनते हो
हो मानुज भान जरा कर लो
तुम खुद का ज्ञान जरा कर लो
और उठो करों को खोलो तो
आदेश जगत से बोलो तो
हर मार्ग स्वतः खुल जायेगा
और भाग्य दौड़ता आयेगा

#Hriday

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जब बूँद बग़ावत करती है
दरिया की ख़िलाफ़त करती है
तो बैठ हवा उड़ जाती है
वो बादल से जुड़ जाती है
तुम भी चुप न बहना सीखो
ना नियति को सहना सीखो
यलगार करो जग मेरा है
हुँकार भरो सब मेरा है
कुछ स्वप्न नहीं सब ईक्षा है
जो भाग्य मिले वह भिक्षा है
तुम भी क्यों भिक्षुक बनते हो
क्यों पौरुष की ना सुनते हो
हो मानुज भान जरा कर लो
तुम खुद का ज्ञान जरा कर लो
और उठो करों को खोलो तो
आदेश जगत से बोलो तो
हर मार्ग स्वतः खुल जायेगा
और भाग्य दौड़ता आयेगा

#Hriday

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दर्द को जुबान नही मिलता
मुर्दे को मुराद नही मिलता

पीने के लिए मयखाने तो मिल जाते है
मगर पिलाने वाला यार नही मिलता

जख्म हजार मिलते है हर दिन
मगर देने वाला हथियार नही मिलता

शायर को कलम नही मिलती जैसे
ख़ामोशी से अल्फाज नही मिलता

वो मिलती थी मुझसे जैसे
दिन से कभी रात नही मिलता

महबूब के लिबास पर कोई नकाब नही मिलता
जैसे ईद के चांद पर कोई दाग नही मिलता

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#Banarasiya 🥀

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DULHAN
"दुल्हन"

वो थी पीहर छोड़ आयी
ले के एक सपना नयन में
देखती थी नया जीवन
और नयी दुनिया सजन में
माँ की सब बातें संजो कर
लग पिता के गले रो कर
अँगना में परछन उड़ाकर
और सभी सखियाँ भुलाकर
वो चली सब छोड़ पीछे
अश्रु से नयनों को सींचे
है एक घरौंदे को सजाना
ख़ुद की है जगह बनाना
जिनको कल न जानती थी
उन सभी को है रिझाना
धैर्य कितना,कितना समर्पण
देह ,सपने सब हैं अर्पण
माँ से जो सीखा दिखाना
बाबा का सर न झुकाना
कल जवाब खुल के देती
आज सब है सुनते जाना
पर वो सब संभाल लेगी
खुद को झट से ढ़ाल लेगी
कितनी भी गहरी आये विपदा
अपनी गृहस्थी निकाल लेगी
सब के सपने सजाएगी वो
मकान को घर बनाएगी वो
ठीक जैसा ईश्वर है करता
एक दुनिया बसायेगी वो

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