ओ साथी साथ निभाना,
कभी बीच मझधार ना छोड़कर जाना।
जब ना हो कोई मेरा जग में,
तुम रिश्ता सच्चा निभाना,
तुम रिश्ता सच्चा निभाना;
...ओ साथी साथ निभाना।
तुम भले रूठना हंसना मानना,
पर दूर मुझसे कभी न जाना।
चाहे भूले सारा जमाना मुझको,
तुम कभी भूल ना मुझको जाना,
तुम कभी भूल ना मुझको जाना;
....ओ साथी साथ निभाना।
मेरे संघर्षों में हौसला मेरा बढ़ाना,
फिर संग मिलकर जीत के गीत भी गाना।
ओ साथी जब भी मैं रूठूं इस जग से,
आकर सबसे पहले मुझको मानना,
....सबसे पहले मुझको मानना;
....ओ साथी साथ निभाना।
ना समझूं कभी तो तुम ही मुझको समझना,
हर स्थिति में तुम ही मुझको अपनाना।
झूठ बोले यदि यह जमाना मुझसे,
तुम आकर सब सच-सच बतलाना,
तुम आकर सब सच-सच बतलाना;
.... ओ साथी साथ निभाना।।
यह साथी और कोई नहीं,
अंतरात्मा मेरी कहलाएगी।
जो हर पल साथ रहेगी मेरे,
पथभ्रष्ट होने से मुझको बचाएगी,
पथभ्रष्ट होने से मुझको बचाएगी।
हां मेरी आत्मा(मैं खुद) ही मेरी सच्ची साथी,
जो मेरा साथ सदा ही निभाएगी;
.....मेरा साथ सदा ही निभाएगी।
-वंशिका जैन✨💫💫
#vanshikajain
#review
#whatIthink
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कभी बीच मझधार ना छोड़कर जाना।
जब ना हो कोई मेरा जग में,
तुम रिश्ता सच्चा निभाना,
तुम रिश्ता सच्चा निभाना;
...ओ साथी साथ निभाना।
तुम भले रूठना हंसना मानना,
पर दूर मुझसे कभी न जाना।
चाहे भूले सारा जमाना मुझको,
तुम कभी भूल ना मुझको जाना,
तुम कभी भूल ना मुझको जाना;
....ओ साथी साथ निभाना।
मेरे संघर्षों में हौसला मेरा बढ़ाना,
फिर संग मिलकर जीत के गीत भी गाना।
ओ साथी जब भी मैं रूठूं इस जग से,
आकर सबसे पहले मुझको मानना,
....सबसे पहले मुझको मानना;
....ओ साथी साथ निभाना।
ना समझूं कभी तो तुम ही मुझको समझना,
हर स्थिति में तुम ही मुझको अपनाना।
झूठ बोले यदि यह जमाना मुझसे,
तुम आकर सब सच-सच बतलाना,
तुम आकर सब सच-सच बतलाना;
.... ओ साथी साथ निभाना।।
यह साथी और कोई नहीं,
अंतरात्मा मेरी कहलाएगी।
जो हर पल साथ रहेगी मेरे,
पथभ्रष्ट होने से मुझको बचाएगी,
पथभ्रष्ट होने से मुझको बचाएगी।
हां मेरी आत्मा(मैं खुद) ही मेरी सच्ची साथी,
जो मेरा साथ सदा ही निभाएगी;
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गिरना भी कभी अच्छा है,
बल पैरों का पता तब चलता है।
आएंगे जो लोग मदद करने को,
उन रिश्तों का पता भी लगता है।
कभी ठहर जाना भी अच्छा है,
दम हौसलों का पता तब चलता है।
कितना आगे को हम आ पहुंचे,
इस बात का अंदाजा लगता है।
रुक कर रोना भी कभी अच्छा है,
भावनाओं का समंदर बाहर निकलता है।
कितने हैं आंसू पोंछने वाले,
उन अपनों का पता तब लगता है।
कभी गुस्सा होना भी अच्छा है,
रिश्तो की गहराई का पता तब चलता है।
कितना दम है रिश्तो की डोर तले,
इस बात का अंदाजा लगता है।
हार जाना भी कभी अच्छा है,
जीत का मूल्य पता तब चलता है।
कितनी मेहनत अब करनी है और,
इस बात का अंदाजा लगता है।
असफल होने के बाद ही तो,
सफलता की गहराई का पता चलता है।
नकारात्मकता का विष पीकर ही तो,
सकारात्मकता के अमृत का स्वाद निखरता है।
-वंशिका जैन✨✨
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बल पैरों का पता तब चलता है।
आएंगे जो लोग मदद करने को,
उन रिश्तों का पता भी लगता है।
कभी ठहर जाना भी अच्छा है,
दम हौसलों का पता तब चलता है।
कितना आगे को हम आ पहुंचे,
इस बात का अंदाजा लगता है।
रुक कर रोना भी कभी अच्छा है,
भावनाओं का समंदर बाहर निकलता है।
कितने हैं आंसू पोंछने वाले,
उन अपनों का पता तब लगता है।
कभी गुस्सा होना भी अच्छा है,
रिश्तो की गहराई का पता तब चलता है।
कितना दम है रिश्तो की डोर तले,
इस बात का अंदाजा लगता है।
हार जाना भी कभी अच्छा है,
जीत का मूल्य पता तब चलता है।
कितनी मेहनत अब करनी है और,
इस बात का अंदाजा लगता है।
असफल होने के बाद ही तो,
सफलता की गहराई का पता चलता है।
नकारात्मकता का विष पीकर ही तो,
सकारात्मकता के अमृत का स्वाद निखरता है।
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