Hindi/Urdu Poems
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जो हकीकत में हुआ वो ख्वाबों में कहां था
जो जिंदगी ने सिखाया वो किताबों में कहां था
#unknown
#review

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रिशतो को वक्त और हालात बदल देते है..

अब तेरा जिकर होने पर हम बात बदल देते है.... 💔

#unknown
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रिशतो को वक्त और हालात बदल देते है..

अब तेरा जिकर होने पर हम बात बदल देते है.... 💔

#unknown
#review

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Sabhi ke naam pe nahi rukti dhadkane,
Dilo ke bhi kuch usool hua karte hain..
Kehne ko to aashiq bhare pade h duniya me
Ishq sirf sachhe hi maqbool hua krte hai ...

#review
#unknown

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जिन की इमारतें रेत की हो
वो तूफ़ानों की बातें नहीं किया करते

#Unknown #review

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मैं स्त्री हूं
मैं स्त्री हूं ,मैं नारी हूं
मैं कली हूं ,मैं फुलवारी हूं
मैं दर्शन हूं , मैं दर्पण हूं
मैं नाद , मैं ही गर्जन हूं
मैं बेटी हूं , मैं माता हूं
मैं बलिदानों की गाथा हूं
मैं श्रीमद् भागवत गीता हूं
मैं द्रौपदी हूं , मैं सीता हूं
पुरुषों की इस दुनिया ने मुझे कैसी नियति दिखलाई
कभी जुए में हार गए कभी अग्नि परीक्षा दिलवाई
कलयुग हो या सतयुग हो , इल्जाम मुझ ही पर आता है
क्यों घनी अंधेरी सड़कों पर चलने से मन घबराता है
मैं डरती हूं मैं मरती हूं
मैं डरती हूं मैं मरती हूं जब सफर अकेली करती हूं
डर का साम्राज्य बढ़ता है , कोई साया पीछा करता है
मेरी मुट्ठी बन जाती है , दिल की धड़कन बढ़ जाती है
है तरर पसीना माथे पर , दिल में मेरे घबराहट है
जाने यह किसका साया है , जाने यह किसकी आहट है
जाने यह किसका साया है जाने यह किसकी आहट है
अंधेरे में उन हाथों ने बाहों में मुझको भींच लिया
एक ने मुंह पर हाथ रखा और एक ने आंचल खींच लिया
नारी के सम्मान को मिलकर तार तार सा कर डाला
मर्यादा के आंचल को फिर जार जार सा कर डाला
मारा है मुझको पीटा है बालों से मुझे घसीटा है
फिर बर्बरताओं की उन सारी सीमाओं को तोड़ दिया
उन घनी अंधेरी सड़कों पर फिर मुझे तड़पता छोड़ दिया
सन्नाटे में सीख रही थी खून से लथपथ थी काया
सब ने तस्वीर खींची कोई मदद को आगे ना आया
कोई मदद करो , कोई मदद करो
कोई मदद करो यह चीख चीख कर चीख भी मुझसे रूठ गई
जब होश में आई तो इस समाज की बातें सुनकर टूट गई
परिवार की बदनामी होगी सब मुझे यही समझते हैं
यह नई उम्र के लड़के हैं थोड़ा तो बहक ही जाते हैं
अरे भूल जाओ जो हुआ उसे यह लड़के बच ही जाएंगे
तुम लड़की हो दुनिया वाले तुम पर ही प्रश्न उठाएंगे
क्यों कोई नहीं था साथ में , क्यों निकली अकेली रात में ,
क्या मेकअप था , क्या गहने थे , क्या छोटे कपड़े पहने थे ?
इन प्रश्नों की भूल भुलैया में सच्चाई कहीं खो जाती है
सब भूल जाओ कहने वालों क्या तुम्हें शर्म नहीं आती है
सब भूल जाओ सब भूल जाओ कहने वालों
याद रखो यह आखरी गलती आपकी भी हो सकती है
कल सड़क पर बेसुध बहन या बेटी आपकी भी हो सकती है
उस एहसास से बढ़कर कोई दर्द नहीं हो सकता है
जो नारी का अपमान करें वह मर्द नहीं हो सकता है
#unknown
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मैं स्त्री हूं
मैं स्त्री हूं ,मैं नारी हूं
मैं कली हूं ,मैं फुलवारी हूं
मैं दर्शन हूं , मैं दर्पण हूं
मैं नाद , मैं ही गर्जन हूं
मैं बेटी हूं , मैं माता हूं
मैं बलिदानों की गाथा हूं
मैं श्रीमद् भागवत गीता हूं
मैं द्रौपदी हूं , मैं सीता हूं
पुरुषों की इस दुनिया ने मुझे कैसी नियति दिखलाई
कभी जुए में हार गए कभी अग्नि परीक्षा दिलवाई
कलयुग हो या सतयुग हो , इल्जाम मुझ ही पर आता है
क्यों घनी अंधेरी सड़कों पर चलने से मन घबराता है
मैं डरती हूं मैं मरती हूं
मैं डरती हूं मैं मरती हूं जब सफर अकेली करती हूं
डर का साम्राज्य बढ़ता है , कोई साया पीछा करता है
मेरी मुट्ठी बन जाती है , दिल की धड़कन बढ़ जाती है
है तरर पसीना माथे पर , दिल में मेरे घबराहट है
जाने यह किसका साया है , जाने यह किसकी आहट है
जाने यह किसका साया है जाने यह किसकी आहट है
अंधेरे में उन हाथों ने बाहों में मुझको भींच लिया
एक ने मुंह पर हाथ रखा और एक ने आंचल खींच लिया
नारी के सम्मान को मिलकर तार तार सा कर डाला
मर्यादा के आंचल को फिर जार जार सा कर डाला
मारा है मुझको पीटा है बालों से मुझे घसीटा है
फिर बर्बरताओं की उन सारी सीमाओं को तोड़ दिया
उन घनी अंधेरी सड़कों पर फिर मुझे तड़पता छोड़ दिया
सन्नाटे में सीख रही थी खून से लथपथ थी काया
सब ने तस्वीर खींची कोई मदद को आगे ना आया
कोई मदद करो , कोई मदद करो
कोई मदद करो यह चीख चीख कर चीख भी मुझसे रूठ गई
जब होश में आई तो इस समाज की बातें सुनकर टूट गई
परिवार की बदनामी होगी सब मुझे यही समझते हैं
यह नई उम्र के लड़के हैं थोड़ा तो बहक ही जाते हैं
अरे भूल जाओ जो हुआ उसे यह लड़के बच ही जाएंगे
तुम लड़की हो दुनिया वाले तुम पर ही प्रश्न उठाएंगे
क्यों कोई नहीं था साथ में , क्यों निकली अकेली रात में ,
क्या मेकअप था , क्या गहने थे , क्या छोटे कपड़े पहने थे ?
इन प्रश्नों की भूल भुलैया में सच्चाई कहीं खो जाती है
सब भूल जाओ कहने वालों क्या तुम्हें शर्म नहीं आती है
सब भूल जाओ सब भूल जाओ कहने वालों
याद रखो यह आखरी गलती आपकी भी हो सकती है
कल सड़क पर बेसुध बहन या बेटी आपकी भी हो सकती है
उस एहसास से बढ़कर कोई दर्द नहीं हो सकता है
जो नारी का अपमान करें वह मर्द नहीं हो सकता है
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This poem is not mine
A youtube channel named shubham Chandra vines owns it
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आगे सफर था और पीछे हमसफर था..... रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हम सफर छूट जाता...मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी.. ए दिल तू ही बता... उस वक्त मैं कहाँ जाता....मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हम सफर भी था रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते....यूँ समँझ लो....प्यास लगी थी गजब की... मगर पानी मे जहर था... पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते...बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!! ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!

#Unknown
#Urmila
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आगे सफर था और पीछे हमसफर था..... रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हम सफर छूट जाता...मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी.. ए दिल तू ही बता... उस वक्त मैं कहाँ जाता....मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हम सफर भी था रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते....यूँ समँझ लो....प्यास लगी थी गजब की... मगर पानी मे जहर था... पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते...बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!! ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!

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लोग चाँद को पाने की तलब में
क़रीब के चराग़ भी खो देते हैं

#Unknown
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लोग चाँद को पाने की तलब में
क़रीब के चराग़ भी खो देते हैं

#Unknown
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कट मरे अपने क़बीले की हिफ़ाज़त के लिए
मक़्तल-ए-शहर में ठहरे रहे जुम्बिश नहीं की

#unknown
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
शाम होते होते सुबह की नज़रों से उतर जाते हैं
इतने टुकड़ो में जीते हैं कि जीते जी मर जाते हैं

#review #unknown

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
दुनियां तो मुझसे सिर्फ मोहोब्बत करती है
वो दिवाना पागलपन भी करता था
तुम तो कहते थे मुझे छू लोगे
छू लेते न, मेरा मन भी करता था

#review #unknown

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
दुनियां तो मुझसे सिर्फ मोहोब्बत करती है
वो दिवाना पागलपन भी करता था
तुम तो कहते थे मुझे छू लोगे
छू लेते न, मेरा मन भी करता था

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
शाम होते होते सुबह की नज़रों से उतर जाते हैं
इतने टुकड़ो में जीते हैं कि जीते जी मर जाते हैं

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
हक़ीक़त रूबरू हो तो -अदाकारी नही चलती,

ख़ुदा के सामने बन्दों की मक्कारी नही चलती...

तुम्हारा दबदबा ख़ाली तुम्हारी ज़िंदगी तक है,

किसी की क़ब्र के अन्दर ज़मींदारी नही चलती...

#unknown
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
हक़ीक़त रूबरू हो तो -अदाकारी नही चलती,

ख़ुदा के सामने बन्दों की मक्कारी नही चलती...

तुम्हारा दबदबा ख़ाली तुम्हारी ज़िंदगी तक है,

किसी की क़ब्र के अन्दर ज़मींदारी नही चलती...

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
ख़त्म अपने हाथ से ये ज़िन्दगी होती नहीं,
जीना जितना भी हो मुश्किल ख़ुदक़ुशी होती नहीं,
चाटें हम तलवे किसी के दुम हिलाएं रात दिन,
नौकरी है ये तो हमसे नौकरी होती नहीं,
दूर जाना है तो पहले तू मेरे नज़दीक आ,
दोस्ती गहरी न हो तो दुश्मनी होती नहीं,
इस कदर गहरे अँधेरे हो गए हैं आज कल,
रात भर जलते हैं हम पर रौशनी होती नहीं
सीख कर आओ ज़ुबां आँखों की तो हम कुछ कहें,
इन लबों से बात कोई काम की होती नहीं,
पेट में पहला खुदा है, आसमाँ में दूसरा,
मिट न जाए भूख जब तक बंदिगी होती नहीं,
बात सच्ची ही कही है, चाहे अच्छी हो न हो,
दाद की ख्वाहिश में हमसे शायरी होती नहीं!
#unknown
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧