Hindi/Urdu Poems
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Hindi/Urdu Poetry Collection.
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Hamari mohabbat bhi bohot kamaal thi janaab,
Hamne thoda waqt kya kam diya ishq me,
Unhone dusre kandhe dhund liye ishq karne ke liye.

#shivam
#review

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कौन जमुरा,कौन मदारी
और कौन है किस पर भारी।
कौन तमाशा देख रहा है
और क्या है उसकी लाचारी।1।

किसका पंछी,किसका पिंजरा
और किसका है ये सवारी।
अपराधी भी खुला घूम रहा
और देख रही दुनिया सारी।2।

कौन है आदि,कौन अनादि
और कौन है यहां विनोदी।
पंछी को कैद कर के मुरख
खुद मांग रहा है आजादी।3।

किसका खंडन,किसका मंडन
और किसका करूं अभिनंदन।
पाप कर के खड़ा है मूरख
और लगा रह है चंदन,
बकरा काट के खुश हो गए
और मना लिए ईद - मुहर्रम,
पर भूल गए उस अबला नारी को
जो कर रही है क्रंदन।4।

कौन है आगे ,कौन है पीछे
और कौन तुम्हारा साथी।
धन आया तो भूल गए
और बन गए तुम भी स्वार्थी,
लेकिन भूल गए की
एक दिन तुम भी थे शरणार्थी।5।

कौन जमुरा, कौन मदारी
और कौन कर रहा है गद्दारी।
देख रही सबकुछ दुनिया
पर खड़ी है बेबस बेचारी।6।
जय श्री राम

#shivam
#review

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ऐसे ही किसी एक दिन, सारी खुशियां चली जाएगी
रात रह जाएगी और दिन कहीं खो जाएगी
उजाला रहेगा सामने ,पर मन अंधेरा को जाएगी
मन मालिक बनना चाहेगा ,तन गुलाम बन कर रह जायेगी
खुशियों से भरा जीवन को, तुम गम के पास छोड़ आवोगी
भविष्यत्त की छोड़ मनवा को भूत की याद सताएगी
राम राज्य में रहकर, रावण की गुण तुम गावोगी
कंश की क्रूरता देखकर भी कृष्ण की याद न आएगी
मंजिल रहेगी पास में,पर रास्ता कहीं खो जाएगी
धर्म की याद सताएगी ,पर कर्म नहीं हो पाएगी
चलते चलते राहों में तुम पत्थर से टकरावोगी
ऐसे ही किसी एक दिन ,तुम मौत से मिल जाओगी
सबकुछ था तुम्हारे पास,पर तुम्हारे पास कुछ न रह जाएगी
तन माटी में मिल जाएगा या राख बन कर उड़ जाएगी
और ऐसे ही तुम एक दिन ,बस यादों में रह जाओगे
और तुम भी उस भीड़ का हिस्सा बन कर चले जाओगे
जय श्री राम

#shivam
#review

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कुछ वक्त मांगा था उनसे
उनके साथ वक्त बिताने को
वो खाती थी कसमें मेरे साथ मर जाने को
फिर ईश्वर ने खेला गजब का खेल
मर गए हम,पर भेजा न उन्हें साथ मर जाने को

#shivam
#review

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इस कुटिया में भी वीर पड़े है।
लेकिन कुछ अभी धीर धरे है
वो भी शस्त्र उठाएंगे
वो भी धर्म बचाएंगे
लेकिन पड़े है ,वो मोह में
जो कि इस दुनिया में है ही नही
या कहो की ये भ्रम है,,
की उनके जैसा कोई नहीं
सत्य क्या है ,
जिस दिन तुम समझोगे
कही न कहीं तुम भी नाक रगड़ोगे
लेकिन प्रिय याद रखना,
हुई नही है देर अभी,

अभी भी सब कुछ बाकी है
काट लिए आधी जीवन तो क्या
आधी अभी भी बाकी है
ये तो कर्म का खेल है
वक्त तो चलता रहता है
सूरज भी ढलता रहता है
लेकिन ये न भूलो तुम की
सूरज वापस पुनः निकलता है

#shivam
#review

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इस कुटिया में भी वीर पड़े है।
लेकिन कुछ अभी धीर धरे है
वो भी शस्त्र उठाएंगे
वो भी धर्म बचाएंगे
लेकिन पड़े है ,वो मोह में
जो कि इस दुनिया में है ही नही
या कहो की ये भ्रम है,,
की उनके जैसा कोई नहीं
सत्य क्या है ,
जिस दिन तुम समझोगे
कही न कहीं तुम भी नाक रगड़ोगे
लेकिन प्रिय याद रखना,
हुई नही है देर अभी,

अभी भी सब कुछ बाकी है
काट लिए आधी जीवन तो क्या
आधी अभी भी बाकी है
ये तो कर्म का खेल है
वक्त तो चलता रहता है
सूरज भी ढलता रहता है
लेकिन ये न भूलो तुम की
सूरज वापस पुनः निकलता है

#shivam
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Phir se wahi chhije dohara rahe ho,
Kya karna tha kya kar rahe ho,
Abhi Abhi to shuru Kiye the
Abhi hi chhod doge kya,
Shishe se bana mere Ghar ko Tod doge kya
Kuchh galtiyon ke karan ,
Apno se naata Tod doge kya😔

#shivam
#review

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मुझे लगता है की
मेरा न ख्वाब के साथ
एक अजीब सा रिश्ता है
मैं ख्वाब को देखता हूं
उसे पाने को सोचता हूं
उसे अपना बनाने को सोचता हूं
लेकिन क्या करे,
वो है भी तो सिर्फ एक ख्वाब
फिलहाल तो सिर्फ उसे देख ही सकता हूं
फिर सोचता हूं की
ख्वाब मिल जाता तो कितना अच्छा होता न
हम और हमारे साथ हमारे ख्वाब
लेकिन मुझे पता है की
फिर जीने में मजा नहीं आता
पर लोग कहते है की
ख्वाब को पाना ही मंजिल है
लेकिन मंजिल पर तो पहुंचा जा सकता है
और ख्वाब तो देखे जाते है
तो मेरा रिश्ता किसके साथ है??
ख्वाब के साथ या मंजिल के साथ
अगर मंजिल के साथ तो वो मेरे पास क्यों नहीं
और
अगर ख्वाब के साथ है तो
क्या करे वो तो सिर्फ एक ख्वाब है ना
-SHIVAM
#shivam
#review

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कस्ती किनारा खोज रही थी
पर पता नही क्यों मुझे
डूब जाने का मन कर रहा था🥺
#shivam
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क्या कभी ये शहर भाएगा मुझे
क्या इससे दूर जाने से,इसकी याद सताएगा मुझे
वो NIT घाट की शोर,वो कृष्ण घाट की शांति
वो अशोक राजपथ की ट्रैफिक कहां मिल पाएगा मुझे
गांधी मैदान दोस्तो के साथ पैदल पार करना
उनके साथ क्या हो रहा ,ये जानना
क्या उनकी याद दिलाएगा मुझे
वो गुप्ता जी का बर्गर और वो थापा जी का मोमोज
और वो रमेश अंकल का सोडा कहां मिल पाएगा मुझे
मैं जा तो रहा हूं इस शहर से दूर मगर क्या
इसके जैसा कोई और मिल पाएगा मुझ
क्या ये नई शहर
में वो पुराने लोग मिल पाएंगे मुझे
जब कभी मुसीबत में पड़ जाऊं
तो मामा जी वहां से निकाल पाएंगे मुझे
क्या हर शनिवार ,
नाना जी के साथ गंगा आरती देखने जाना
उनका वो भूटा खिलाना
उन्हे देख कर तीखी मिर्ची खा लेना
और फिर उसके बाद रोने लग जाना
क्या ये नई शहर ये सब करा पाएगी मुझे
वो क्लास बंक करके
दोस्तो के साथ पटना साहिब जाना
बिना किसी को बताये हुए
मगर फिर जैसे माई(नानी) जान जाती थी
क्या फिर से जान पाएगी मुझे
इस शहर में अनजान लोगो से भी अपनापन लगना
क्या कोई और शहर में जाकर जान पहचान के लोगो
से भी वो अपनापन मिल पाएगी मुझे
मैं जा तो रहा हूं इससे दूर मगर क्या
इसके जैसा कोई और मिल पाएगा मुझे
और क्या ये नया शहर कभी भाएगा मुझे????

#shivam
#review

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मैं फरेबी, फरेब रास्तों से आगे,
एक और कांटे जिंदगी के,
मन चुभा कर भागे आगे
नए मिलेंगे रिश्ते कहीं,
कहीं करूंगा मैं फरेबी बाते
झूठ कहूं या सच
पर अब बस, अब बस

#review
#shivam

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧