प्रेम कहानी
अजब निराली मेरे गिरिधर की यह प्रेम कहानी,
विवाह न करके भी कहलाएं ये राधास्वामी |
सबको अपने रंग में रंगने वाला यह अद्भुत ग्वाला,
कलयुग में तक जला दी इसने मीरा के हृदय में प्रेम की ज्वाला |
मेरे गिरधर की लीलाएँ सारी अजब निराली है,
हम उनकी बगिया और वह हमारे माली हैं ||
#r_k #review #promote #radha+krishna
अजब निराली मेरे गिरिधर की यह प्रेम कहानी,
विवाह न करके भी कहलाएं ये राधास्वामी |
सबको अपने रंग में रंगने वाला यह अद्भुत ग्वाला,
कलयुग में तक जला दी इसने मीरा के हृदय में प्रेम की ज्वाला |
मेरे गिरधर की लीलाएँ सारी अजब निराली है,
हम उनकी बगिया और वह हमारे माली हैं ||
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💕राधा कृष्ण के मध्य प्रेम का पहला संवाद💕
मटकी लेकर जा रही थी हमारी राधा रानी ,
तनिक जरा आना कहकर कान्हा ने मन ही मन दिल की बात कहने की थानी |
गोपियों से कहकर अभी थोड़ी देर में आती हूं,
तुम चलो,मै कृष्ण से मिलकर कुछ क्षण में घर जाती हूं|
राधा को देख सामने आए ,
कृष्ण अपने मन ही मन मुस्कुराए |
करने लगे कृष्ण आज अपनी दिल की बात ,
राधा जब से देखा तुमको नींद न आती तब से मुझे हर रात,
मन करता था कह दूं अपनी सारी दिल की बात |
करता हूं मैं तुमसे अनंत प्रेम इसकदर राधा,
की तुम्हारे लिए कर सकता पार कोई भी बाधा |
राधा जी को आ गई शर्म,
मानो प्रेम पहुंच गया हो सीमा के चरम,
तभी दोनों ने पकड़ा एक दूसरे का हाथ ,
और सदा के लिए हो गए दोनों एक साथ |
🙏राधे राधे🙏
#review #r_k
मटकी लेकर जा रही थी हमारी राधा रानी ,
तनिक जरा आना कहकर कान्हा ने मन ही मन दिल की बात कहने की थानी |
गोपियों से कहकर अभी थोड़ी देर में आती हूं,
तुम चलो,मै कृष्ण से मिलकर कुछ क्षण में घर जाती हूं|
राधा को देख सामने आए ,
कृष्ण अपने मन ही मन मुस्कुराए |
करने लगे कृष्ण आज अपनी दिल की बात ,
राधा जब से देखा तुमको नींद न आती तब से मुझे हर रात,
मन करता था कह दूं अपनी सारी दिल की बात |
करता हूं मैं तुमसे अनंत प्रेम इसकदर राधा,
की तुम्हारे लिए कर सकता पार कोई भी बाधा |
राधा जी को आ गई शर्म,
मानो प्रेम पहुंच गया हो सीमा के चरम,
तभी दोनों ने पकड़ा एक दूसरे का हाथ ,
और सदा के लिए हो गए दोनों एक साथ |
🙏राधे राधे🙏
#review #r_k
🙏 परर्थना 🙏
हे कान्हा ! हे कृष्णा!
मिटा दे तू हम सब की तृष्णा ,
इस दुनिया में सब बहा रहे एक दूसरे का लहू लाल,
अब कुछ तो कर दे किधर गोपाल |
धरती पर बड़ रहा है पाप का इस कदर अब आतंक, की राजा हो कर भी सब मन से बनते जा रहे हैं रंक,
अब हमें तेरा ही सहारा है,
हे कृष्णा ! तू कितना प्यारा है |
तू ही तो है हम सब की आस
बना दे इस धरती को पावन ,करके फिर से रास |
#review #r_k
हे कान्हा ! हे कृष्णा!
मिटा दे तू हम सब की तृष्णा ,
इस दुनिया में सब बहा रहे एक दूसरे का लहू लाल,
अब कुछ तो कर दे किधर गोपाल |
धरती पर बड़ रहा है पाप का इस कदर अब आतंक, की राजा हो कर भी सब मन से बनते जा रहे हैं रंक,
अब हमें तेरा ही सहारा है,
हे कृष्णा ! तू कितना प्यारा है |
तू ही तो है हम सब की आस
बना दे इस धरती को पावन ,करके फिर से रास |
#review #r_k
मां-बाप तो करते हैं सृजन का काम ,
तो फिर बेटियों को क्यों नहीं मानते कुछ लोग अपना मान ,
जब जन्म देने वाला ही कातिल बन जाता है,
तो सृजन करता ही कातिल कहलाता है ,
आखिर भूल क्या हुई थी मेरी जो मुझ को पहले ही मार दिया,
क्या वजह रही होगी जो उन्होंने मानवता की सीमा को यूँ पार किया ,
मैं लड़की हूं ,कोई पाप नहीं ,
मैं वरदान हूं ,कोई श्राप नहीं ,
दुर्गाष्टमी में तूम करते हो मेरी पूजा ,
तो फिर क्यों चाहते हो तुम लोग लड़का दूजा |
#r_k
#review
तो फिर बेटियों को क्यों नहीं मानते कुछ लोग अपना मान ,
जब जन्म देने वाला ही कातिल बन जाता है,
तो सृजन करता ही कातिल कहलाता है ,
आखिर भूल क्या हुई थी मेरी जो मुझ को पहले ही मार दिया,
क्या वजह रही होगी जो उन्होंने मानवता की सीमा को यूँ पार किया ,
मैं लड़की हूं ,कोई पाप नहीं ,
मैं वरदान हूं ,कोई श्राप नहीं ,
दुर्गाष्टमी में तूम करते हो मेरी पूजा ,
तो फिर क्यों चाहते हो तुम लोग लड़का दूजा |
#r_k
#review
अतीत की बू
कहीं आवाज़ सी सुनी थी अभी,
कोई यादों में आ गया है अभी।
हवा ठहरी है क्यों उदासी लिए,
कोई बीता पल आह भरता कहीं।
वो जो खुशबू थी इक मोहब्बत की,
अब अकेली सी बह रही है कहीं।
ये दरीचे उदास क्यों हैं यहाँ,
कोई ख़त शायद जल गया है कहीं।
बुझे लम्हों की राख़ फैली हुई,
अभी अतीत की बू है बसी।
#r.kumar #review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कहीं आवाज़ सी सुनी थी अभी,
कोई यादों में आ गया है अभी।
हवा ठहरी है क्यों उदासी लिए,
कोई बीता पल आह भरता कहीं।
वो जो खुशबू थी इक मोहब्बत की,
अब अकेली सी बह रही है कहीं।
ये दरीचे उदास क्यों हैं यहाँ,
कोई ख़त शायद जल गया है कहीं।
बुझे लम्हों की राख़ फैली हुई,
अभी अतीत की बू है बसी।
#r.kumar #review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
अतीत की बू
कहीं आवाज़ सी सुनी थी अभी,
कोई यादों में आ गया है अभी।
हवा ठहरी है क्यों उदासी लिए,
कोई बीता पल आह भरता कहीं।
वो जो खुशबू थी इक मोहब्बत की,
अब अकेली सी बह रही है कहीं।
ये दरीचे उदास क्यों हैं यहाँ,
कोई ख़त शायद जल गया है कहीं।
बुझे लम्हों की राख़ फैली हुई,
अभी अतीत की बू है बसी।
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कहीं आवाज़ सी सुनी थी अभी,
कोई यादों में आ गया है अभी।
हवा ठहरी है क्यों उदासी लिए,
कोई बीता पल आह भरता कहीं।
वो जो खुशबू थी इक मोहब्बत की,
अब अकेली सी बह रही है कहीं।
ये दरीचे उदास क्यों हैं यहाँ,
कोई ख़त शायद जल गया है कहीं।
बुझे लम्हों की राख़ फैली हुई,
अभी अतीत की बू है बसी।
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