Aaj janam divas par papa ke,
Kuch raaz btaye deta hun
Ek bete ke andar ke kuch,
Jazbaat btaye deta hun
Jb kbhi zamane ne mujhko,
Sabse chota batlaya tha
Papa ne mujhko tab,
Apne kandho pr baithaya tha
Papa meri har ek zid ko
zimmedari smjhte h,
Na jane wo kaise ye sab
haste haste krte h
Number mere bachpan me,
Jab kbhi bhi kam aa jate the
Agli bari badh jayenge,
Haosala papa dilate the
Dant fatkar bhi krte the,
Pr baad me pyar jtate the
Wo seedhe to kch na khte,
Bs pasand ki cheezen dilate h
Mai ladka hun to kbhi kha nhi,
Aaj kch baaton ko btaya hai
Kch aapse bateen kehni thi,
To is kavita ko sahara bnaya h
Aaj janam divas par papa ke,
Kuch raaz btaye hain maine
Ek bete ke andar ke kuch,
Jazbaat btaye hain maine
-Ravan@786
#papa
#review
Papa ke birthday pe likhi thi
Kuch galati ho gayi ho to maaf kr dena
Kuch raaz btaye deta hun
Ek bete ke andar ke kuch,
Jazbaat btaye deta hun
Jb kbhi zamane ne mujhko,
Sabse chota batlaya tha
Papa ne mujhko tab,
Apne kandho pr baithaya tha
Papa meri har ek zid ko
zimmedari smjhte h,
Na jane wo kaise ye sab
haste haste krte h
Number mere bachpan me,
Jab kbhi bhi kam aa jate the
Agli bari badh jayenge,
Haosala papa dilate the
Dant fatkar bhi krte the,
Pr baad me pyar jtate the
Wo seedhe to kch na khte,
Bs pasand ki cheezen dilate h
Mai ladka hun to kbhi kha nhi,
Aaj kch baaton ko btaya hai
Kch aapse bateen kehni thi,
To is kavita ko sahara bnaya h
Aaj janam divas par papa ke,
Kuch raaz btaye hain maine
Ek bete ke andar ke kuch,
Jazbaat btaye hain maine
-Ravan@786
#papa
#review
Papa ke birthday pe likhi thi
Kuch galati ho gayi ho to maaf kr dena
पापा का राजदुलारा घर आया था
उस दिन खुशियां छाई थी
घर में खुशखबरी आई थी
नन्हा मेहमान घर आया था
पापा ने गौद में उठाया था
पापा का राजदुलारा घर आया था
रोने की किलकारी गूंजने लगी थी
माता मेरी मुझें सुलाने लगी थी
तभी पिता को मैंने करीब पाया था
पापा ने लौरी गाकर सुलाया था
पापा का राजदुलारा घर आया था
दुनियां की सारी खुशियां मुझें थमाई थी
मेरी दुनियां तो बस पापा में समाई थी
जिन ख़्वाबों को मैंने कभी सजाया था
पापा ने उनको सच कर दिखाया था
पापा का राजदुलारा घर आया था
हर चीज मुझें छोटी लगती थी
पापा की हंसी प्यारी लगती थी
पापा ने मुझे खूब पढ़ाया था
मुझें जीने के काबिल बनाया था
पापा का राजदुलारा घर आया था
खुशियों ने फिर करवट ली थी
मेरी जिंदगी मुझसे छीन ली थी
मेरा भाग्य मुझसे रूठ गया था
पापा का साथ मुझसे छूट गया था
ऊपर वाला मुझसे रुठ गया था
हंसी की जगह खामोशी ने ली थी
खुशियां सारी दुःखमय हो ली थी
सबसे प्यारा साथ छूठ गया था
भीतर से हर कोई टूट गया था
ऊपर वाला मुझसे रुठ गया था
जीवन की नौका तैयार खड़ी थी
जो जिम्मेदारी के बोझ से जड़ी थी
उस नाव पर मैं सवार हो गया था
जिम्मेदारीयो का आगाज़ हो गया था
नई राह में जीवन मुड़ गया था
ऊपर वाला मुझसे रुठ गया था
#nitesh_rawal #papa
#review
उस दिन खुशियां छाई थी
घर में खुशखबरी आई थी
नन्हा मेहमान घर आया था
पापा ने गौद में उठाया था
पापा का राजदुलारा घर आया था
रोने की किलकारी गूंजने लगी थी
माता मेरी मुझें सुलाने लगी थी
तभी पिता को मैंने करीब पाया था
पापा ने लौरी गाकर सुलाया था
पापा का राजदुलारा घर आया था
दुनियां की सारी खुशियां मुझें थमाई थी
मेरी दुनियां तो बस पापा में समाई थी
जिन ख़्वाबों को मैंने कभी सजाया था
पापा ने उनको सच कर दिखाया था
पापा का राजदुलारा घर आया था
हर चीज मुझें छोटी लगती थी
पापा की हंसी प्यारी लगती थी
पापा ने मुझे खूब पढ़ाया था
मुझें जीने के काबिल बनाया था
पापा का राजदुलारा घर आया था
खुशियों ने फिर करवट ली थी
मेरी जिंदगी मुझसे छीन ली थी
मेरा भाग्य मुझसे रूठ गया था
पापा का साथ मुझसे छूट गया था
ऊपर वाला मुझसे रुठ गया था
हंसी की जगह खामोशी ने ली थी
खुशियां सारी दुःखमय हो ली थी
सबसे प्यारा साथ छूठ गया था
भीतर से हर कोई टूट गया था
ऊपर वाला मुझसे रुठ गया था
जीवन की नौका तैयार खड़ी थी
जो जिम्मेदारी के बोझ से जड़ी थी
उस नाव पर मैं सवार हो गया था
जिम्मेदारीयो का आगाज़ हो गया था
नई राह में जीवन मुड़ गया था
ऊपर वाला मुझसे रुठ गया था
#nitesh_rawal #papa
#review
पिताजी के गुज़र जाने के बाद कि हुई मेरी अपनी रचना
मेरी अंतर्मन की पीड़ा
मेरी अंतर्मन की पीड़ा का,
तुम्हें ज़रा भी एहसास नहीं।
बहुत करीब होकर भी,
अब तुम मेरे पास नहीं।।
आपके साथ बिताया हर वक़्त, हर लम्हा,
उन्हें भूल पाना मेरे बस में नहीं।
यादों की उन सुनेहरी जंजीरों में जकड़ा मैं,
अब खुलकर ले पाता हूँ साँस नहीं।।
वो हाथ थामकर स्कूल जाना,
अब स्कूल जाने में वो बात नहीं।
वो आपका चिल्लाना, और मेरा चैन से सोना,
अब ऐसी कोई एक भी रात नहीं।।
#मोhit_Iyer #papa #review #dedicated
मेरी अंतर्मन की पीड़ा
मेरी अंतर्मन की पीड़ा का,
तुम्हें ज़रा भी एहसास नहीं।
बहुत करीब होकर भी,
अब तुम मेरे पास नहीं।।
आपके साथ बिताया हर वक़्त, हर लम्हा,
उन्हें भूल पाना मेरे बस में नहीं।
यादों की उन सुनेहरी जंजीरों में जकड़ा मैं,
अब खुलकर ले पाता हूँ साँस नहीं।।
वो हाथ थामकर स्कूल जाना,
अब स्कूल जाने में वो बात नहीं।
वो आपका चिल्लाना, और मेरा चैन से सोना,
अब ऐसी कोई एक भी रात नहीं।।
#मोhit_Iyer #papa #review #dedicated