|| प्रेम शब्द ||
ये प्रेम शब्द है बड़ा निराला,
जिसे समझकर मीरा ने पहनी जोगन की माला |
सब कुछ छोड़ चली वह प्रभु के धाम,
लेकर ह्रदय में गिरिधर का नाम |
साथ लेकर चली कुछ नहीं ,
बस थे गिरधर उसके संग ,
उसकी बेरंग दुनिया को गिरधर ने दिया प्रेम का रंग |
न जाने कितने राजपूत जीते, न जाने कितने हारे,
युद्ध में ना जाने कितने गए होंगे मारे |
न ही किसी को याद उनका नाम और न ही पहचान ,
बस गिरधर की मीरा ही बनी राजपूतों की शान ||
~ राधिका
#radhika
#promote
#review
ये प्रेम शब्द है बड़ा निराला,
जिसे समझकर मीरा ने पहनी जोगन की माला |
सब कुछ छोड़ चली वह प्रभु के धाम,
लेकर ह्रदय में गिरिधर का नाम |
साथ लेकर चली कुछ नहीं ,
बस थे गिरधर उसके संग ,
उसकी बेरंग दुनिया को गिरधर ने दिया प्रेम का रंग |
न जाने कितने राजपूत जीते, न जाने कितने हारे,
युद्ध में ना जाने कितने गए होंगे मारे |
न ही किसी को याद उनका नाम और न ही पहचान ,
बस गिरधर की मीरा ही बनी राजपूतों की शान ||
~ राधिका
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जमाना बदल रहा है
कभी वह भी दिन थे ,
जब सब एक घर में थे रहते।
साथ खेलते और साथ रोते ,
चाचा-ताऊ ,दादा - दादी से भरा होता था परिवार। आज जाने क्यों बन गए यह सब बवाल।
अगर किसी से पूछो ये सब क्या हो रहा है ?,
तो हर कोई यही कह रहा है कि ,
जमाना बदल रहा है ।।
पहले वह भी दिन थे जब सुबह उठकर होता था स्नान, आजकल तो व्हाट्सएप पर पहले भेजा जाता है पणाम।
अब ऑनलाइन जमाना इतना है भाता की,
ऑफलाइन जमाने में वह मजा नहीं आता।
अगर किसी से पूछो ये सब क्या हो रहा है ?,
तो हर कोई यही कह रहा है कि ,
जमाना बदल रहा है ।।
पहले खिलौने कम थे ,
पर खेलने वाले ज्यादा हुआ करते थे।
किताबे कम थी ,
फिर भी ज्ञान का भंडार हुआ करता था।
आज सब उलट सा हो रहा है ,
खिलौने तो बहुत है पर यार नहीं मिल रहे हैं,
किताबें तो बहुत है पर ज्ञान नहीं मिल रहा है ।
अगर किसी से पूछो ये सब क्या हो रहा है ?,
तो हर कोई यही कह रहा है कि ,
जमाना बदल रहा है ।।
#radhika
#review #promote
कभी वह भी दिन थे ,
जब सब एक घर में थे रहते।
साथ खेलते और साथ रोते ,
चाचा-ताऊ ,दादा - दादी से भरा होता था परिवार। आज जाने क्यों बन गए यह सब बवाल।
अगर किसी से पूछो ये सब क्या हो रहा है ?,
तो हर कोई यही कह रहा है कि ,
जमाना बदल रहा है ।।
पहले वह भी दिन थे जब सुबह उठकर होता था स्नान, आजकल तो व्हाट्सएप पर पहले भेजा जाता है पणाम।
अब ऑनलाइन जमाना इतना है भाता की,
ऑफलाइन जमाने में वह मजा नहीं आता।
अगर किसी से पूछो ये सब क्या हो रहा है ?,
तो हर कोई यही कह रहा है कि ,
जमाना बदल रहा है ।।
पहले खिलौने कम थे ,
पर खेलने वाले ज्यादा हुआ करते थे।
किताबे कम थी ,
फिर भी ज्ञान का भंडार हुआ करता था।
आज सब उलट सा हो रहा है ,
खिलौने तो बहुत है पर यार नहीं मिल रहे हैं,
किताबें तो बहुत है पर ज्ञान नहीं मिल रहा है ।
अगर किसी से पूछो ये सब क्या हो रहा है ?,
तो हर कोई यही कह रहा है कि ,
जमाना बदल रहा है ।।
#radhika
#review #promote
|| प्रेम अर्थ ||
क्या से क्या बन गया है प्रेम आज,
अब तकरार की वजह बन गई है दो प्रेमियों के बीच का राज |
सच्चे प्रेम का अर्थ तो समझा गए थे कृष्ण और राधा ,
पर हम समझ सके आजतक इस सच को आधा |
दूर रहकर भी राधा कृष्ण थे एक दूसरे के पास ,
और आज हम लोग साथ रहकर भी छोड़ देते हैं एक दूसरे की आस ||
#radhika #review #promote
क्या से क्या बन गया है प्रेम आज,
अब तकरार की वजह बन गई है दो प्रेमियों के बीच का राज |
सच्चे प्रेम का अर्थ तो समझा गए थे कृष्ण और राधा ,
पर हम समझ सके आजतक इस सच को आधा |
दूर रहकर भी राधा कृष्ण थे एक दूसरे के पास ,
और आज हम लोग साथ रहकर भी छोड़ देते हैं एक दूसरे की आस ||
#radhika #review #promote
|| वो बाप कहलाता है ||
जो कुछ ना बोल कर बोल कर भी बहुत कुछ बोल जाता है,
जो अपनी खुशी मारकर अपने बच्चों की खुशियों को पहले लाता है,
वो बाप कहलाता है ||
डांट तो देता है वह अपने लाल को,
जो अपने बच्चों के खातिर दिल में पत्थर रखकर चलता है सख्त चाल को ,
वो बाप कहलाता है ||
जिसका प्यार छिपा होता है गुस्से के पीछे ,
आता उसका नाम प्रेम में फिर क्यों मां के नीचे ?,
फिर भी वह बिन कहे सब कुछ कर जाता है,
वो बाप कहलाता है |
वो बाप के कहलाता है ||
~ राधिका
#radhika
#review #promote
जो कुछ ना बोल कर बोल कर भी बहुत कुछ बोल जाता है,
जो अपनी खुशी मारकर अपने बच्चों की खुशियों को पहले लाता है,
वो बाप कहलाता है ||
डांट तो देता है वह अपने लाल को,
जो अपने बच्चों के खातिर दिल में पत्थर रखकर चलता है सख्त चाल को ,
वो बाप कहलाता है ||
जिसका प्यार छिपा होता है गुस्से के पीछे ,
आता उसका नाम प्रेम में फिर क्यों मां के नीचे ?,
फिर भी वह बिन कहे सब कुछ कर जाता है,
वो बाप कहलाता है |
वो बाप के कहलाता है ||
~ राधिका
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|| वो पिता कहलाता है ||
जो कुछ ना बोल कर बोल कर भी बहुत कुछ बोल जाता है,
जो अपनी खुशी मारकर अपने बच्चों की खुशियों को पहले लाता है,
वो पिता कहलाता है ||
डांट तो देता है वह अपने लाल को,
जो अपने बच्चों के खातिर दिल में पत्थर रखकर चलता है सख्त चाल को ,
वो पिता कहलाता है ||
जिसका प्यार छिपा होता है गुस्से के पीछे ,
आता उसका नाम प्रेम में फिर क्यों मां के नीचे ?,
फिर भी वह बिन कहे सब कुछ कर जाता है,
वो पिता कहलाता है |
वो पिता के कहलाता है ||
~ राधिका
#radhika
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जो कुछ ना बोल कर बोल कर भी बहुत कुछ बोल जाता है,
जो अपनी खुशी मारकर अपने बच्चों की खुशियों को पहले लाता है,
वो पिता कहलाता है ||
डांट तो देता है वह अपने लाल को,
जो अपने बच्चों के खातिर दिल में पत्थर रखकर चलता है सख्त चाल को ,
वो पिता कहलाता है ||
जिसका प्यार छिपा होता है गुस्से के पीछे ,
आता उसका नाम प्रेम में फिर क्यों मां के नीचे ?,
फिर भी वह बिन कहे सब कुछ कर जाता है,
वो पिता कहलाता है |
वो पिता के कहलाता है ||
~ राधिका
#radhika
#review #promote
प्रेम कहानी
अजब निराली मेरे गिरिधर की यह प्रेम कहानी,
विवाह न करके भी कहलाएं ये राधास्वामी |
सबको अपने रंग में रंगने वाला यह अद्भुत ग्वाला,
कलयुग में तक जला दी इसने मीरा के हृदय में प्रेम की ज्वाला |
मेरे गिरधर की लीलाएँ सारी अजब निराली है,
हम उनकी बगिया और वह हमारे माली हैं ||
#r_k #review #promote #radha+krishna
अजब निराली मेरे गिरिधर की यह प्रेम कहानी,
विवाह न करके भी कहलाएं ये राधास्वामी |
सबको अपने रंग में रंगने वाला यह अद्भुत ग्वाला,
कलयुग में तक जला दी इसने मीरा के हृदय में प्रेम की ज्वाला |
मेरे गिरधर की लीलाएँ सारी अजब निराली है,
हम उनकी बगिया और वह हमारे माली हैं ||
#r_k #review #promote #radha+krishna
भरोसा तो किया था मैंने
मिला तो बस सिर्फ धोखा
ये कोई वफ़ा तो नहीं,
अरे! बस प्यार ही तो किया था मैंने
और बदले में चाह सिर्फ प्यार ही की थी
ये कोई ख़ता तो नहीं।
जाना था ही तो यूँ ही जाना था
ये कहकर की मैं तुम्हारे लायक नहीं
ये कोई वजा तो नहीं,
कपड़े भी फाड़े और जिस्म भी नोचा
वो अपने ही थे जो आखिर में देखने आए
की कोई बचा तो नहीं।।
#मोhit_Iyer #review #promote
मिला तो बस सिर्फ धोखा
ये कोई वफ़ा तो नहीं,
अरे! बस प्यार ही तो किया था मैंने
और बदले में चाह सिर्फ प्यार ही की थी
ये कोई ख़ता तो नहीं।
जाना था ही तो यूँ ही जाना था
ये कहकर की मैं तुम्हारे लायक नहीं
ये कोई वजा तो नहीं,
कपड़े भी फाड़े और जिस्म भी नोचा
वो अपने ही थे जो आखिर में देखने आए
की कोई बचा तो नहीं।।
#मोhit_Iyer #review #promote