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मुरीद हूँ मैं उनके निगाह ए नाज़ का
मुझे हक़ है उनके चाह में परवाज़ का
#Radhika021
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वो ख़त
जो मैंने भेजी थी उस दिन
वो बेरंग नहीं था
उसपे मेरा प्यार का रंग चढ़ा था
मैंने क़ासिद के हाथों तुम्हारे लिए
एक गुलाब का फूल भी भेजी थी
तुम्हे बड़े पसंद है ना
मेरे बागों के गुलाब
अब मुझे भी पसंद आने लगे है
रोज़ घंटों बिता देती हूँ
शाम को टहलती रहती हूँ
नजाने कितने सुर पिरोति हूँ
और अपने लय में गाती हूँ
प्रेम विरह का गान
और लिखती रहती हूँ
कुछ तहरीर,
कुछ तफ़सीर
कुछ तक़दीर
और तुम्हारा नाम।
~ राधिका ✍️
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वो ख़त
जो मैंने भेजी थी उस दिन
वो बेरंग नहीं था
उसपे मेरा प्यार का रंग चढ़ा था
मैंने क़ासिद के हाथों तुम्हारे लिए
एक गुलाब का फूल भी भेजी थी
तुम्हे बड़े पसंद है ना
मेरे बागों के गुलाब
अब मुझे भी पसंद आने लगे है
रोज़ घंटों बिता देती हूँ
शाम को टहलती रहती हूँ
नजाने कितने सुर पिरोति हूँ
और अपने लय में गाती हूँ
प्रेम विरह का गान
और लिखती रहती हूँ
कुछ तहरीर,
कुछ तफ़सीर
कुछ तक़दीर
और तुम्हारा नाम।
~ राधिका ✍️
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