पिताजी के गुज़र जाने के बाद कि हुई मेरी अपनी रचना
मेरी अंतर्मन की पीड़ा
मेरी अंतर्मन की पीड़ा का,
तुम्हें ज़रा भी एहसास नहीं।
बहुत करीब होकर भी,
अब तुम मेरे पास नहीं।।
आपके साथ बिताया हर वक़्त, हर लम्हा,
उन्हें भूल पाना मेरे बस में नहीं।
यादों की उन सुनेहरी जंजीरों में जकड़ा मैं,
अब खुलकर ले पाता हूँ साँस नहीं।।
वो हाथ थामकर स्कूल जाना,
अब स्कूल जाने में वो बात नहीं।
वो आपका चिल्लाना, और मेरा चैन से सोना,
अब ऐसी कोई एक भी रात नहीं।।
#मोhit_Iyer #papa #review #dedicated
मेरी अंतर्मन की पीड़ा
मेरी अंतर्मन की पीड़ा का,
तुम्हें ज़रा भी एहसास नहीं।
बहुत करीब होकर भी,
अब तुम मेरे पास नहीं।।
आपके साथ बिताया हर वक़्त, हर लम्हा,
उन्हें भूल पाना मेरे बस में नहीं।
यादों की उन सुनेहरी जंजीरों में जकड़ा मैं,
अब खुलकर ले पाता हूँ साँस नहीं।।
वो हाथ थामकर स्कूल जाना,
अब स्कूल जाने में वो बात नहीं।
वो आपका चिल्लाना, और मेरा चैन से सोना,
अब ऐसी कोई एक भी रात नहीं।।
#मोhit_Iyer #papa #review #dedicated
इ'क चाँद के बिना सुना ये आसमाँ...
कुछ ख़्वाब तो कुछ रात अधूरी रह गई,
कुछ जवाब तो कुछ बात अधूरी रह गई।
#Akash #review #dedicated
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कुछ ख़्वाब तो कुछ रात अधूरी रह गई,
कुछ जवाब तो कुछ बात अधूरी रह गई।
#Akash #review #dedicated
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