तो तुम्हें आखिर आता क्या है?
मुझे सीधा चलना नहीं आता,
बिना पैर हिलाये बैठना भी नहीं आता,
मैं बोलते बोलते शब्द खा जाता हूँ,
नहीं बोलना आता तो रुक जाता हूँ,
ड को र बोल देता हूँ,
स को श बना देता हूँ,
मुझे खाना खाना भी नहीं आता,
खाते खाते खाना कपड़ो पे गिरा लेता हूँ,
push-pull के दरवाज़ों में उलझ जाता हूँ,
चाबी कहीं रख के भूल जाता हूँ,
अपना सामान कहीं भी रख आता हूँ,
जेब से पैसे गिरा आता हूँ,
मुझे अलग गाड़ी की खिड़की खोलने में भी दिक्कत होती है,
मैं एक दुकान पर जाता हूँ,
फिर वहीं जाता रहता हूँ,
मैं नई जगह जाने की हिम्मत नहीं करता,
कक्षा में टीचर सवाल पूछे,
मैं सर नीचे कर लेता हूँ,
मैं पढ़ता तो हूँ,
पर पढ़ा हुआ भूल जाता हूँ,
मैं बच्चा नहीं हूँ,
पर कभी कभी रात में
बिस्तर गीला कर लेता हूँ,
जब मुसीबत आती है,
मैं कंबल ओढ़ के सो लेता हूँ,
मैं हर बार लिखता हूँ,
फिर मिटा देता हूँ,
मुझे गुस्सा आता है,
मैं काग़ज़ जला देता हूँ,
मुझे छोटी छोटी चीज़ें भी लिखनी पड़ती हैं,
मैं कभी कभी खाना खाना भी भूल जाता हूँ,
मैं किसी को कुछ बताता नहीं,
ये सोच कर के वो हसेंगे,
मैं फिट" कपड़े नहीं पहनता,
अपना skinny" शरीर छुपाने के लिए,
बोलो, अब तुम भी मुझ पर हँसोगे ना!
#lotus
#review
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मुझे सीधा चलना नहीं आता,
बिना पैर हिलाये बैठना भी नहीं आता,
मैं बोलते बोलते शब्द खा जाता हूँ,
नहीं बोलना आता तो रुक जाता हूँ,
ड को र बोल देता हूँ,
स को श बना देता हूँ,
मुझे खाना खाना भी नहीं आता,
खाते खाते खाना कपड़ो पे गिरा लेता हूँ,
push-pull के दरवाज़ों में उलझ जाता हूँ,
चाबी कहीं रख के भूल जाता हूँ,
अपना सामान कहीं भी रख आता हूँ,
जेब से पैसे गिरा आता हूँ,
मुझे अलग गाड़ी की खिड़की खोलने में भी दिक्कत होती है,
मैं एक दुकान पर जाता हूँ,
फिर वहीं जाता रहता हूँ,
मैं नई जगह जाने की हिम्मत नहीं करता,
कक्षा में टीचर सवाल पूछे,
मैं सर नीचे कर लेता हूँ,
मैं पढ़ता तो हूँ,
पर पढ़ा हुआ भूल जाता हूँ,
मैं बच्चा नहीं हूँ,
पर कभी कभी रात में
बिस्तर गीला कर लेता हूँ,
जब मुसीबत आती है,
मैं कंबल ओढ़ के सो लेता हूँ,
मैं हर बार लिखता हूँ,
फिर मिटा देता हूँ,
मुझे गुस्सा आता है,
मैं काग़ज़ जला देता हूँ,
मुझे छोटी छोटी चीज़ें भी लिखनी पड़ती हैं,
मैं कभी कभी खाना खाना भी भूल जाता हूँ,
मैं किसी को कुछ बताता नहीं,
ये सोच कर के वो हसेंगे,
मैं फिट" कपड़े नहीं पहनता,
अपना skinny" शरीर छुपाने के लिए,
बोलो, अब तुम भी मुझ पर हँसोगे ना!
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मैं अभी भी किनारे पर हूँ,
ये कहना ठीक नहीं होगा;
शायद मैं अब तैयार हो रही हूँ;
समंदर की गहराई नापने के लिए,
मेरे कदम बढ़ रहे हैं;
सागर की ओर,
और सागर अपनी शीतल शांत लहरों से,
मेरे कदमों को भिगो कर मेरा अभिनंदन करता है,
कितनी रातें बिता दी मैंने,
इन्हीं किनारों पर बैठे,
सागर से बातें करते,
और ज़मीं को दोषी करार करते,
पर अब वो मुझे बुला रहा है,
पर अब मैं चलना चाहती हूँ,
आसमां सब देखता रहा,
और हर संभव प्रयास करता रहा,
पर मैंने हर प्रयास को असफल कर दिया,
इस बार आसमां ने फिर एक संभव प्रयास किया है,
और इस बार वो प्रयास सफलता की राह पर जायेगा,
मैं ले जाऊँगी;
नीला पानी मेरी आँखों में चमकता है,
मानो कहता है तुम मेरी हो,
सदा से ही मेरी थी,
बस गुम थी भीड़ भरी राहों में,
पर अब केवल एकांत है,
जीवन का और मन का,
और वो है और मैं हूँ,
और हमारे प्रयास;
मैं चल रही हूँ,
समंदर में डूब जाने के लिए,
अब मैं तैयार हूँ;
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ये कहना ठीक नहीं होगा;
शायद मैं अब तैयार हो रही हूँ;
समंदर की गहराई नापने के लिए,
मेरे कदम बढ़ रहे हैं;
सागर की ओर,
और सागर अपनी शीतल शांत लहरों से,
मेरे कदमों को भिगो कर मेरा अभिनंदन करता है,
कितनी रातें बिता दी मैंने,
इन्हीं किनारों पर बैठे,
सागर से बातें करते,
और ज़मीं को दोषी करार करते,
पर अब वो मुझे बुला रहा है,
पर अब मैं चलना चाहती हूँ,
आसमां सब देखता रहा,
और हर संभव प्रयास करता रहा,
पर मैंने हर प्रयास को असफल कर दिया,
इस बार आसमां ने फिर एक संभव प्रयास किया है,
और इस बार वो प्रयास सफलता की राह पर जायेगा,
मैं ले जाऊँगी;
नीला पानी मेरी आँखों में चमकता है,
मानो कहता है तुम मेरी हो,
सदा से ही मेरी थी,
बस गुम थी भीड़ भरी राहों में,
पर अब केवल एकांत है,
जीवन का और मन का,
और वो है और मैं हूँ,
और हमारे प्रयास;
मैं चल रही हूँ,
समंदर में डूब जाने के लिए,
अब मैं तैयार हूँ;
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