मुस्कुरा कर टालना सिख गए हैं
बातों को छुपाना सीख गए हैं
कितना कुछ लिख कर
कितना छुपाना सीख गए हैं
भावनाओं से ओत प्रोत हैं
मगर न जाने किस अंजाम का खौंफ है
लबों पर आई बातों से मुकरने का हुनर सीख गए हैं
~ प्रज्ञा गुप्ता
#pragya
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बातों को छुपाना सीख गए हैं
कितना कुछ लिख कर
कितना छुपाना सीख गए हैं
भावनाओं से ओत प्रोत हैं
मगर न जाने किस अंजाम का खौंफ है
लबों पर आई बातों से मुकरने का हुनर सीख गए हैं
~ प्रज्ञा गुप्ता
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मुस्कुरा कर टालना सिख गए हैं
बातों को छुपाना सीख गए हैं
कितना कुछ लिख कर
कितना छुपाना सीख गए हैं
भावनाओं से ओत प्रोत हैं
मगर न जाने किस अंजाम का खौंफ है
लबों पर आई बातों से मुकरने का हुनर सीख गए हैं
~ प्रज्ञा गुप्ता
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बातों को छुपाना सीख गए हैं
कितना कुछ लिख कर
कितना छुपाना सीख गए हैं
भावनाओं से ओत प्रोत हैं
मगर न जाने किस अंजाम का खौंफ है
लबों पर आई बातों से मुकरने का हुनर सीख गए हैं
~ प्रज्ञा गुप्ता
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शायद
जो तुम्हारी कल्पनाओं में है वो सच है
शायद
तुम्हीं इसी बात का डर है!
~ प्रज्ञा गुप्ता
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जो तुम्हारी कल्पनाओं में है वो सच है
शायद
तुम्हीं इसी बात का डर है!
~ प्रज्ञा गुप्ता
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तुम्हारी बेचैनियों में देख पा रही हूं
तुम्हारी चाहतों को
तुम्हारे डर को
मेरे प्रति तुम्हारी भावनाओं को !
~ प्रज्ञा गुप्ता
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तुम्हारी चाहतों को
तुम्हारे डर को
मेरे प्रति तुम्हारी भावनाओं को !
~ प्रज्ञा गुप्ता
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कुछ कहानियां (बेवजूद) कोरे पन्नों पर सफेद सियाही से लिखी जाती है,
कुछ मुलाकातें ता उम्र अधूरी रह जाती हैं!
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कुछ मुलाकातें ता उम्र अधूरी रह जाती हैं!
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कमबख़्त एक तो
तुम्हारी यादें मुझे जीने नहीं देती
और ढीठ तो तुम भी बहुत ठहरे
चले आते हो हर श्याम मेरे ख्यालों में !
~ प्रज्ञा गुप्ता
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तुम्हारी यादें मुझे जीने नहीं देती
और ढीठ तो तुम भी बहुत ठहरे
चले आते हो हर श्याम मेरे ख्यालों में !
~ प्रज्ञा गुप्ता
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जनाब कितनी ही समझदारी का परदा ओढ़ लीजिए
जिस वक्त बारी तुम्हे समझने की आएगी यकीनन सारे परदे आड़े आ जायेंगे !
~ प्रज्ञा गुप्ता
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जिस वक्त बारी तुम्हे समझने की आएगी यकीनन सारे परदे आड़े आ जायेंगे !
~ प्रज्ञा गुप्ता
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जनाब कितनी ही समझदारी का परदा ओढ़ लीजिए
जिस वक्त बारी तुम्हे समझने की आएगी यकीनन सारे परदे आड़े आ जायेंगे !
~ प्रज्ञा गुप्ता
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जिस वक्त बारी तुम्हे समझने की आएगी यकीनन सारे परदे आड़े आ जायेंगे !
~ प्रज्ञा गुप्ता
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अरे जनाब
ये दुनिया है
यहाँ हर क़दम पर यक़ीन और एतमाद को ठेस पहुँचती है
और हर लम्हे एक रिश्ता टूट जाता है।
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ये दुनिया है
यहाँ हर क़दम पर यक़ीन और एतमाद को ठेस पहुँचती है
और हर लम्हे एक रिश्ता टूट जाता है।
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मुझे वक्त के ढलते ही ढलना नहीं आता
मैं ढलते वक्त में तुम्हारे संग ढल सकती हूं !
~ प्रज्ञा गुप्ता
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मैं ढलते वक्त में तुम्हारे संग ढल सकती हूं !
~ प्रज्ञा गुप्ता
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मेरे प्रयास , तुम्हें जानने के
कुछ मुक्कमल से होते जा रहे है
तेरी गैर हुजूरी में तुम्हारे नज़ारे याद आ रहे है
नहीं मालूम ये साज़िश किसकी है
मगर ना उम्मीद से परे
मेरे लफ्जों में तुम्हारे अहसास इन्हे समां रहे है।
~ प्रज्ञा गुप्ता
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कुछ मुक्कमल से होते जा रहे है
तेरी गैर हुजूरी में तुम्हारे नज़ारे याद आ रहे है
नहीं मालूम ये साज़िश किसकी है
मगर ना उम्मीद से परे
मेरे लफ्जों में तुम्हारे अहसास इन्हे समां रहे है।
~ प्रज्ञा गुप्ता
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मेरे प्रयास , तुम्हें जानने के
कुछ मुक्कमल से होते जा रहे है
तेरी गैर हुजूरी में तुम्हारे नज़ारे याद आ रहे है
नहीं मालूम ये साज़िश किसकी है
मगर ना उम्मीद से परे
मेरे लफ्जों में तुम्हारे अहसास समां रहे है।
~ प्रज्ञा गुप्ता
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तेरी गैर हुजूरी में तुम्हारे नज़ारे याद आ रहे है
नहीं मालूम ये साज़िश किसकी है
मगर ना उम्मीद से परे
मेरे लफ्जों में तुम्हारे अहसास समां रहे है।
~ प्रज्ञा गुप्ता
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यूं बार बार तुम्हें छोड़ कर जाना
अच्छा तो नही लगता
मगर मजबूर हूं
ये दूरी के रिश्ते यानी लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप्स होते बड़े खतरनाक है जनाब
जी भर का ना देखे तो जी नही भरता और जी भर देख लिया तो दिल नही लगता
मगर एक अनचाहा सा खयाल है जो मेरे अजीज एहसासों में खेद पैदा कर रहा है
एक डर है जो धीरे धीरे उभर रहा है
कहीं ये रिश्ता कुछ पल का तो नहीं
जो इतना फल फूल रहा है।
#pragya
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अच्छा तो नही लगता
मगर मजबूर हूं
ये दूरी के रिश्ते यानी लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप्स होते बड़े खतरनाक है जनाब
जी भर का ना देखे तो जी नही भरता और जी भर देख लिया तो दिल नही लगता
मगर एक अनचाहा सा खयाल है जो मेरे अजीज एहसासों में खेद पैदा कर रहा है
एक डर है जो धीरे धीरे उभर रहा है
कहीं ये रिश्ता कुछ पल का तो नहीं
जो इतना फल फूल रहा है।
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हमेशा हंसते रहने वाली लड़की
कैसे बिलख कर रो देती है ,
ये बस उसकी आँखें जानती है।
हर दफा दूसरों की खुशी के खातिर
किस तरह अपनी खुशियां कुर्बान कर देती है ,
ये बस उसकी ख़ामोशी जानती है ।
कभी मन जो उसे जानने का
तो सवाल उससे न करना,
क्योंकि उसको केवल उसकी तन्हाई जानती है ।
~ प्रज्ञा गुप्ता
#pragya
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कैसे बिलख कर रो देती है ,
ये बस उसकी आँखें जानती है।
हर दफा दूसरों की खुशी के खातिर
किस तरह अपनी खुशियां कुर्बान कर देती है ,
ये बस उसकी ख़ामोशी जानती है ।
कभी मन जो उसे जानने का
तो सवाल उससे न करना,
क्योंकि उसको केवल उसकी तन्हाई जानती है ।
~ प्रज्ञा गुप्ता
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हमेशा हंसते रहने वाली लड़की
कैसे बिलख कर रो देती है ,
ये बस उसकी आँखें जानती है।
हर दफा दूसरों की खुशी के खातिर
किस तरह अपनी खुशियां कुर्बान कर देती है ,
ये बस उसकी ख़ामोशी जानती है ।
कभी मन हो जो उसे जानने का
तो सवाल उससे न करना,
क्योंकि उसको केवल उसकी तन्हाई जानती है ।
~ प्रज्ञा गुप्ता
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कैसे बिलख कर रो देती है ,
ये बस उसकी आँखें जानती है।
हर दफा दूसरों की खुशी के खातिर
किस तरह अपनी खुशियां कुर्बान कर देती है ,
ये बस उसकी ख़ामोशी जानती है ।
कभी मन हो जो उसे जानने का
तो सवाल उससे न करना,
क्योंकि उसको केवल उसकी तन्हाई जानती है ।
~ प्रज्ञा गुप्ता
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वो रही सुकून को ढूंढती तुम में
तुम भी जिस्म का सहारा लेकर रुसवाई कर गए
सोचती रही प्रेम होगा शायद उनके बीच
और तुम
प्रेम छोड़ कर उसे सब दे गए ।
~ प्रज्ञा गुप्ता
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सोचती रही प्रेम होगा शायद उनके बीच
और तुम
प्रेम छोड़ कर उसे सब दे गए ।
~ प्रज्ञा गुप्ता
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शायद वक्त के साथ साथ , हालात, मौसम और लोग सभी बदल गए ,
मगर
तुम अटके रह गए वहीं,
उसी वक्त में जब सब मशरूफ था हालात , मौसम और लोग !
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मगर
तुम अटके रह गए वहीं,
उसी वक्त में जब सब मशरूफ था हालात , मौसम और लोग !
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ना खुश होने की खुशी
और,
ना ही दुखी होने का गम,
किस हक से कोसे ए किस्मत तुझे,
अभी न है मुकम्मल इश्क मेरा और कहां है मुक्कमल हम।
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और,
ना ही दुखी होने का गम,
किस हक से कोसे ए किस्मत तुझे,
अभी न है मुकम्मल इश्क मेरा और कहां है मुक्कमल हम।
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इंतजार
कब तक?
किस तलक?
किसके लिए?
किस हक से?
क्या वजह है?
क्या सच में जरूरी है?
क्या सिर्फ तुम ही कर रहे हो?
कहीं भटक तो नही रहे हो?
इन सभी प्रश्नों के उत्तरों का हकदार है,
इंतज़ार!
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कब तक?
किस तलक?
किसके लिए?
किस हक से?
क्या वजह है?
क्या सच में जरूरी है?
क्या सिर्फ तुम ही कर रहे हो?
कहीं भटक तो नही रहे हो?
इन सभी प्रश्नों के उत्तरों का हकदार है,
इंतज़ार!
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कब तक?
किस तलक?
किसके लिए?
किस हक से?
क्या वजह है?
क्या सच में जरूरी है?
क्या सिर्फ तुम ही कर रहे हो?
कहीं भटक तो नही रहे हो?
इन सभी प्रश्नों के उत्तरों का हकदार है,
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किस तलक?
किसके लिए?
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क्या सच में जरूरी है?
क्या सिर्फ तुम ही कर रहे हो?
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इंतज़ार!
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