The Untold shayari
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बहुत तन्हा होता मैं अगर तुम नहीं होते...

बड़ी क़िस्मत है मेरी जो तुमसे मुलाक़ात हो गई...!!
ये दिल अब पत्थर हो जाए इससे पहले

उसे कहो वक्त है वापस आ जाए

गली मुहल्ले में बदनाम है वो बे_वफा के नाम से

एक दफा आकर इन्हे वो हकीकत बतला जाए

मेरे महबूब जुदाई की रूसूमात हमारे जान पर बन आई है

खुदा जाने ये इबादत हमे कहा ले जाए

Salman
शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी
नाज़ से काम क्यों नहीं लेतीं

आप, वो, जी, मगर ये सब क्या है
तुम मेरा नाम क्यों नहीं लेतीं

-जॉन एलिया
कोई भी काम तब तक ही असंभव
लगता हैं जब तक उसे किया नहीं जाता ।

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इत्र, मित्र, चित्र और चरित्र किसी
के पहचान के मोहताज नहीं, ये
चारों अपना परिचय स्वयं देते हैं।
अगर आपने यह मन में ठान लिया
कि आप कर सकते हैं तो इसी में
आपकी आधी जीत हो जाती है।