“छुपाते है लोग मोहब्बत को बदनामी की तरह,
वो ईश्क ही क्या...जो घुंघरुं बाँध नाच ना सके मीरां की तरह।”
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वो ईश्क ही क्या...जो घुंघरुं बाँध नाच ना सके मीरां की तरह।”
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“पहले मुफ्त लूटा कर इसकी आदत लगाई जाती है...,
इश्क हो या नशा,बाद में बड़ी किमत चुकाई जाती है।”
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इश्क हो या नशा,बाद में बड़ी किमत चुकाई जाती है।”
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