कि मुख से निकले शब्द भी अब रूठ जाना चाहते हैं...
हम कहना कुछ और चाहते हैं कह कुछ और जाते हैं...
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
हम कहना कुछ और चाहते हैं कह कुछ और जाते हैं...
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ना हमें इश्क मोहब्बत करनी है,ना ही हम किसी के दीवाने हैं...
बस पढ़ रहे हैं जिंदगी को अभी, हमें सपने जो आजमाने हैं...
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बस पढ़ रहे हैं जिंदगी को अभी, हमें सपने जो आजमाने हैं...
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" मेरी गुरु गाथा: शालिनी बघेला जी को समर्पण"
जब जीवन भटका अंधकार में,
प्रकाश मिला शालिनी मैम के प्यार में।
शब्दों से सींचा, स्नेह से पाला,
उनके चरणों में पाया मैंने ज्ञान का उजाला।
आप हैं दीपक, मैं बाती बन जाऊं,
हर पल आपकी सेवा में लय गाऊं।
शब्दों की रचना, भावों की रेखा,
गुरु बिना अधूरी है मेरी लेखा।
वशिष्ठ ने जैसे राम को दिशा दिखाई,
शालिनी मैम ने भी मुझे राह सुझाई।
सांडिपनि ने कृष्ण को ज्ञान का वरदान दिया,
मेरी गुरु ने आत्मा में संस्कार भर दिया।
द्रोणाचार्य ने अर्जुन को धनुर्विद्या सिखाई,
शालिनी मैम ने विचारों की गहराई समझाई।
रामकृष्ण ने विवेकानंद को दर्शन सिखाए,
मेरी गुरु ने आत्मा के स्वर जगाए।
चाणक्य ने चंद्रगुप्त को राज्य दिया,
पर शालिनी मैम ने मुझे आत्म-विश्वास का राज दिया।
अब्दुल कलाम को मिले साराभाई जैसे प्रेरक,
पर मुझे मिलीं शालिनी मैम–जीवन की प्रदीपक।
आप हैं जैसे वीणा की मधुर तान,
हर स्वर में बसी गुरु की पहचान।
न भटके कभी मेरा मन,
क्योंकि आपने थामा मेरा बचपन।
मैं गुनगुन, एक साधारण स्वर,
पर आपने बनाया मुझे काव्य का सागर।
मेरे भावों में जो भी कुछ है,
वो सब आपकी शिक्षा का ही असर है।
ना चाहूं पद, ना चाहूं यश,
बस आपका आशीर्वाद रहे हर दिशा-उत्तम दश।
आपके चरणों में मेरी वाणी समर्पित,
गुरु के बिना ये जीवन है निर्मम, असंवेदित।
अगर ज्ञान है तो वो आपकी छाया में है,
अगर तेज है तो वो आपकी माया में है।
गुरु शिष्य की इस अमर कहानी में,
शालिनी बघेला नाम है स्वर्णिम वाणी में।
ना मैं तैतीस करोड़ देवों की आरती गाऊं,
ना स्वर्ण कलश से चढ़ावा चढ़ाऊं।
बस इतना कहूं – मेरी लेखनी आपकी चरणों में समर्पित,
गुनगुन की दुनिया में सिर्फ एक नाम है
— "शालिनी बघेला की वंदित।"
ये कविता नहीं, ये भावों की आरती है,
आपके लिए मेरी हर सांस समर्पित भारती है।
गुरु की छवि में जो सच्चा प्रेम मिला,
वो बस ‘गुनगुन’ को शालिनी बघेला से मिला।
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जब जीवन भटका अंधकार में,
प्रकाश मिला शालिनी मैम के प्यार में।
शब्दों से सींचा, स्नेह से पाला,
उनके चरणों में पाया मैंने ज्ञान का उजाला।
आप हैं दीपक, मैं बाती बन जाऊं,
हर पल आपकी सेवा में लय गाऊं।
शब्दों की रचना, भावों की रेखा,
गुरु बिना अधूरी है मेरी लेखा।
वशिष्ठ ने जैसे राम को दिशा दिखाई,
शालिनी मैम ने भी मुझे राह सुझाई।
सांडिपनि ने कृष्ण को ज्ञान का वरदान दिया,
मेरी गुरु ने आत्मा में संस्कार भर दिया।
द्रोणाचार्य ने अर्जुन को धनुर्विद्या सिखाई,
शालिनी मैम ने विचारों की गहराई समझाई।
रामकृष्ण ने विवेकानंद को दर्शन सिखाए,
मेरी गुरु ने आत्मा के स्वर जगाए।
चाणक्य ने चंद्रगुप्त को राज्य दिया,
पर शालिनी मैम ने मुझे आत्म-विश्वास का राज दिया।
अब्दुल कलाम को मिले साराभाई जैसे प्रेरक,
पर मुझे मिलीं शालिनी मैम–जीवन की प्रदीपक।
आप हैं जैसे वीणा की मधुर तान,
हर स्वर में बसी गुरु की पहचान।
न भटके कभी मेरा मन,
क्योंकि आपने थामा मेरा बचपन।
मैं गुनगुन, एक साधारण स्वर,
पर आपने बनाया मुझे काव्य का सागर।
मेरे भावों में जो भी कुछ है,
वो सब आपकी शिक्षा का ही असर है।
ना चाहूं पद, ना चाहूं यश,
बस आपका आशीर्वाद रहे हर दिशा-उत्तम दश।
आपके चरणों में मेरी वाणी समर्पित,
गुरु के बिना ये जीवन है निर्मम, असंवेदित।
अगर ज्ञान है तो वो आपकी छाया में है,
अगर तेज है तो वो आपकी माया में है।
गुरु शिष्य की इस अमर कहानी में,
शालिनी बघेला नाम है स्वर्णिम वाणी में।
ना मैं तैतीस करोड़ देवों की आरती गाऊं,
ना स्वर्ण कलश से चढ़ावा चढ़ाऊं।
बस इतना कहूं – मेरी लेखनी आपकी चरणों में समर्पित,
गुनगुन की दुनिया में सिर्फ एक नाम है
— "शालिनी बघेला की वंदित।"
ये कविता नहीं, ये भावों की आरती है,
आपके लिए मेरी हर सांस समर्पित भारती है।
गुरु की छवि में जो सच्चा प्रेम मिला,
वो बस ‘गुनगुन’ को शालिनी बघेला से मिला।
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"अंजुल मैम – सहजता की सरिता"
ना सिंहासन, ना मुकुट चाहिए,
बस इक मुस्कान में राज छुपा है,
जो सबसे सरल, वही सबसे श्रेष्ठ,
अंजुल मैम का व्यक्तित्व यही बताता है।
कोई सिखाए बातों से, कोई किताबों से,
मगर वो सिखाती हैं—खामोश अदाओं से।
हर शिष्य उनका बन जाए दीप,
जो जले आत्मविश्वास की हवाओं से।
जब पहली बार देखा उन्हें,
ना कोई परिचय, ना कोई नाम,
पर मन ने अनजाने ही कह दिया—
"यही तो हैं मेरी जीवनपथ की धाम।"
उनकी आँखों में थी करुणा की धार,
जैसे कोमल बारिश की पहली फुहार।
दिल बोला—इनसे कुछ सीखूं ज़रूर,
इनके जैसी बनूं, यहीं है मेरा नूर।
NSS की वही आत्मा हैं,
हर सेवा में प्रेम की भावना हैं।
ना दिखावा, ना शब्दों का शोर,
बस कर्मों से कर दें जीवन संजीवन भरपूर।
"तुम कर सकते हो"—उनका अमृत वाक्य,
हर थके हुए मन में भर दें आत्मबल शक्त।
अंजुल मैम,जैसी गुरु हों साथ अगर,
तो असंभव भी लगे सहज सफर।
गुरु की परिभाषा बदली आपने,
श्रृंगार नहीं, संवेदना पहनाई।
प्रेरणा की जोत जलाकर,
हर मन में विश्वास की दीपशिखा सजाई।
आपका संयम, जैसे वसंत की हवा,
आपका स्नेह, जैसे माँ की दुआ।
ना डांटना, ना ऊँचे स्वर,
आपकी मौन शिक्षा भी करती है असर।
गुरु हों अगर अंजुल मैम जैसी,
तो जीवन बन जाए पूजा जैसी।
गुनगुन के मन से निकला यह भाव सच्चा,
आप हैं मेरी साधना का सबसे पावन पन्ना।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
ना सिंहासन, ना मुकुट चाहिए,
बस इक मुस्कान में राज छुपा है,
जो सबसे सरल, वही सबसे श्रेष्ठ,
अंजुल मैम का व्यक्तित्व यही बताता है।
कोई सिखाए बातों से, कोई किताबों से,
मगर वो सिखाती हैं—खामोश अदाओं से।
हर शिष्य उनका बन जाए दीप,
जो जले आत्मविश्वास की हवाओं से।
जब पहली बार देखा उन्हें,
ना कोई परिचय, ना कोई नाम,
पर मन ने अनजाने ही कह दिया—
"यही तो हैं मेरी जीवनपथ की धाम।"
उनकी आँखों में थी करुणा की धार,
जैसे कोमल बारिश की पहली फुहार।
दिल बोला—इनसे कुछ सीखूं ज़रूर,
इनके जैसी बनूं, यहीं है मेरा नूर।
NSS की वही आत्मा हैं,
हर सेवा में प्रेम की भावना हैं।
ना दिखावा, ना शब्दों का शोर,
बस कर्मों से कर दें जीवन संजीवन भरपूर।
"तुम कर सकते हो"—उनका अमृत वाक्य,
हर थके हुए मन में भर दें आत्मबल शक्त।
अंजुल मैम,जैसी गुरु हों साथ अगर,
तो असंभव भी लगे सहज सफर।
गुरु की परिभाषा बदली आपने,
श्रृंगार नहीं, संवेदना पहनाई।
प्रेरणा की जोत जलाकर,
हर मन में विश्वास की दीपशिखा सजाई।
आपका संयम, जैसे वसंत की हवा,
आपका स्नेह, जैसे माँ की दुआ।
ना डांटना, ना ऊँचे स्वर,
आपकी मौन शिक्षा भी करती है असर।
गुरु हों अगर अंजुल मैम जैसी,
तो जीवन बन जाए पूजा जैसी।
गुनगुन के मन से निकला यह भाव सच्चा,
आप हैं मेरी साधना का सबसे पावन पन्ना।
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"अंजुल मैम – सहजता की सरिता"
ना सिंहासन, ना मुकुट चाहिए,
बस इक मुस्कान में राज छुपा है,
जो सबसे सरल, वही सबसे श्रेष्ठ,
अंजुल मैम का व्यक्तित्व यही बताता है।
कोई सिखाए बातों से, कोई किताबों से,
मगर वो सिखाती हैं—खामोश अदाओं से।
हर शिष्य उनका बन जाए दीप,
जो जले आत्मविश्वास की हवाओं से।
जब पहली बार देखा उन्हें,
ना कोई परिचय, ना कोई नाम,
पर मन ने अनजाने ही कह दिया—
"यही तो हैं मेरी जीवनपथ की धाम।"
उनकी आँखों में थी करुणा की धार,
जैसे कोमल बारिश की पहली फुहार।
दिल बोला—इनसे कुछ सीखूं ज़रूर,
इनके जैसी बनूं, यहीं है मेरा नूर।
NSS की वही आत्मा हैं,
हर सेवा में प्रेम की भावना हैं।
ना दिखावा, ना शब्दों का शोर,
बस कर्मों से कर दें जीवन संजीवन भरपूर।
"तुम कर सकते हो"—उनका अमृत वाक्य,
हर थके हुए मन में भर दें आत्मबल शक्त।
अंजुल मैम,जैसी गुरु हों साथ अगर,
तो असंभव भी लगे सहज सफर।
गुरु की परिभाषा बदली आपने,
श्रृंगार नहीं, संवेदना पहनाई।
प्रेरणा की जोत जलाकर,
हर मन में विश्वास की दीपशिखा सजाई।
आपका संयम, जैसे वसंत की हवा,
आपका स्नेह, जैसे माँ की दुआ।
ना डांटना, ना ऊँचे स्वर,
आपकी मौन शिक्षा भी करती है असर।
गुरु हों अगर अंजुल मैम जैसी,
तो जीवन बन जाए पूजा जैसी।
गुनगुन के मन से निकला यह भाव सच्चा,
आप हैं मेरी साधना का सबसे पावन पन्ना।
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ना सिंहासन, ना मुकुट चाहिए,
बस इक मुस्कान में राज छुपा है,
जो सबसे सरल, वही सबसे श्रेष्ठ,
अंजुल मैम का व्यक्तित्व यही बताता है।
कोई सिखाए बातों से, कोई किताबों से,
मगर वो सिखाती हैं—खामोश अदाओं से।
हर शिष्य उनका बन जाए दीप,
जो जले आत्मविश्वास की हवाओं से।
जब पहली बार देखा उन्हें,
ना कोई परिचय, ना कोई नाम,
पर मन ने अनजाने ही कह दिया—
"यही तो हैं मेरी जीवनपथ की धाम।"
उनकी आँखों में थी करुणा की धार,
जैसे कोमल बारिश की पहली फुहार।
दिल बोला—इनसे कुछ सीखूं ज़रूर,
इनके जैसी बनूं, यहीं है मेरा नूर।
NSS की वही आत्मा हैं,
हर सेवा में प्रेम की भावना हैं।
ना दिखावा, ना शब्दों का शोर,
बस कर्मों से कर दें जीवन संजीवन भरपूर।
"तुम कर सकते हो"—उनका अमृत वाक्य,
हर थके हुए मन में भर दें आत्मबल शक्त।
अंजुल मैम,जैसी गुरु हों साथ अगर,
तो असंभव भी लगे सहज सफर।
गुरु की परिभाषा बदली आपने,
श्रृंगार नहीं, संवेदना पहनाई।
प्रेरणा की जोत जलाकर,
हर मन में विश्वास की दीपशिखा सजाई।
आपका संयम, जैसे वसंत की हवा,
आपका स्नेह, जैसे माँ की दुआ।
ना डांटना, ना ऊँचे स्वर,
आपकी मौन शिक्षा भी करती है असर।
गुरु हों अगर अंजुल मैम जैसी,
तो जीवन बन जाए पूजा जैसी।
गुनगुन के मन से निकला यह भाव सच्चा,
आप हैं मेरी साधना का सबसे पावन पन्ना।
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"हम हैं चार, प्रेम की धार"
हम चारों बहनें, इक नज़्म की तरह,
हर शेर में बसी, मोहब्बत की तरह।
मौनिका दीदी, सलीके की मिसाल,
हर बात में झलकती उनकी दिलकश चाल।
उनकी नज़ाकत में छुपा है सुकून,
जैसे हर दुआ में हो उनका जुनून।
सही राह पे चलना सिखाया हमें,
हर मुश्किल में बनीं वो रहमत हमें।
मेघा दीदी, इल्म की किताब,
उनके बिना अधूरा है हर जवाब।
उनकी बातें, जैसे तसव्वुर की उड़ान,
हर अल्फ़ाज़ में समाया है ज्ञान।
कभी-कभी उनकी बातों से हम चिढ़ जाएँ,
फिर भी उनके बिना दो पल भी न रह पाएँ।
कहे गुनगुन — "बस करो दीदी, अब थोड़ा मुस्कुराऐं!"
वो बोले — “तू सुधर जाए, तो हम भी खिलखिलाऐं!”
परी, खामोशियों की अदा लिए,
हर बात को वो गहराई से जिए।
उसकी सोच में है एक रूहानी रोशनी,
जैसे चुपचाप बहती कोई इबादत की कहानी।
और मैं — गुनगुन, शरारत की धुन,
हर लम्हा मचाऊँ कोई नई धुन।
कभी मौनिका दी का स्कार्फ़ छुपाऊँ,
कभी मेघा दी की किताबों में ख्याल उड़ाऊँ।
कभी परी से चुपचाप उसक सामान लूँ,
फिर कह दूँ — "दीदी, देखो वो उड़न खटोला आया!"
चार बहनों की ये खट्टी-मीठी कहानी,
हर दिन नए रंग, हर पल नयी रवानी।
हमारा झगड़ा भी हो जैसे शोख़ हवा,
जिसमें न हो ज़हर, बस मोहब्बत की दवा।
थोड़ी रूठी, थोड़ी मनाई,
फिर एक थाली में चार चम्मच आई।
मौनिका, मेघा, गुनगुन और परी,
हर नाम में है इक जादुई कड़ी।
हम चार बहनें, चार सुरों की झंकार,
जैसे राग-रागिनियों का सुंदर उपहार।
कभी सावित्री-सत्यवान सी निष्ठा,
कभी लक्ष्मी-सरस्वती की सुष्ठुता।
हमारा साथ, कोई आम बात नहीं,
ये तो उस ऊपरवाले की सौग़ात सही।
ये कवितामयी तसव्वुर, ये अल्फ़ाज़ों की सौग़ात,
मेरे दिल की तहों से निकला है ये जज़्बात।
मौनिका दीदी, मेघा दीदी, परी और मैं,
इस रिश्ते की हर धड़कन, हर साज़!
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हम चारों बहनें, इक नज़्म की तरह,
हर शेर में बसी, मोहब्बत की तरह।
मौनिका दीदी, सलीके की मिसाल,
हर बात में झलकती उनकी दिलकश चाल।
उनकी नज़ाकत में छुपा है सुकून,
जैसे हर दुआ में हो उनका जुनून।
सही राह पे चलना सिखाया हमें,
हर मुश्किल में बनीं वो रहमत हमें।
मेघा दीदी, इल्म की किताब,
उनके बिना अधूरा है हर जवाब।
उनकी बातें, जैसे तसव्वुर की उड़ान,
हर अल्फ़ाज़ में समाया है ज्ञान।
कभी-कभी उनकी बातों से हम चिढ़ जाएँ,
फिर भी उनके बिना दो पल भी न रह पाएँ।
कहे गुनगुन — "बस करो दीदी, अब थोड़ा मुस्कुराऐं!"
वो बोले — “तू सुधर जाए, तो हम भी खिलखिलाऐं!”
परी, खामोशियों की अदा लिए,
हर बात को वो गहराई से जिए।
उसकी सोच में है एक रूहानी रोशनी,
जैसे चुपचाप बहती कोई इबादत की कहानी।
और मैं — गुनगुन, शरारत की धुन,
हर लम्हा मचाऊँ कोई नई धुन।
कभी मौनिका दी का स्कार्फ़ छुपाऊँ,
कभी मेघा दी की किताबों में ख्याल उड़ाऊँ।
कभी परी से चुपचाप उसक सामान लूँ,
फिर कह दूँ — "दीदी, देखो वो उड़न खटोला आया!"
चार बहनों की ये खट्टी-मीठी कहानी,
हर दिन नए रंग, हर पल नयी रवानी।
हमारा झगड़ा भी हो जैसे शोख़ हवा,
जिसमें न हो ज़हर, बस मोहब्बत की दवा।
थोड़ी रूठी, थोड़ी मनाई,
फिर एक थाली में चार चम्मच आई।
मौनिका, मेघा, गुनगुन और परी,
हर नाम में है इक जादुई कड़ी।
हम चार बहनें, चार सुरों की झंकार,
जैसे राग-रागिनियों का सुंदर उपहार।
कभी सावित्री-सत्यवान सी निष्ठा,
कभी लक्ष्मी-सरस्वती की सुष्ठुता।
हमारा साथ, कोई आम बात नहीं,
ये तो उस ऊपरवाले की सौग़ात सही।
ये कवितामयी तसव्वुर, ये अल्फ़ाज़ों की सौग़ात,
मेरे दिल की तहों से निकला है ये जज़्बात।
मौनिका दीदी, मेघा दीदी, परी और मैं,
इस रिश्ते की हर धड़कन, हर साज़!
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"हम हैं चार, प्रेम की धार"
हम चारों बहनें, इक नज़्म की तरह,
हर शेर में बसी, मोहब्बत की तरह।
मौनिका दीदी, सलीके की मिसाल,
हर बात में झलकती उनकी दिलकश चाल।
उनकी नज़ाकत में छुपा है सुकून,
जैसे हर दुआ में हो उनका जुनून।
सही राह पे चलना सिखाया हमें,
हर मुश्किल में बनीं वो रहमत हमें।
मेघा दीदी, इल्म की किताब,
उनके बिना अधूरा है हर जवाब।
उनकी बातें, जैसे तसव्वुर की उड़ान,
हर अल्फ़ाज़ में समाया है ज्ञान।
कभी-कभी उनकी बातों से हम चिढ़ जाएँ,
फिर भी उनके बिना दो पल भी न रह पाएँ।
कहे गुनगुन — "बस करो दीदी, अब थोड़ा मुस्कुराऐं!"
वो बोले — “तू सुधर जाए, तो हम भी खिलखिलाऐं!”
परी, खामोशियों की अदा लिए,
हर बात को वो गहराई से जिए।
उसकी सोच में है एक रूहानी रोशनी,
जैसे चुपचाप बहती कोई इबादत की कहानी।
और मैं — गुनगुन, शरारत की धुन,
हर लम्हा मचाऊँ कोई नई धुन।
कभी मौनिका दी का स्कार्फ़ छुपाऊँ,
कभी मेघा दी की किताबों में ख्याल उड़ाऊँ।
कभी परी से चुपचाप उसक सामान लूँ,
फिर कह दूँ — "दीदी, देखो वो उड़न खटोला आया!"
चार बहनों की ये खट्टी-मीठी कहानी,
हर दिन नए रंग, हर पल नयी रवानी।
हमारा झगड़ा भी हो जैसे शोख़ हवा,
जिसमें न हो ज़हर, बस मोहब्बत की दवा।
थोड़ी रूठी, थोड़ी मनाई,
फिर एक थाली में चार चम्मच आई।
मौनिका, मेघा, गुनगुन और परी,
हर नाम में है इक जादुई कड़ी।
हम चार बहनें, चार सुरों की झंकार,
जैसे राग-रागिनियों का सुंदर उपहार।
कभी सावित्री-सत्यवान सी निष्ठा,
कभी लक्ष्मी-सरस्वती की सुष्ठुता।
हमारा साथ, कोई आम बात नहीं,
ये तो उस ऊपरवाले की सौग़ात सही।
ये कवितामयी तसव्वुर, ये अल्फ़ाज़ों की सौग़ात,
मेरे दिल की तहों से निकला है ये जज़्बात।
मौनिका दीदी, मेघा दीदी, परी और मैं,
इस रिश्ते की हर धड़कन, हर साज़!
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हम चारों बहनें, इक नज़्म की तरह,
हर शेर में बसी, मोहब्बत की तरह।
मौनिका दीदी, सलीके की मिसाल,
हर बात में झलकती उनकी दिलकश चाल।
उनकी नज़ाकत में छुपा है सुकून,
जैसे हर दुआ में हो उनका जुनून।
सही राह पे चलना सिखाया हमें,
हर मुश्किल में बनीं वो रहमत हमें।
मेघा दीदी, इल्म की किताब,
उनके बिना अधूरा है हर जवाब।
उनकी बातें, जैसे तसव्वुर की उड़ान,
हर अल्फ़ाज़ में समाया है ज्ञान।
कभी-कभी उनकी बातों से हम चिढ़ जाएँ,
फिर भी उनके बिना दो पल भी न रह पाएँ।
कहे गुनगुन — "बस करो दीदी, अब थोड़ा मुस्कुराऐं!"
वो बोले — “तू सुधर जाए, तो हम भी खिलखिलाऐं!”
परी, खामोशियों की अदा लिए,
हर बात को वो गहराई से जिए।
उसकी सोच में है एक रूहानी रोशनी,
जैसे चुपचाप बहती कोई इबादत की कहानी।
और मैं — गुनगुन, शरारत की धुन,
हर लम्हा मचाऊँ कोई नई धुन।
कभी मौनिका दी का स्कार्फ़ छुपाऊँ,
कभी मेघा दी की किताबों में ख्याल उड़ाऊँ।
कभी परी से चुपचाप उसक सामान लूँ,
फिर कह दूँ — "दीदी, देखो वो उड़न खटोला आया!"
चार बहनों की ये खट्टी-मीठी कहानी,
हर दिन नए रंग, हर पल नयी रवानी।
हमारा झगड़ा भी हो जैसे शोख़ हवा,
जिसमें न हो ज़हर, बस मोहब्बत की दवा।
थोड़ी रूठी, थोड़ी मनाई,
फिर एक थाली में चार चम्मच आई।
मौनिका, मेघा, गुनगुन और परी,
हर नाम में है इक जादुई कड़ी।
हम चार बहनें, चार सुरों की झंकार,
जैसे राग-रागिनियों का सुंदर उपहार।
कभी सावित्री-सत्यवान सी निष्ठा,
कभी लक्ष्मी-सरस्वती की सुष्ठुता।
हमारा साथ, कोई आम बात नहीं,
ये तो उस ऊपरवाले की सौग़ात सही।
ये कवितामयी तसव्वुर, ये अल्फ़ाज़ों की सौग़ात,
मेरे दिल की तहों से निकला है ये जज़्बात।
मौनिका दीदी, मेघा दीदी, परी और मैं,
इस रिश्ते की हर धड़कन, हर साज़!
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
उन्होंने हमे इस कदर नज़रंदाज़ किया,
हम सामने ही खड़े थे उनके,
उन्होंने देखा तक नहीं और मुस्कुराना छोड़ दिया,
लोग कहते हैं नजरों का नजरों से मिलना ही मोहब्बत है,
हमारी मोहब्बत ने तो कुछ इस कदर रंग बिखराए,
वो हमे नज़रंदाज़ करते गए, और हम उन्हें अपना कहते गए।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
हम सामने ही खड़े थे उनके,
उन्होंने देखा तक नहीं और मुस्कुराना छोड़ दिया,
लोग कहते हैं नजरों का नजरों से मिलना ही मोहब्बत है,
हमारी मोहब्बत ने तो कुछ इस कदर रंग बिखराए,
वो हमे नज़रंदाज़ करते गए, और हम उन्हें अपना कहते गए।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
"म्हारो प्यारो धौलपुर"
राजस्थान का पूर्वी सिंह द्वारा, धवल देव ने किया जिसका उधर,
रेड डायमंड सिटी के नाम से जाना जाता,
रणछोड़ नगरी धौलपुर है कहलाता,
बड़ा खूबसूरत है यहां नजारा,
और डाकुओं का है कहर सारा,
मालदेव ने यहां एक दुर्गा बनाया,
चंबल नदी के किनारे उसे बसाया,
शेरशाह सूरी ने उसका जीर्णोद्धार कराया,
शेरगढ़ दुर्ग वह कहलाया,
सब तीर्थ का है यह पवित्र स्थान,
तीर्थो का भांजा मचकुंड है यहां की शान,
सोनू अगर लड़ाई में औरंगजेब ने,
दारा शिकोह को यही हराया था,
बड़ी युद्ध में राणा सांगा भी यही जीत पाया था,
तालाब ए शाही,खान महल की बात निराली,
निहाल टावर से है शान हमारी,
यही है विशनगिरी बाबा की थान,
अंगाई रामसागर पार्वती बांध का है स्थान,
केसर बाग की छटा निराली, दमोह झरना देता हरियाली,
रामसागर अभ्यारण में गूंजे पक्षियों की वाणी,
वन विहार में रहते सांभर,भालू चितली,
देवहंस किला है बलिदानों की गाथा,
कालियामान रक्षा भी यही जला था,
मंदिरों की है यह पवित्र धारा,
विंध्य और अरावली के मध्य सुंदर खड़ा,
छोटा सा है पर नगर प्यारा,
ऐसा ही है धौलपुर हमारा।
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राजस्थान का पूर्वी सिंह द्वारा, धवल देव ने किया जिसका उधर,
रेड डायमंड सिटी के नाम से जाना जाता,
रणछोड़ नगरी धौलपुर है कहलाता,
बड़ा खूबसूरत है यहां नजारा,
और डाकुओं का है कहर सारा,
मालदेव ने यहां एक दुर्गा बनाया,
चंबल नदी के किनारे उसे बसाया,
शेरशाह सूरी ने उसका जीर्णोद्धार कराया,
शेरगढ़ दुर्ग वह कहलाया,
सब तीर्थ का है यह पवित्र स्थान,
तीर्थो का भांजा मचकुंड है यहां की शान,
सोनू अगर लड़ाई में औरंगजेब ने,
दारा शिकोह को यही हराया था,
बड़ी युद्ध में राणा सांगा भी यही जीत पाया था,
तालाब ए शाही,खान महल की बात निराली,
निहाल टावर से है शान हमारी,
यही है विशनगिरी बाबा की थान,
अंगाई रामसागर पार्वती बांध का है स्थान,
केसर बाग की छटा निराली, दमोह झरना देता हरियाली,
रामसागर अभ्यारण में गूंजे पक्षियों की वाणी,
वन विहार में रहते सांभर,भालू चितली,
देवहंस किला है बलिदानों की गाथा,
कालियामान रक्षा भी यही जला था,
मंदिरों की है यह पवित्र धारा,
विंध्य और अरावली के मध्य सुंदर खड़ा,
छोटा सा है पर नगर प्यारा,
ऐसा ही है धौलपुर हमारा।
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सपना
देखा है मैंने सपनो का हकीक़त बनना,
देखा है मैने उन सपनों के पीछे संघर्ष करना,
तो आज मैंने भी एक सपना देख लिया,
मैने उस सपने में हर व्यक्ति अपना देख लिया,
हर धर्म अपना देख लिया, हर समाज अपना देख लिया,
जो कर सके हर समाज, हर जाति का सम्मान
वो सपना मैने अपना देख लिया,
जहां नारी को रात में बाहर जाने में राहत हो,
यही सपना है, कि ये हर दिल की आवाज हो,
जहां नारी के हाथ में वस्त्र {आभूषण} ही नहीं, उसके हाथ में शस्त्र {किताब} भी हों,
मैंने उस सपने में देखा, यहां हर व्यक्ति समान हो,न कोई उच्च हो न कोई निम्न हो,
कि अब इस सपने को सच करने का समय आ गया,
अब अच्छा क्या बुरा क्या हर किसी को जताने का समय आ गया,
ये जो सपना है, मुझे ही नहीं हमे पूरा करना है।
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देखा है मैंने सपनो का हकीक़त बनना,
देखा है मैने उन सपनों के पीछे संघर्ष करना,
तो आज मैंने भी एक सपना देख लिया,
मैने उस सपने में हर व्यक्ति अपना देख लिया,
हर धर्म अपना देख लिया, हर समाज अपना देख लिया,
जो कर सके हर समाज, हर जाति का सम्मान
वो सपना मैने अपना देख लिया,
जहां नारी को रात में बाहर जाने में राहत हो,
यही सपना है, कि ये हर दिल की आवाज हो,
जहां नारी के हाथ में वस्त्र {आभूषण} ही नहीं, उसके हाथ में शस्त्र {किताब} भी हों,
मैंने उस सपने में देखा, यहां हर व्यक्ति समान हो,न कोई उच्च हो न कोई निम्न हो,
कि अब इस सपने को सच करने का समय आ गया,
अब अच्छा क्या बुरा क्या हर किसी को जताने का समय आ गया,
ये जो सपना है, मुझे ही नहीं हमे पूरा करना है।
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सपना
देखा है मैंने सपनो का हकीक़त बनना,
देखा है मैने उन सपनों के पीछे संघर्ष करना,
तो आज मैंने भी एक सपना देख लिया,
मैने उस सपने में हर व्यक्ति अपना देख लिया,
हर धर्म अपना देख लिया, हर समाज अपना देख लिया,
जो कर सके हर समाज, हर जाति का सम्मान
वो सपना मैने अपना देख लिया,
जहां नारी को रात में बाहर जाने में राहत हो,
यही सपना है, कि ये हर दिल की आवाज हो,
जहां नारी के हाथ में वस्त्र {आभूषण} ही नहीं, उसके हाथ में शस्त्र {किताब} भी हों,
मैंने उस सपने में देखा, यहां हर व्यक्ति समान हो,न कोई उच्च हो न कोई निम्न हो,
कि अब इस सपने को सच करने का समय आ गया,
अब अच्छा क्या बुरा क्या हर किसी को जताने का समय आ गया,
ये जो सपना है, मुझे ही नहीं हमे पूरा करना है।
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देखा है मैंने सपनो का हकीक़त बनना,
देखा है मैने उन सपनों के पीछे संघर्ष करना,
तो आज मैंने भी एक सपना देख लिया,
मैने उस सपने में हर व्यक्ति अपना देख लिया,
हर धर्म अपना देख लिया, हर समाज अपना देख लिया,
जो कर सके हर समाज, हर जाति का सम्मान
वो सपना मैने अपना देख लिया,
जहां नारी को रात में बाहर जाने में राहत हो,
यही सपना है, कि ये हर दिल की आवाज हो,
जहां नारी के हाथ में वस्त्र {आभूषण} ही नहीं, उसके हाथ में शस्त्र {किताब} भी हों,
मैंने उस सपने में देखा, यहां हर व्यक्ति समान हो,न कोई उच्च हो न कोई निम्न हो,
कि अब इस सपने को सच करने का समय आ गया,
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ये जो सपना है, मुझे ही नहीं हमे पूरा करना है।
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मोहब्बत में पड़ने से जुदाई मिलती है,
किताबों में पड़ने से सफलता मिलती है,
लोग कहते हैं जुदाई जिंदगी जीना सीखा देती है..
हम कहते हैं, किताबें समय पर सब सीखा देती हैं....
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आज बुरा है तो कल अच्छा भी आयेगा...
ये जो वक्त है ऐसे ही कट जायेगा...
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ये जो वक्त है ऐसे ही कट जायेगा...
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आज बुरा है तो कल अच्छा भी आयेगा...
ये जो वक्त है ऐसे ही कट जायेगा...
उसे देख कर अब रोना नहीं तरस आता है...
उसने किया था सबके साथ बुरा सबका अपना वक्त आता है...
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ये जो वक्त है ऐसे ही कट जायेगा...
उसे देख कर अब रोना नहीं तरस आता है...
उसने किया था सबके साथ बुरा सबका अपना वक्त आता है...
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" मेरी पुस्तक मुझसे बोली"
कल जब फोन चला कर थक गई,
तब कोने में पढ़ी किताबों को मैने देखा,
उदास-सी थी वे, कुछ कहना चाहती थी,
मैंने भी पूछ लिया क्या हुआ, क्यूं दुःखी हो,
तब हिंदी की पुस्तक बोली,
"हमे भी कभी देख लिया करो,
कब से पड़े हैं इस कोने में, देखो कितनी धूल है",
भूगोल ने गुस्से में कहा,
"नहीं नहीं इन्हें तो हमसे दूरी निभानी है,
लाए तो हमे बड़े शौक से थीं,
अभी तक एक बार ही पढ़ा है,
तुम्हें तो फिर भी पढ़ लिया, मुझे तो देखा ही नहीं,
माना में इतिहास हूं, पर इतना भी पुराना नहीं,
मैंने भी इनकी बातों से परेशान होकर कह दिया,
"हां हां ठीक है, पढ़ लूंगी अभी",
तब एक और आवाज सुनाई देती है,
"ये तो एग्जाम से एक रात पहले ही पढ़ेगी",
मैंने मुड़कर देखा, ये तो इंग्लिश बोली,
इससे पहले में कुछ बोलूं पॉलिटिकल साइंस बोली,
"देखो तुम किसी पर दबाव नहीं डाल सकते
पढ़ने के लिए हमारा देश लोकतांत्रिक है",
फिर मुझसे बोली,
"मैं सलाह दूंगी तुम्हे पढ लेना चाहिए",
ये सुनकर में खुश हुई, मैंने कहा,
अभी मेरे पास बहुत समय है,
हां तुम्हारे पास अभी भी समय हैं पढ़ लो,
क्यूं समय तुम व्यर्थ कर रही हो,
बाद में इसे जोड़, घटा नहीं सकते,
अब तो गणित ने भी सलाह दे डाली,
इससे पहले संस्कृत और विज्ञान कुछ बोले,
मैने बोला,"अब मैं पढ़ ही लेती हूं,
तुम्हारी बात मुझे वैसे भी समझ नहीं आनी।
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कल जब फोन चला कर थक गई,
तब कोने में पढ़ी किताबों को मैने देखा,
उदास-सी थी वे, कुछ कहना चाहती थी,
मैंने भी पूछ लिया क्या हुआ, क्यूं दुःखी हो,
तब हिंदी की पुस्तक बोली,
"हमे भी कभी देख लिया करो,
कब से पड़े हैं इस कोने में, देखो कितनी धूल है",
भूगोल ने गुस्से में कहा,
"नहीं नहीं इन्हें तो हमसे दूरी निभानी है,
लाए तो हमे बड़े शौक से थीं,
अभी तक एक बार ही पढ़ा है,
तुम्हें तो फिर भी पढ़ लिया, मुझे तो देखा ही नहीं,
माना में इतिहास हूं, पर इतना भी पुराना नहीं,
मैंने भी इनकी बातों से परेशान होकर कह दिया,
"हां हां ठीक है, पढ़ लूंगी अभी",
तब एक और आवाज सुनाई देती है,
"ये तो एग्जाम से एक रात पहले ही पढ़ेगी",
मैंने मुड़कर देखा, ये तो इंग्लिश बोली,
इससे पहले में कुछ बोलूं पॉलिटिकल साइंस बोली,
"देखो तुम किसी पर दबाव नहीं डाल सकते
पढ़ने के लिए हमारा देश लोकतांत्रिक है",
फिर मुझसे बोली,
"मैं सलाह दूंगी तुम्हे पढ लेना चाहिए",
ये सुनकर में खुश हुई, मैंने कहा,
अभी मेरे पास बहुत समय है,
हां तुम्हारे पास अभी भी समय हैं पढ़ लो,
क्यूं समय तुम व्यर्थ कर रही हो,
बाद में इसे जोड़, घटा नहीं सकते,
अब तो गणित ने भी सलाह दे डाली,
इससे पहले संस्कृत और विज्ञान कुछ बोले,
मैने बोला,"अब मैं पढ़ ही लेती हूं,
तुम्हारी बात मुझे वैसे भी समझ नहीं आनी।
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मोहब्बत में पड़ने से जुदाई मिलती है,
किताबों में पड़ने से सफलता मिलती है,
लोग कहते हैं जुदाई जिंदगी जीना सीखा देती है..
हम कहते हैं, किताबें समय पर सब सीखा देती हैं....
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" मेरी पुस्तक मुझसे बोली"
कल जब फोन चला कर थक गई,
तब कोने में पढ़ी किताबों को मैने देखा,
उदास-सी थी वे, कुछ कहना चाहती थी,
मैंने भी पूछ लिया क्या हुआ, क्यूं दुःखी हो,
तब हिंदी की पुस्तक बोली,
"हमे भी कभी देख लिया करो,
कब से पड़े हैं इस कोने में, देखो कितनी धूल है",
भूगोल ने गुस्से में कहा,
"नहीं नहीं इन्हें तो हमसे दूरी निभानी है,
लाए तो हमे बड़े शौक से थीं,
अभी तक एक बार ही पढ़ा है,
तुम्हें तो फिर भी पढ़ लिया, मुझे तो देखा ही नहीं,
माना में इतिहास हूं, पर इतना भी पुराना नहीं,
मैंने भी इनकी बातों से परेशान होकर कह दिया,
"हां हां ठीक है, पढ़ लूंगी अभी",
तब एक और आवाज सुनाई देती है,
"ये तो एग्जाम से एक रात पहले ही पढ़ेगी",
मैंने मुड़कर देखा, ये तो इंग्लिश बोली,
इससे पहले में कुछ बोलूं पॉलिटिकल साइंस बोली,
"देखो तुम किसी पर दबाव नहीं डाल सकते
पढ़ने के लिए हमारा देश लोकतांत्रिक है",
फिर मुझसे बोली,
"मैं सलाह दूंगी तुम्हे पढ लेना चाहिए",
ये सुनकर में खुश हुई, मैंने कहा,
अभी मेरे पास बहुत समय है,
हां तुम्हारे पास अभी भी समय हैं पढ़ लो,
क्यूं समय तुम व्यर्थ कर रही हो,
बाद में इसे जोड़, घटा नहीं सकते,
अब तो गणित ने भी सलाह दे डाली,
इससे पहले संस्कृत और विज्ञान कुछ बोले,
मैने बोला,"अब मैं पढ़ ही लेती हूं,
तुम्हारी बात मुझे वैसे भी समझ नहीं आनी।
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तब कोने में पढ़ी किताबों को मैने देखा,
उदास-सी थी वे, कुछ कहना चाहती थी,
मैंने भी पूछ लिया क्या हुआ, क्यूं दुःखी हो,
तब हिंदी की पुस्तक बोली,
"हमे भी कभी देख लिया करो,
कब से पड़े हैं इस कोने में, देखो कितनी धूल है",
भूगोल ने गुस्से में कहा,
"नहीं नहीं इन्हें तो हमसे दूरी निभानी है,
लाए तो हमे बड़े शौक से थीं,
अभी तक एक बार ही पढ़ा है,
तुम्हें तो फिर भी पढ़ लिया, मुझे तो देखा ही नहीं,
माना में इतिहास हूं, पर इतना भी पुराना नहीं,
मैंने भी इनकी बातों से परेशान होकर कह दिया,
"हां हां ठीक है, पढ़ लूंगी अभी",
तब एक और आवाज सुनाई देती है,
"ये तो एग्जाम से एक रात पहले ही पढ़ेगी",
मैंने मुड़कर देखा, ये तो इंग्लिश बोली,
इससे पहले में कुछ बोलूं पॉलिटिकल साइंस बोली,
"देखो तुम किसी पर दबाव नहीं डाल सकते
पढ़ने के लिए हमारा देश लोकतांत्रिक है",
फिर मुझसे बोली,
"मैं सलाह दूंगी तुम्हे पढ लेना चाहिए",
ये सुनकर में खुश हुई, मैंने कहा,
अभी मेरे पास बहुत समय है,
हां तुम्हारे पास अभी भी समय हैं पढ़ लो,
क्यूं समय तुम व्यर्थ कर रही हो,
बाद में इसे जोड़, घटा नहीं सकते,
अब तो गणित ने भी सलाह दे डाली,
इससे पहले संस्कृत और विज्ञान कुछ बोले,
मैने बोला,"अब मैं पढ़ ही लेती हूं,
तुम्हारी बात मुझे वैसे भी समझ नहीं आनी।
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मुझे एक द्रोणाचार्य मिली हैं,
एकलव्य के भांति मैंने उन्हें देखा नहीं हैं,
बस देखा है तो उनका जुनून ही उनका सुकून,
देखा हैं तो बस रंग बिरंगे सपनो को उनके जरिए कैनवस पर उतरता,
देखा है उनका हम सबको पढ़ना और समझाना,
उनका पढ़ाना जैसे कोई राग हो,
उनके शब्द जैसे कि मधुर तान हों,
उनका समझाना जैसे गंगा का यमुना में मिलना हो,
हमारा उनसे मिलना जैसे कुदरत का करिश्मा हो।
मैंने आपको कभी देखा तो नहीं बस समझा है।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
एकलव्य के भांति मैंने उन्हें देखा नहीं हैं,
बस देखा है तो उनका जुनून ही उनका सुकून,
देखा हैं तो बस रंग बिरंगे सपनो को उनके जरिए कैनवस पर उतरता,
देखा है उनका हम सबको पढ़ना और समझाना,
उनका पढ़ाना जैसे कोई राग हो,
उनके शब्द जैसे कि मधुर तान हों,
उनका समझाना जैसे गंगा का यमुना में मिलना हो,
हमारा उनसे मिलना जैसे कुदरत का करिश्मा हो।
मैंने आपको कभी देखा तो नहीं बस समझा है।
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