ज़िक्र-ए-दोस्त तेरी ज़ुबाँ से जब भी सुनता हूँ !!
पत्थर लगता है सीने पर गश खा कर गिरता हूँ !!
अजनबी की क़लम से
#Ajnabi
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पत्थर लगता है सीने पर गश खा कर गिरता हूँ !!
अजनबी की क़लम से
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तुम्हारी क़लम तुम्हारी कहानी !!
हमारी कुर्सी हमारी हुक्मरानी !!
तुम जो चाहो सो लिख दो
हम जिस पर चाहे फेर दे पानी !!
अजनबी की क़लम से
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हमारी कुर्सी हमारी हुक्मरानी !!
तुम जो चाहो सो लिख दो
हम जिस पर चाहे फेर दे पानी !!
अजनबी की क़लम से
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