Ghajal
मैंने चाकू ख़रीदा था,ये तलवार किसका है
मैंने तो उँगली दबाई ,सीने पर वार किसकी है
खोया रहा वो रात भर मेरे जुल्फ-ए-दराज में
अखबार में गुमनामी की इश्तिहार किसकी है
और कहते हो कि बच कर रहते हो तुम फूलो से
फिर तेरे बदन में ये महकार किसकी है
जितना तो दोनों चाहते थे इस जंग-ए-मोहब्बत मे
हमनें एक दूसरे को पाया,अब बोलो हार किसकी है
जब महफ़िल में लगाई जा रही थी बोलिया,मेरे ज़िस्म की
सारे तो चुप थे फिर ये चीत्कार किसकी है
सभी बैठे थे महफ़िल में,बेहयाई का तमाशा देखने
जो सर पर चुनर लहराई वो ग़म-ख़्वार किसकी थी
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#parveen
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मैंने चाकू ख़रीदा था,ये तलवार किसका है
मैंने तो उँगली दबाई ,सीने पर वार किसकी है
खोया रहा वो रात भर मेरे जुल्फ-ए-दराज में
अखबार में गुमनामी की इश्तिहार किसकी है
और कहते हो कि बच कर रहते हो तुम फूलो से
फिर तेरे बदन में ये महकार किसकी है
जितना तो दोनों चाहते थे इस जंग-ए-मोहब्बत मे
हमनें एक दूसरे को पाया,अब बोलो हार किसकी है
जब महफ़िल में लगाई जा रही थी बोलिया,मेरे ज़िस्म की
सारे तो चुप थे फिर ये चीत्कार किसकी है
सभी बैठे थे महफ़िल में,बेहयाई का तमाशा देखने
जो सर पर चुनर लहराई वो ग़म-ख़्वार किसकी थी
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आज तुम्हारी बारी है,कल मेरी भी बारी होगी
इरादा अगर जंग का है,तो जंग की तैयारी होगी
याद रखना वो महीना दिसम्बर का हो
तुम्हारे होंठ कापेंगे,मुझपे आतिश की खुमारी होगी
कहा बैठ गए तुम मेरी बातों को दिल से लेकर
कर लो अभी इलाज,वरना गम्भीर बीमारी होगी
चलो अब शर्त कागज़ की नाव से लगाते है
पार गया तो मेरा,डूब गई तो ये जान तुम्हारी होगी
कितना इकट्ठा करोगे बारूद मुझे जलाने के लिए
तेरे बारूद में जो आग लगाए, वो मेरी छोटी सी चिंगारी होगी
जा जितना तड़पाना है मुझे तड़पा ले तू अब
आज मेरी दुश्वारी है,कल तुम्हारी भी ख़्वारी होगी
कर दो मुझे आज़ाद अब अपने इस झूठी उल्फ़त से
तेरे दिल मे रक़्स, मेरे दिल में अज़ा-दारी होगी
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आज तुम्हारी बारी है,कल मेरी भी बारी होगी
इरादा अगर जंग का है,तो जंग की तैयारी होगी
याद रखना वो महीना दिसम्बर का हो
तुम्हारे होंठ कापेंगे,मुझपे आतिश की खुमारी होगी
कहा बैठ गए तुम मेरी बातों को दिल से लेकर
कर लो अभी इलाज,वरना गम्भीर बीमारी होगी
चलो अब शर्त कागज़ की नाव से लगाते है
पार गया तो मेरा,डूब गई तो ये जान तुम्हारी होगी
कितना इकट्ठा करोगे बारूद मुझे जलाने के लिए
तेरे बारूद में जो आग लगाए, वो मेरी छोटी सी चिंगारी होगी
जा जितना तड़पाना है मुझे तड़पा ले तू अब
आज मेरी दुश्वारी है,कल तुम्हारी भी ख़्वारी होगी
कर दो मुझे आज़ाद अब अपने इस झूठी उल्फ़त से
तेरे दिल मे रक़्स, मेरे दिल में अज़ा-दारी होगी
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