शीर्षक : वीरांगना फूलन देवी
एक स्त्री के चरणों में
मैं खुद को अर्पित करता हूं ,
ये लिखी कविता मेरी
मैं उनको समर्पित करता हूं ,
कल कल सा व्याकुल हो कर
कुछ ज्ञान अर्जित करता हू
अपने स्याही के हर अक्षर से
अमृत अमृत करता हूं ,
कि कोमल सी पुष्प थी वो
गांव में अपने महकी थी
भौरों के संग अब कीड़े झूमे
चिड़िया भी कुछ चहकी थी ,
गम गम कर महक उठी
अपने छोटे से संसार में
कुछ दरिंदे देख लिए
चलते हुए बाज़ार में
मुंह से उनके टपका पानी
जैसे भूखे का आहार में
भेड़िए उसको उठा लिए
एक छोटे से दरबार में
ऊंचा नीचा क्या जाने
और कौन सा सबने भेद किया
देखे सब एक अबला थी
वसन को उसके विच्छेद किया
बांध पलंग काट गए उसको
नहीं किसी ने खेद किया
क्या करे उस देह का , जला दे?
या काट दे ?
या खोद के छः फुट की माटी
खुद को उसमें पाट दे ?
एक रानी के अंदर
कैसा ये साम्राज्य लिखा
पानी शोहरत सब हारी
पर खुद से खुद का भाग्य लिखा
लिखा क्या उसने
तुम्हे सुनाना जरूरी है
हाथों को काला कर
अब हथियार उठाना जरूरी है ,
सवार हो कर अश्व पर अपने
आकाश को भी नाप गई
सुन कर आवाज गोली की उसके
पृथ्वी भी थी काप गई ,
उन कुत्तों के देह से
छर छर बहती धारा है
बन गई दुर्गा काली वो
जिसने सबको मारा है
बैठ के जगत पे उसने
जन का नर संहार किया
टेक के माथा गांधी को
खुद को उसने हार दिया
निकल रही थी जन सेवा को
राह में किसी ने मार दिया
खुद को उसने हार दिया ।।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
एक स्त्री के चरणों में
मैं खुद को अर्पित करता हूं ,
ये लिखी कविता मेरी
मैं उनको समर्पित करता हूं ,
कल कल सा व्याकुल हो कर
कुछ ज्ञान अर्जित करता हू
अपने स्याही के हर अक्षर से
अमृत अमृत करता हूं ,
कि कोमल सी पुष्प थी वो
गांव में अपने महकी थी
भौरों के संग अब कीड़े झूमे
चिड़िया भी कुछ चहकी थी ,
गम गम कर महक उठी
अपने छोटे से संसार में
कुछ दरिंदे देख लिए
चलते हुए बाज़ार में
मुंह से उनके टपका पानी
जैसे भूखे का आहार में
भेड़िए उसको उठा लिए
एक छोटे से दरबार में
ऊंचा नीचा क्या जाने
और कौन सा सबने भेद किया
देखे सब एक अबला थी
वसन को उसके विच्छेद किया
बांध पलंग काट गए उसको
नहीं किसी ने खेद किया
क्या करे उस देह का , जला दे?
या काट दे ?
या खोद के छः फुट की माटी
खुद को उसमें पाट दे ?
एक रानी के अंदर
कैसा ये साम्राज्य लिखा
पानी शोहरत सब हारी
पर खुद से खुद का भाग्य लिखा
लिखा क्या उसने
तुम्हे सुनाना जरूरी है
हाथों को काला कर
अब हथियार उठाना जरूरी है ,
सवार हो कर अश्व पर अपने
आकाश को भी नाप गई
सुन कर आवाज गोली की उसके
पृथ्वी भी थी काप गई ,
उन कुत्तों के देह से
छर छर बहती धारा है
बन गई दुर्गा काली वो
जिसने सबको मारा है
बैठ के जगत पे उसने
जन का नर संहार किया
टेक के माथा गांधी को
खुद को उसने हार दिया
निकल रही थी जन सेवा को
राह में किसी ने मार दिया
खुद को उसने हार दिया ।।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
इन नशीली आंखों में सैलाब बहुत है
तुम में खोया रहूं ये ख्वाब बहुत है
और जब भी तुम्हारी आंखों में देखा हमने
और जब भी तुम्हारी आंखों में देखा हमने
अपने मुहोब्बत को देखा लाज़वाब बहुत है
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
तुम में खोया रहूं ये ख्वाब बहुत है
और जब भी तुम्हारी आंखों में देखा हमने
और जब भी तुम्हारी आंखों में देखा हमने
अपने मुहोब्बत को देखा लाज़वाब बहुत है
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
इन नशीली आंखों में सैलाब बहुत है
तुम में खोया रहूं ये ख्वाब बहुत है
और जब भी तुम्हारी आंखों में देखा हमने
और जब भी तुम्हारी आंखों में देखा हमने
अपने मुहोब्बत को देखा लाज़वाब बहुत है
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तुम में खोया रहूं ये ख्वाब बहुत है
और जब भी तुम्हारी आंखों में देखा हमने
और जब भी तुम्हारी आंखों में देखा हमने
अपने मुहोब्बत को देखा लाज़वाब बहुत है
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
अरे! दिल का जुदा होना वो क्या जाने
जो सवरती जुल्फों से परवाना कर गए ,
जुदा तो केवल हम हुए थे
जो दिल को उनका दीवाना कर गए ।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
जो सवरती जुल्फों से परवाना कर गए ,
जुदा तो केवल हम हुए थे
जो दिल को उनका दीवाना कर गए ।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
वादे पे उनके हमने , खुद को रोक रखा है ,
बहती आंखों की दरिया में , खुदको झोंक रखा है ,
वो तो छोड़ चले गए तन्हाई के इस मकान पर,
मिलेंगे फिर कभी , बस ये सोच रखा है ।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
बहती आंखों की दरिया में , खुदको झोंक रखा है ,
वो तो छोड़ चले गए तन्हाई के इस मकान पर,
मिलेंगे फिर कभी , बस ये सोच रखा है ।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कैसे दू मैं वक्त खुदको
ये दिल अभी भी उनका दीवाना है ,
मैं ठहरा एक तरफा आशिक़
यादों में उनकी बस मर जाना है ।
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ये दिल अभी भी उनका दीवाना है ,
मैं ठहरा एक तरफा आशिक़
यादों में उनकी बस मर जाना है ।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
मेरी मुहोब्बत,मेरी खुदा मेरी इबादत हो चुकी है
ना सोचूं उनको , तो मेरी दुनिया बेरुखी है
हर चांदनी रात को अमावस्या कर रहा हूं
उनको पाने की अब तो तपस्या कर रहा हूं।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
ना सोचूं उनको , तो मेरी दुनिया बेरुखी है
हर चांदनी रात को अमावस्या कर रहा हूं
उनको पाने की अब तो तपस्या कर रहा हूं।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कभी चेहरे के नूर पे लिखता हूं
कभी आंखों के गुरुर पे लिखता हूं
देखता हूं जब भी तुझको मैं
तेरे जुल्फों के सुरूर पे लिखता हूं ,
तू कह दे तो कुछ भगवान पे लिखूं
तेरे होठों से निकलते अपने नाम पे लिखूं
तू कह तो मैं तुझे सोचता बैठू
या तेरे संग बिताए उस शाम पे लिखूं ?
डर है मुझे कही तेरा यार ना बन जाऊं
प्रयोग हो तेरे खिलाफ वो हथियार न बन जाऊं
तू कह तो सिर्फ मैं एक कायर बन जाऊ
लिखते लिखते तुझे कहीं मैं शायर ना बन जाऊ ।।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कभी आंखों के गुरुर पे लिखता हूं
देखता हूं जब भी तुझको मैं
तेरे जुल्फों के सुरूर पे लिखता हूं ,
तू कह दे तो कुछ भगवान पे लिखूं
तेरे होठों से निकलते अपने नाम पे लिखूं
तू कह तो मैं तुझे सोचता बैठू
या तेरे संग बिताए उस शाम पे लिखूं ?
डर है मुझे कही तेरा यार ना बन जाऊं
प्रयोग हो तेरे खिलाफ वो हथियार न बन जाऊं
तू कह तो सिर्फ मैं एक कायर बन जाऊ
लिखते लिखते तुझे कहीं मैं शायर ना बन जाऊ ।।
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कभी चेहरे के नूर पे लिखता हूं
कभी आंखों के गुरुर पे लिखता हूं
देखता हूं जब भी तुझको मैं
तेरे जुल्फों के सुरूर पे लिखता हूं ,
तू कह दे तो कुछ भगवान पे लिखूं
तेरे होठों से निकलते अपने नाम पे लिखूं
तू कह तो मैं तुझे सोचता बैठू
या तेरे संग बिताए उस शाम पे लिखूं ?
डर है मुझे कही तेरा यार ना बन जाऊं
प्रयोग हो तेरे खिलाफ वो हथियार न बन जाऊं
तू कह तो सिर्फ मैं एक कायर बन जाऊ
लिखते लिखते तुझे कहीं मैं शायर ना बन जाऊ ।।
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कभी आंखों के गुरुर पे लिखता हूं
देखता हूं जब भी तुझको मैं
तेरे जुल्फों के सुरूर पे लिखता हूं ,
तू कह दे तो कुछ भगवान पे लिखूं
तेरे होठों से निकलते अपने नाम पे लिखूं
तू कह तो मैं तुझे सोचता बैठू
या तेरे संग बिताए उस शाम पे लिखूं ?
डर है मुझे कही तेरा यार ना बन जाऊं
प्रयोग हो तेरे खिलाफ वो हथियार न बन जाऊं
तू कह तो सिर्फ मैं एक कायर बन जाऊ
लिखते लिखते तुझे कहीं मैं शायर ना बन जाऊ ।।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
आओ कुछ लोगो की बात समझाता हूं
होते कैसे हैं ये आज अपने आप बतलाता हूं
आज हटा के परदा चेहरे से , आइना दिखाता हूं
आज कुछ अच्छे लोगों की कहानी सुनाता हूं।
ये जब भी सामने से खेलते है
गुड़ सा मीठा बोलते है
और मिल जाए इनके जैसा तो
पीछे उनके डोलते हैं,
सारी पोल तुम्हारी खोलते है
भैया , दीदी , माता हो तुम
अनजाना सा रिश्ता जोड़ते हैं
और जो होंगे सच मे तुम्हारे
पकड़ पकड़ के तोड़ते हैं,
फिर समाज को भी मोड़ते हैं
कौन अपना क्या पराया
किसी की नहीं ये छोड़ते हैं
बन कर मन के मासूम
फिर हाथ ये जोड़ते हैं
तुम भोले दया खाते हो
ये हृदय को तुम्हारे निचोड़ते हैं।
तो कैसे जाने कैसे पहचाने
समाज में छुपे इन भेड़ियों को
जो बोले ज्यादा मीठा
पहली फुरसत में
उनको छोड़ ही दो
एक बार जब इनको
परिवार से निकल दोगे
बचा लोगे अपनो को तुम
और सबको एक मिसाल दोगे।
जो मिले ऐसा तो
फेंक देना घर बार से
और ज्यादा बोले तो
बात करना तलवार से ।
उनके गंदे खून को
गंगा में ना प्रवाहित करना
गाड़ देना बंजर जमीन में
कोई गुजरे ना ये जनहित में जारी करना
ऐसा करोगे तो
सामाज भी साफ होगा
किया जो तुमने पाप कभी
सब सदा से माफ होगा ।।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
होते कैसे हैं ये आज अपने आप बतलाता हूं
आज हटा के परदा चेहरे से , आइना दिखाता हूं
आज कुछ अच्छे लोगों की कहानी सुनाता हूं।
ये जब भी सामने से खेलते है
गुड़ सा मीठा बोलते है
और मिल जाए इनके जैसा तो
पीछे उनके डोलते हैं,
सारी पोल तुम्हारी खोलते है
भैया , दीदी , माता हो तुम
अनजाना सा रिश्ता जोड़ते हैं
और जो होंगे सच मे तुम्हारे
पकड़ पकड़ के तोड़ते हैं,
फिर समाज को भी मोड़ते हैं
कौन अपना क्या पराया
किसी की नहीं ये छोड़ते हैं
बन कर मन के मासूम
फिर हाथ ये जोड़ते हैं
तुम भोले दया खाते हो
ये हृदय को तुम्हारे निचोड़ते हैं।
तो कैसे जाने कैसे पहचाने
समाज में छुपे इन भेड़ियों को
जो बोले ज्यादा मीठा
पहली फुरसत में
उनको छोड़ ही दो
एक बार जब इनको
परिवार से निकल दोगे
बचा लोगे अपनो को तुम
और सबको एक मिसाल दोगे।
जो मिले ऐसा तो
फेंक देना घर बार से
और ज्यादा बोले तो
बात करना तलवार से ।
उनके गंदे खून को
गंगा में ना प्रवाहित करना
गाड़ देना बंजर जमीन में
कोई गुजरे ना ये जनहित में जारी करना
ऐसा करोगे तो
सामाज भी साफ होगा
किया जो तुमने पाप कभी
सब सदा से माफ होगा ।।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
आओ कुछ लोगो की बात समझाता हूं
होते कैसे हैं ये आज अपने आप बतलाता हूं
आज हटा के परदा चेहरे से , आइना दिखाता हूं
आज कुछ अच्छे लोगों की कहानी सुनाता हूं।
ये जब भी सामने से खेलते है
गुड़ सा मीठा बोलते है
और मिल जाए इनके जैसा तो
पीछे उनके डोलते हैं,
सारी पोल तुम्हारी खोलते है
भैया , दीदी , माता हो तुम
अनजाना सा रिश्ता जोड़ते हैं
और जो होंगे सच मे तुम्हारे
पकड़ पकड़ के तोड़ते हैं,
फिर समाज को भी मोड़ते हैं
कौन अपना क्या पराया
किसी की नहीं ये छोड़ते हैं
बन कर मन के मासूम
फिर हाथ ये जोड़ते हैं
तुम भोले दया खाते हो
ये हृदय को तुम्हारे निचोड़ते हैं।
तो कैसे जाने कैसे पहचाने
समाज में छुपे इन भेड़ियों को
जो बोले ज्यादा मीठा
पहली फुरसत में
उनको छोड़ ही दो
एक बार जब इनको
परिवार से निकल दोगे
बचा लोगे अपनो को तुम
और सबको एक मिसाल दोगे।
जो मिले ऐसा तो
फेंक देना घर बार से
और ज्यादा बोले तो
बात करना तलवार से ।
उनके गंदे खून को
गंगा में ना प्रवाहित करना
गाड़ देना बंजर जमीन में
कोई गुजरे ना ये जनहित में जारी करना
ऐसा करोगे तो
सामाज भी साफ होगा
किया जो तुमने पाप कभी
सब सदा से माफ होगा ।।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
होते कैसे हैं ये आज अपने आप बतलाता हूं
आज हटा के परदा चेहरे से , आइना दिखाता हूं
आज कुछ अच्छे लोगों की कहानी सुनाता हूं।
ये जब भी सामने से खेलते है
गुड़ सा मीठा बोलते है
और मिल जाए इनके जैसा तो
पीछे उनके डोलते हैं,
सारी पोल तुम्हारी खोलते है
भैया , दीदी , माता हो तुम
अनजाना सा रिश्ता जोड़ते हैं
और जो होंगे सच मे तुम्हारे
पकड़ पकड़ के तोड़ते हैं,
फिर समाज को भी मोड़ते हैं
कौन अपना क्या पराया
किसी की नहीं ये छोड़ते हैं
बन कर मन के मासूम
फिर हाथ ये जोड़ते हैं
तुम भोले दया खाते हो
ये हृदय को तुम्हारे निचोड़ते हैं।
तो कैसे जाने कैसे पहचाने
समाज में छुपे इन भेड़ियों को
जो बोले ज्यादा मीठा
पहली फुरसत में
उनको छोड़ ही दो
एक बार जब इनको
परिवार से निकल दोगे
बचा लोगे अपनो को तुम
और सबको एक मिसाल दोगे।
जो मिले ऐसा तो
फेंक देना घर बार से
और ज्यादा बोले तो
बात करना तलवार से ।
उनके गंदे खून को
गंगा में ना प्रवाहित करना
गाड़ देना बंजर जमीन में
कोई गुजरे ना ये जनहित में जारी करना
ऐसा करोगे तो
सामाज भी साफ होगा
किया जो तुमने पाप कभी
सब सदा से माफ होगा ।।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
वो हया में डूब कर
मेरे स्वेद से ऊब कर
मचल चली है घर से अपने
उर को मेरे कूद कर ,
इश्क उसका ब्याज सा
लौटाऊ कैसे सूद कर
रईसी ऐसी छोड़ कर
थम जा तू उस मोड़ पर
जहां हया भी न रहे
इश्क की चादर ओढ़ कर ।
तू झुका पलके ये सोच कर
कोई इबादत रोज कर
मुक्कम्मल हूं मैं तुझे
सिर पे सेहरा सोझ कर ,
तू उठ सवेरे गोद पर
फलक चलें ? रोड पर
अधरों से अपने रौंद कर
मुझ पर खुद से तू जोर कर ।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
मेरे स्वेद से ऊब कर
मचल चली है घर से अपने
उर को मेरे कूद कर ,
इश्क उसका ब्याज सा
लौटाऊ कैसे सूद कर
रईसी ऐसी छोड़ कर
थम जा तू उस मोड़ पर
जहां हया भी न रहे
इश्क की चादर ओढ़ कर ।
तू झुका पलके ये सोच कर
कोई इबादत रोज कर
मुक्कम्मल हूं मैं तुझे
सिर पे सेहरा सोझ कर ,
तू उठ सवेरे गोद पर
फलक चलें ? रोड पर
अधरों से अपने रौंद कर
मुझ पर खुद से तू जोर कर ।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
वो हया में डूब कर
मेरे स्वेद से ऊब कर
मचल चली है घर से अपने
उर को मेरे कूद कर ,
इश्क उसका ब्याज सा
लौटाऊ कैसे सूद कर
रईसी ऐसी छोड़ कर
थम जा तू उस मोड़ पर
जहां हया भी न रहे
इश्क की चादर ओढ़ कर ।
तू झुका पलके ये सोच कर
कोई इबादत रोज कर
मुक्कम्मल हूं मैं तुझे
सिर पे सेहरा सोझ कर ,
तू उठ सवेरे गोद पर
फलक चलें ? रोड पर
अधरों से अपने रौंद कर
मुझ पर खुद से तू जोर कर ।
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
मेरे स्वेद से ऊब कर
मचल चली है घर से अपने
उर को मेरे कूद कर ,
इश्क उसका ब्याज सा
लौटाऊ कैसे सूद कर
रईसी ऐसी छोड़ कर
थम जा तू उस मोड़ पर
जहां हया भी न रहे
इश्क की चादर ओढ़ कर ।
तू झुका पलके ये सोच कर
कोई इबादत रोज कर
मुक्कम्मल हूं मैं तुझे
सिर पे सेहरा सोझ कर ,
तू उठ सवेरे गोद पर
फलक चलें ? रोड पर
अधरों से अपने रौंद कर
मुझ पर खुद से तू जोर कर ।
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