हेडफ़ोन पेहन कर आज कल बाहर की बातें कम सुनती हूँ...
बातें कम, ख्याल ज्यादा बुनती हूँ..
शायद संनाटे से मोहब्बत हो गई है, इसलिए आपकी खामोशी से भी बातें करती हूँ...
बातों से याद आया
आप जब भी मुझे कुछ कहने आते, एक मुस्कान से मुझको बांध लेते...
आपकी आँखों से बातें वो सालों पुराना
अब आजाओ थोडा पढ़ लेती हूँ...
#श्रावणी
#Shrabani
#review
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बातें कम, ख्याल ज्यादा बुनती हूँ..
शायद संनाटे से मोहब्बत हो गई है, इसलिए आपकी खामोशी से भी बातें करती हूँ...
बातों से याद आया
आप जब भी मुझे कुछ कहने आते, एक मुस्कान से मुझको बांध लेते...
आपकी आँखों से बातें वो सालों पुराना
अब आजाओ थोडा पढ़ लेती हूँ...
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दिल चाहता है ऐसे ही बात करते रहे..
खट्टा मीठा ही सही यूँ गुनगुनाते रहे..
कभी फिर मुस्कराऊँ तो आप फिरसे मेरी आँखों में चमकते रहे..
जाने केलिए बोलने के बाद भी क्यूँ दिल झिजकते रहे...
फिर कैसे देखेंगे सुबह तुम्हारी बगैर
आँखें फिर तरस जाएंगे और चाहेंगी कि तुमको फिरसे आँखें भर के देखते रहे...
काश तुम थोड़ा सा फ़िघल जाती..
सिर्फ़ दिल में ही नहीं सचमुच ही ठहर जाती...
यूँ जागते सोते सपने में आकर, हवा की तरह छू लेती..
अब कैसे बोलूँ कि फिर मिलना मुश्किल है ....
काश तुम भी थोड़ा इश्क़ कर पाती....
#Shrabani #श्रावणी #review
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खट्टा मीठा ही सही यूँ गुनगुनाते रहे..
कभी फिर मुस्कराऊँ तो आप फिरसे मेरी आँखों में चमकते रहे..
जाने केलिए बोलने के बाद भी क्यूँ दिल झिजकते रहे...
फिर कैसे देखेंगे सुबह तुम्हारी बगैर
आँखें फिर तरस जाएंगे और चाहेंगी कि तुमको फिरसे आँखें भर के देखते रहे...
काश तुम थोड़ा सा फ़िघल जाती..
सिर्फ़ दिल में ही नहीं सचमुच ही ठहर जाती...
यूँ जागते सोते सपने में आकर, हवा की तरह छू लेती..
अब कैसे बोलूँ कि फिर मिलना मुश्किल है ....
काश तुम भी थोड़ा इश्क़ कर पाती....
#Shrabani #श्रावणी #review
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दिल का गुलाब लाया था
आँखों का सराब देखा,
इश्क के बारिश में भीगकर
मोहब्बत की आइने में आपका नूर देखा,
आप और में बहुत मुख्तलिफ हैं
जब यह जाना तो आपसे बेहतर
ना आपसे बेहतर कोई अफसाना देखा....
अफसानों में उलझकर
यूं ख्वाब में मादहोश हैं,
फिर क्यों लोग कहने लगे
एक तरफा प्यार क्या कोई प्यार है....
#श्रावणी
#Shrabani
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आँखों का सराब देखा,
इश्क के बारिश में भीगकर
मोहब्बत की आइने में आपका नूर देखा,
आप और में बहुत मुख्तलिफ हैं
जब यह जाना तो आपसे बेहतर
ना आपसे बेहतर कोई अफसाना देखा....
अफसानों में उलझकर
यूं ख्वाब में मादहोश हैं,
फिर क्यों लोग कहने लगे
एक तरफा प्यार क्या कोई प्यार है....
#श्रावणी
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इंतज़ार-ए-मोहब्बत
– क्या सोचा तुमने?
= सोच ही नहीं पाया
कुछ क्या करूँ?
आँखें भरने छूट गए हैं
अब ख़्यालों से दिल भरे तो क्या करूँ!!
जब सोच ने का सोचा नहीं था
तब वो आई
निगाहें रुक गईं उन पर
और मैं शून्य हो गया
ख़ुद को रोका नहीं
दिल का दान हो गया
पता नहीं किस चीज़ से गिरफ़्तार की थी मुझे
आके देख भी लो
मेरा क्या हाल हो गया
अब रोकता क्यों ख़ुद को?
जब ख़्वाहिश-ए-इश्क़ ही मरहम हो दर्द-ए-दिल की
मगर इनसे रिहा वो होगई
और इंतज़ार मुझे दहेज़ में मिलगया
जब याद आती है
सब धुंधला जाती है
कोई ख़ुशी है न कोई ग़म है
बस इनकार या इकरार का इंतज़ार है
ए हवा तू हर गली से वाक़िफ़ है न
एक छोटा सा पैगाम मेरा भी ले जा
अब क्या बताऊँ;
उन्हें मेरे होने का इल्म भी नहीं होगा
अब तो सब एक लगे
सज़ा, दुआ, ख़ौफ़ और रज़ा
उनके बग़ैर कुछ सोचूँ तो
सोचना दिलचस्प नहीं लगता
जब उनका ख़्याल भी आता है
हाए ख़ुदाया मैं क्या करूँ?
मैं कुछ और सोच ही नहीं पाता!!!!!!
#Shrabani
#श्रावणी
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
– क्या सोचा तुमने?
= सोच ही नहीं पाया
कुछ क्या करूँ?
आँखें भरने छूट गए हैं
अब ख़्यालों से दिल भरे तो क्या करूँ!!
जब सोच ने का सोचा नहीं था
तब वो आई
निगाहें रुक गईं उन पर
और मैं शून्य हो गया
ख़ुद को रोका नहीं
दिल का दान हो गया
पता नहीं किस चीज़ से गिरफ़्तार की थी मुझे
आके देख भी लो
मेरा क्या हाल हो गया
अब रोकता क्यों ख़ुद को?
जब ख़्वाहिश-ए-इश्क़ ही मरहम हो दर्द-ए-दिल की
मगर इनसे रिहा वो होगई
और इंतज़ार मुझे दहेज़ में मिलगया
जब याद आती है
सब धुंधला जाती है
कोई ख़ुशी है न कोई ग़म है
बस इनकार या इकरार का इंतज़ार है
ए हवा तू हर गली से वाक़िफ़ है न
एक छोटा सा पैगाम मेरा भी ले जा
अब क्या बताऊँ;
उन्हें मेरे होने का इल्म भी नहीं होगा
अब तो सब एक लगे
सज़ा, दुआ, ख़ौफ़ और रज़ा
उनके बग़ैर कुछ सोचूँ तो
सोचना दिलचस्प नहीं लगता
जब उनका ख़्याल भी आता है
हाए ख़ुदाया मैं क्या करूँ?
मैं कुछ और सोच ही नहीं पाता!!!!!!
#Shrabani
#श्रावणी
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
इंतज़ार-ए-मोहब्बत
– क्या सोचा तुमने?
= सोच ही नहीं पाया
कुछ क्या करूँ?
आँखें भरने छूट गए हैं
अब ख़्यालों से दिल भरे तो क्या करूँ!!
जब सोच ने का सोचा नहीं था
तब वो आई
निगाहें रुक गईं उन पर
और मैं शून्य हो गया
ख़ुद को रोका नहीं
दिल का दान हो गया
पता नहीं किस चीज़ से गिरफ़्तार की थी मुझे
आके देख भी लो
मेरा क्या हाल हो गया
अब रोकता क्यों ख़ुद को?
जब ख़्वाहिश-ए-इश्क़ ही मरहम हो दर्द-ए-दिल की
मगर इनसे रिहा वो होगई
और इंतज़ार मुझे दहेज़ में मिलगया
जब याद आती है
सब धुंधला जाती है
कोई ख़ुशी है न कोई ग़म है
बस इनकार या इकरार का इंतज़ार है
ए हवा तू हर गली से वाक़िफ़ है न
एक छोटा सा पैगाम मेरा भी ले जा
अब क्या बताऊँ;
उन्हें मेरे होने का इल्म भी नहीं होगा
अब तो सब एक लगे
सज़ा, दुआ, ख़ौफ़ और रज़ा
उनके बग़ैर कुछ सोचूँ तो
सोचना दिलचस्प नहीं लगता
जब उनका ख़्याल भी आता है
हाए ख़ुदाया मैं क्या करूँ?
मैं कुछ और सोच ही नहीं पाता!!!!!!
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– क्या सोचा तुमने?
= सोच ही नहीं पाया
कुछ क्या करूँ?
आँखें भरने छूट गए हैं
अब ख़्यालों से दिल भरे तो क्या करूँ!!
जब सोच ने का सोचा नहीं था
तब वो आई
निगाहें रुक गईं उन पर
और मैं शून्य हो गया
ख़ुद को रोका नहीं
दिल का दान हो गया
पता नहीं किस चीज़ से गिरफ़्तार की थी मुझे
आके देख भी लो
मेरा क्या हाल हो गया
अब रोकता क्यों ख़ुद को?
जब ख़्वाहिश-ए-इश्क़ ही मरहम हो दर्द-ए-दिल की
मगर इनसे रिहा वो होगई
और इंतज़ार मुझे दहेज़ में मिलगया
जब याद आती है
सब धुंधला जाती है
कोई ख़ुशी है न कोई ग़म है
बस इनकार या इकरार का इंतज़ार है
ए हवा तू हर गली से वाक़िफ़ है न
एक छोटा सा पैगाम मेरा भी ले जा
अब क्या बताऊँ;
उन्हें मेरे होने का इल्म भी नहीं होगा
अब तो सब एक लगे
सज़ा, दुआ, ख़ौफ़ और रज़ा
उनके बग़ैर कुछ सोचूँ तो
सोचना दिलचस्प नहीं लगता
जब उनका ख़्याल भी आता है
हाए ख़ुदाया मैं क्या करूँ?
मैं कुछ और सोच ही नहीं पाता!!!!!!
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