Hindi/Urdu Poems
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शीर्षक: खोया हूं अपने अनजान राहों में

मैं एक अनजान राह में खो गया हूं,
जहां कोई दिशा नहीं, न कोई साथ है।
एक अंधेरे में मेरी आत्मा भटकती है,
पर जहां न प्रकाश है, न आशा है।

मैं एक रास्ता सही को ढूंढता हूं,
पर जहां हर कदम पर भटकाव है।
मैं खुद से और दूसरों से पूछता हूं,
पर जहां न जवाब है, न समाधान है।

मैं आत्मा की गहराइयों को सुनता हूं,
"हिम्मत नहीं हार" आवाज गूंजती है।
मैं बार-बार गिर कर उठता हूं,
मैं अपने सपनों की ओर चलता हूं।

मैं जानता हूं कि मैं नहीं हारूंगा,
मैं एक दिन अपना रास्ता सही पा लूंगा।
मैं खुद से इस अनजान यात्रा में मिलूंगा,
और मैं अपनी मंजिल को पा लूंगा।

मैं खो नहीं, बस भटक गया हूं,
मैं एक दिन जरूर अपने रास्ते को मिलूंगा।
मैं जिंदगी के सभी कांटों को जीतूंगा,
और मैं अपनी मंजिल को पाऊंगा।

--- अभय कुमार वर्मा ✍️"
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
शीर्षक: खोया हूं अपने अनजान राहों में

मैं एक अनजान राह में खो गया हूं,
जहां कोई दिशा नहीं, न कोई साथ है।
एक अंधेरे में मेरी आत्मा भटकती है,
पर जहां न प्रकाश है, न आशा है।

मैं एक रास्ता सही को ढूंढता हूं,
पर जहां हर कदम पर भटकाव है।
मैं खुद से और दूसरों से पूछता हूं,
पर जहां न जवाब है, न समाधान है।

मैं आत्मा की गहराइयों को सुनता हूं,
"हिम्मत नहीं हार" आवाज गूंजती है।
मैं बार-बार गिर कर उठता हूं,
मैं अपने सपनों की ओर चलता हूं।

मैं जानता हूं कि मैं नहीं हारूंगा,
मैं एक दिन अपना रास्ता सही पा लूंगा।
मैं खुद से इस अनजान यात्रा में मिलूंगा,
और मैं अपनी मंजिल को पा लूंगा।

मैं खोया नहीं, बस भटक गया हूं,
मैं एक दिन जरूर अपने रास्ते को मिलूंगा।
मैं जिंदगी के सभी कांटों को जीतूंगा,
और मैं अपनी मंजिल को पाऊंगा।

--- अभय कुमार वर्मा ✍️"
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
शीर्षक: खोया हूं अपने अनजान राहों में

मैं एक अनजान राह में खो गया हूं,
जहां कोई दिशा नहीं, न कोई साथ है।
एक अंधेरे में मेरी आत्मा भटकती है,
पर जहां न प्रकाश है, न आशा है।

मैं एक रास्ता सही को ढूंढता हूं,
पर जहां हर कदम पर भटकाव है।
मैं खुद से और दूसरों से पूछता हूं,
पर जहां न जवाब है, न समाधान है।

मैं आत्मा की गहराइयों को सुनता हूं,
"हिम्मत नहीं हार" आवाज गूंजती है।
मैं बार-बार गिर कर उठता हूं,
मैं अपने सपनों की ओर चलता हूं।

मैं जानता हूं कि मैं नहीं हारूंगा,
मैं एक दिन अपना रास्ता सही पा लूंगा।
मैं खुद से इस अनजान यात्रा में मिलूंगा,
और मैं अपनी मंजिल को पा लूंगा।

मैं खोया नहीं, बस भटक गया हूं,
मैं एक दिन जरूर अपने रास्ते को मिलूंगा।
मैं जिंदगी के सभी कांटों को जीतूंगा,
और मैं अपनी मंजिल को पाऊंगा।

--- अभय कुमार वर्मा ✍️"
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
शीर्षक: शून्य और अनंत का मिलन

सभी प्राकृत संख्या का योग अनंत है।
पर सभी पूर्णांक संख्या का योग शून्य है।

जहां अनंत और शून्य का मिलन होता है,
वहां जीवन की गहराई का अर्थ खुलता है।

प्राकृत संख्याएं अनंत की ओर ले जाती हैं,
पूर्णांक संख्याएं शून्य की ओर ले जाती हैं।

जहां अनंत असीमित, वहां शून्य शांति है।
पर जहां शून्य सीमित, वहां अनंत ऊंचाई है।

सभी प्रश्नों का उत्तर दुनिया में ही छुपा है,
जहां अनंत और शून्य का मिलन होता है।

--- अभय कुमार वर्मा ✍️ "
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
बेरहम है ये वक्त बड़ा,
क्या भरोसा कब कौन छोड़ चला जाए।
मिट्टी से बना इंसान,मिट्टी में मिलजाए।
जिंदगी तो किस्मत के नाम चली,
वो मौत का नज़ारा,
जब सांसें समन्दर से मिलजाये।
गमों का सैलाब बना वो रात भर के लिए
कश्ती का किनारा,
एक ओर किरदार कहानी का जब अपना किरदार भूल जाए।
बेरहम है ये वक्त बड़ा,
क्या भरोसा कब कौन छोड़ चला जाए।
जैसे एक मुरझाए पत्ती को
पतझड़ का सहारा मिलजाए।


~rimiii❤️‍🩹

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
शीर्षक: शून्य और अनंत का मिलन

सभी प्राकृत संख्या का योग अनंत है।
पर सभी पूर्णांक संख्या का योग शून्य है।

जहां अनंत और शून्य का मिलन होता है,
वहां जीवन की गहराई का अर्थ खुलता है।

प्राकृत संख्याएं अनंत की ओर ले जाती हैं,
पूर्णांक संख्याएं शून्य की ओर ले जाती हैं।

जहां अनंत असीमित, वहां शून्य शांति है।
पर जहां शून्य सीमित, वहां अनंत ऊंचाई है।

सभी प्रश्नों का उत्तर दुनिया में ही छुपा है,
जहां अनंत और शून्य का मिलन होता है।

--- अभय कुमार वर्मा ✍️ "
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
शीर्षक: "तुम्हारा मिलना: एक अनंत यात्रा"


तुम्हारा मिलना, एक अद्वितीय संगम,
आकाश को पाताल से मिलाता है,
सूरज को शाम में उगने का सपना,
जहां हर तारे के साथ चांद अपना।

तुम्हारा मिलना, एक प्रेममय यात्रा,
मृत्यु को जीवन से जोड़ता है,
विषाद को हर्ष से जोड़ता है,
प्रेम को वैराग्य से मिलाता है।

तुम्हारा मिलना, एक शांतिपूर्ण स्थान,
भय को अभय से जोड़ता है,
अशांति को शांति से मिलाता है,
अनंत को शून्य से मिलाता है।

तुम्हारा मिलना, एक अनंत संगम,
हर कहानी को रहस्यपूर्ण बताता है,
गहराई और व्यापकता को दर्शाता है,
जीवन की अनंत यात्रा को प्रकाशित करता है।

--- अभय कुमार वर्मा ✍️"
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
शीर्षक: दिखावट से परे,जिंदगी के राह में चले।

सीधी साधी सी जिंदगी में दिखावटी क्या रखना।
बड़ा करने की चाह में छोटे बातों में क्यों उलझना?
जो कहना सामने वाले इन्सां को सोच कर कहना।
अपने दिल के बातों को बिन फिक्र करके कहना।

यह दुनिया कल भी यही थी आज भी यही रहना।
हम कुछ दिनों के लिए आए हैं इनसे क्या डरना?
हमारा काम बिन द्वेष से आत्म संतुष्टि करना है।
आखिरकार देह छोड़कर हमे एक दिन मरना है।

छोटी जिंदगी में हजार बोझ लेकर क्यों चलना है।
यहां कदम कदम पर मिली कष्टों को भी झेलना है। इस भव्यसागर में खुद से मुस्कुराते हुए बहना है।
अपना कर्तव्य को पूरा करते हुए आगे बढ़ना है।

फोटो फ्रेम में सजाने का सपना क्यों देखना है।
महान लोगों को ही इतिहास द्वारा याद रखना है।
इतिहास के पन्ने भारी हो तो पन्नों को खोना है।
असफलता मिलेगी पर हमें सफलता पर रोना है।

--- अभय कुमार वर्मा ✍️"
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
बेरहम है ये वक्त बड़ा,
क्या भरोसा कब कौन छोड़ चला जाए।
मिट्टी से बना इंसान,मिट्टी में मिलजाए।
जिंदगी तो किस्मत के नाम चली,
वो मौत का नज़ारा,
जब सांसें समन्दर से मिलजाये।
गमों का सैलाब बना वो रात भर के लिए
कश्ती का किनारा,
एक ओर किरदार कहानी का जब अपना किरदार भूल जाए।
बेरहम है ये वक्त बड़ा,
क्या भरोसा कब कौन छोड़ चला जाए।
जैसे एक मुरझाए पत्ती को
पतझड़ का सहारा मिलजाए।


~rimiii❤️‍🩹

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
शीर्षक:  प्रेम- मरने के बाद भी जीना
               
कीमती चीज मिलने पर पसंद को छोड़ देते हैं,
जो एक बार में मिले उसपर सवाल उठाते हैं।
खुद का पसंद न मालूम, दूसरे का अजमाते हैं,
जिस्मो के आदि इंसान, बहुत बहाना बनाते हैं।

आओ शुद्ध प्रेम करने वालों की कहानी बताते हैं,
सच्चे प्यार करने वाले जन्म जन्म तक मर जाते हैं।
उसके वियोग में इन आंखों से तालाब भर जाते हैं,
उसके लिए जीने को अपनी मौत से लड़ जाते हैं।

उसके खुशी के लिए जख्म छोड़कर मुस्कुराते हैं,
न मदिरा पान करते,न ही उसे भूलना चाहते हैं।
उसके यादों में जीवन समर्पित करना चाहते हैं,
अपना जीवन दे प्रेम शब्द को पूर्ण कर जाते हैं।

--- अभय कुमार वर्मा ✍️
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
औरों में खुद को खो के, खुद को पाना
बहुत बड़ा काम है
जीना इसी का नाम है!🌸🌼🌸🍀
#lafzshaalabygaurisharma #GauriSharma #review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
औरों में खुद को खो के, खुद को पाना
बहुत बड़ा काम है
जीना इसी का नाम है!🌸🌼🌸🍀
#lafzshaalabygaurisharma #GauriSharma #review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
Wo sahar yaad h tume ....?
Laut kar aaya hu me ...
Uss sahar .... Jiss sahar ...tujhse wo pahli mulakat ki kuch yaade yu bikhri hui h ..!
Jaha ki galiyo me teri wo kuch dhundhlaayi si tashveere yu ojal si hoti dikhai deti h ..!
Kuch to ehsaz abhi baaki h tera un galiyaro me...
Waha ki hawao me chupa hua h kahi kisi mod pr..
Wo hasin chandani raat khilkhilati subh or dopahar...
Jb tu mere gr ke samnee se apne gr ko jaati thii
Ek pyari si muskaan liye din ki thakan liye wo khilkhilata sa chehra tera... lagta jese prakratii ne badi hi saadgi se piroya ho tume ..!
Wahi kahi kisi chat ke kone pr khada teri raah me teri ik jalak ko dekhne ki aas me ..
Wo har pal us sahar ka yu gujara ithala k meri najro se... Jese keh raha ho ki naa me badla naa hi tu ..!
Khada hokar fir uss mod pr lga jese kuch pal or thahar jaau is ummid me sayad tum fir gujro un galiyaro se..!
Wo sahar kuch is tarha un yaado ko sanjoee hue
Ek sahar .. pyara sahar ... Wo yado ka sahar...! 🌸✍🏻

#prsingh 🕊️
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
तुम कभी थे सूर्य लेकिन अब दियों तक आ गये।
थे कभी मुख्पृष्ठ पर अब हाशियों तक आ गये॥

यवनिका बदली कि सारा दृष्य बदला मंच का।
थे कभी दुल्हा स्वयं बारातियों तक आ गये॥

वक्त का पहिया किसे कुचले कहाँ कब क्या पता।
थे कभी रथवान अब बैसाखियों तक आ गये॥

देख ली सत्ता किसी वारांगना से कम नहीं।
जो कि अध्यादेश थे खुद अर्जियों तक आ गये॥

देश के संदर्भ में तुम बोल लेते खूब हो।
बात ध्वज की थी चलाई कुर्सियों तक आ गये॥

प्रेम के आख्यान में तुम आत्मा से थे चले।
घूम फिर कर देह की गोलाईयों तक आ गये॥

कुछ बिके आलोचकों की मानकर ही गीत को।
तुम ॠचाएं मानते थे गालियों तक आ गये॥

सभ्यता के पंथ पर यह आदमी की यात्रा।
देवताओं से शुरू की वहशियों तक आ गये॥

~चंद्रसेन विराट
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
तुम कभी थे सूर्य लेकिन अब दियों तक आ गये।
थे कभी मुख्पृष्ठ पर अब हाशियों तक आ गये॥

यवनिका बदली कि सारा दृष्य बदला मंच का।
थे कभी दुल्हा स्वयं बारातियों तक आ गये॥

वक्त का पहिया किसे कुचले कहाँ कब क्या पता।
थे कभी रथवान अब बैसाखियों तक आ गये॥

देख ली सत्ता किसी वारांगना से कम नहीं।
जो कि अध्यादेश थे खुद अर्जियों तक आ गये॥

देश के संदर्भ में तुम बोल लेते खूब हो।
बात ध्वज की थी चलाई कुर्सियों तक आ गये॥

प्रेम के आख्यान में तुम आत्मा से थे चले।
घूम फिर कर देह की गोलाईयों तक आ गये॥

कुछ बिके आलोचकों की मानकर ही गीत को।
तुम ॠचाएं मानते थे गालियों तक आ गये॥

सभ्यता के पंथ पर यह आदमी की यात्रा।
देवताओं से शुरू की वहशियों तक आ गये॥

~चंद्रसेन विराट
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
शीर्षक:  अभय रूप नाप, अमित छाप
द्वारा अभय कुo वर्मा

कितने भी प्रयत्न से कार्बन हीरा को जलाओ,
उसकी पहचान नहीं बदलती, राख नहीं होती।
हीरा हीरा रहता है, उसकी चमक नहीं खोती।
उसकी नाम उसकी मजबूती होती वो नहीं टूटती।

औरों को खुद के सीमा के बाहर बर्दाश्त नहीं होती,
उनकी कमजोरी है सीमा के बाहर औकात नहीं होती।
सबकी असली पहचान है वह कभी नहीं बदलती।
अभय बनना पड़ता है जिंदगी में लॉटरी नहीं निकलती।

सूर्य न दिखने के कारण दिन की शत्रु रात नहीं होती।
यह मत समझना के आकाश में हीरे की प्रकाश नहीं होती।
खुद से बात करने की आदत है औरों से बात नहीं होती।
सबका जवाब दे दूंगा पर सच सुनने की औकात नहीं होती।

--- अभय कुमार वर्मा✍️
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
Jalti hui Chitaa ne kaha
ruko jara
Jaa rhe ho chod muje
Kyu rote ho tum
ek din tume bhi h mere pass hi aana
kuch waqt ki baat h
Fir tume bhi yahi lot aana
Me parayi nhi tumhari apni hu
Kyu karte ho grinaa mujse
Jin apno ko tumne apna mana
Ek din unhe hi tume mere pass
Yu Lawaris chorr Jana
To kyu na betho jara mere pass
Kuch baate tum Karo kuch baate me sunu
Me wahi hu tumhari apni chitaa
pahchana muje 🤗


#prsingh 🌸🕊️
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
दिन हो या रात,
आतें तेरे ख्वाब है |

मान या ना मान,
तू मेरी खास है|

चाहो या ना चाहो,
तू आज भी दिल के पास है....

#Krushnakant
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
मत लिखो
अगर फूट के ना निकले
बिना किसी वजह के
मत लिखो।

अगर बिना पूछे बताए ना बरस पड़े,
तुम्हारे दिल और दिमाग़
और जुबाँ और पेट से
मत लिखो।

अगर घण्टों बैठना पड़े
अपने कम्प्यूटर को ताकते
या टाइपराइटर पर बोझ बने हुए
खोजते शब्दों को
मत लिखो ।

अगर पैसे के लिए
या शोहरत के लिए लिख रहे हो
मत लिखो।

अगर लिख रहे हो
कि ये रास्ता है
किसी औरत को बिस्तर तक लाने का
तो मत लिखो ।

अगर बैठ के तुम्हें
बार-बार करने पड़ते हैं सुधार
जाने दो ।

अगर लिखने की बात सोचते ही
होने लगता है तनाव
छोड़ दो।

अगर किसी और की तरह
लिखने की फिराक में हो
तो भूल ही जाओ
अगर वक़्त लगता है
कि चिंघाड़े तुम्हारी अपनी आवाज़
तो उसे वक़्त दो
पर ना चिंघाड़े गर फिर भी
तो सामान बाँध लो।

अगर पहले पढ़ के सुनाना पड़ता है
अपनी बीवी या प्रेमिका या प्रेमी
या माँ-बाप या अजनबी आलोचक को
तो तुम कच्चे हो अभी ।

अनगिनत लेखकों से मत बनो
उन हज़ारों की तरह
जो कहते हैं खुद को 'लेखक'
उदास और खोखले और नक्शेबाज़।

दुनिया भर की लाइब्रेरियाँ
त्रस्त हो चुकी हैं
तुम्हारी क़ौम से
मत बढ़ाओ इसे।

दुहाई है, मत बढ़ाओ।
जब तक तुम्हारी आत्मा की ज़मीन से
लम्बी दूरी के मारक रॉकेट जैसे
नहीं निकलते लफ़्ज़,
जब तक चुप रहना

तुम्हें पूरे चांद की रात के भेड़िए-सा
नहीं कर देता पागल या हत्यारा,
जब तक कि तुम्हारी नाभि का सूरज
तुम्हारे कमरे में आग नहीं लगा देता
मत मत मत लिखो ।

क्योंकि जब वक़्त आएगा
और तुम्हें मिला होगा वो वरदान
तुम लिखोगे और लिखते रहोगे
जब तक भस्म नहीं हो जाते
तुम या यह हवस ।

कोई और तरीका नहीं है
कोई और तरीका नहीं था कभी।

चार्ल्स बुकोवस्की
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
आलस आशा आनंद आय,
रीति रात्रि में रम रुक रोय।
शाम शुभम शाने शोभनीय,
साकार सपना सवाल सोए।


- - अभय वर्मा
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧