'जगह'......
आंखें खोली ही थी,
के सामने पड़ी खाली कुर्सी दिखी,
लगा बाहर होंगे,
पर तुम ना थे।
दरवाजा थोड़ा अटा के बैठी ही थी आंगन में,
चाय की चुस्की लेते हुए,
सोचा अब आओगे तो
फिर बना दूंगी।
अख़बार खत्म ही किया था के,
नजर उस बाहर वाली तुम्हारी कुर्सी पे पड़ी,
धूल? कब साफ की थी ये?
माथे पे हाथ फेरकर अफसोस आया,
के याद ही नहीं कुछ! फिर भूल गई मैं!
अंदर आई, सोचा अब क्या बनाऊं?
मुंह बन जाता ये फीकी सब्जी देखकर तुम्हारा,
तो ' जायका ' बढ़ा दिया।
अब आओगे? अब तो जायका है।
कढ़ाई चढ़ाई ही थी के,
फोन आया, उठाने को दौड़ी...पर रुक गई..
' साहब का सामान है दफ्तर में, यहां जगह नहीं, घर भिजवा दें? '
सामान?
और भी है क्या? कितना संजोऊ अब?
सब बिखर जाता है हर सुबह।
पर तुम्हारा है, तो रखुंगी ही।
वो बाई साफ करते हुए मुंह जो बनाती,
के दीदी ये ' सामान ' फिजूल का है,
अंदर बंद करके रख दूं?
सांस थाम के बस ये कह पाती, रखदे जहा ' जगह ' है,
सामान है, जरूरी है।
वो कतराती पर कहती, कुछ ले जाऊं मैं?,
जैसे ये कुर्सियां, धूल ही तो खाती हैं ये,
थोड़ी ' जगह ' बढ़ जाएगी जो कम है।
जगह?
वो 'जायके' वाले टुकड़े का स्वाद लेके मैं बस बोलती,
यहीं रहने दो सब,
ये ' सामान ' ही तो है अब
और एक ' जगह ' ही तो है,
जिसकी कोई कमी नहीं।
#Akanksha
#review
Good morning to all 🌼
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आंखें खोली ही थी,
के सामने पड़ी खाली कुर्सी दिखी,
लगा बाहर होंगे,
पर तुम ना थे।
दरवाजा थोड़ा अटा के बैठी ही थी आंगन में,
चाय की चुस्की लेते हुए,
सोचा अब आओगे तो
फिर बना दूंगी।
अख़बार खत्म ही किया था के,
नजर उस बाहर वाली तुम्हारी कुर्सी पे पड़ी,
धूल? कब साफ की थी ये?
माथे पे हाथ फेरकर अफसोस आया,
के याद ही नहीं कुछ! फिर भूल गई मैं!
अंदर आई, सोचा अब क्या बनाऊं?
मुंह बन जाता ये फीकी सब्जी देखकर तुम्हारा,
तो ' जायका ' बढ़ा दिया।
अब आओगे? अब तो जायका है।
कढ़ाई चढ़ाई ही थी के,
फोन आया, उठाने को दौड़ी...पर रुक गई..
' साहब का सामान है दफ्तर में, यहां जगह नहीं, घर भिजवा दें? '
सामान?
और भी है क्या? कितना संजोऊ अब?
सब बिखर जाता है हर सुबह।
पर तुम्हारा है, तो रखुंगी ही।
वो बाई साफ करते हुए मुंह जो बनाती,
के दीदी ये ' सामान ' फिजूल का है,
अंदर बंद करके रख दूं?
सांस थाम के बस ये कह पाती, रखदे जहा ' जगह ' है,
सामान है, जरूरी है।
वो कतराती पर कहती, कुछ ले जाऊं मैं?,
जैसे ये कुर्सियां, धूल ही तो खाती हैं ये,
थोड़ी ' जगह ' बढ़ जाएगी जो कम है।
जगह?
वो 'जायके' वाले टुकड़े का स्वाद लेके मैं बस बोलती,
यहीं रहने दो सब,
ये ' सामान ' ही तो है अब
और एक ' जगह ' ही तो है,
जिसकी कोई कमी नहीं।
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कहाँ जा रही किसके साथ जा रहीं हो,
किससे बात कर रही किससे मिल रही हो,
ऐसे सवाल मुझे ही क्यूँ पूछते हो,
खुद को भी पूछो मैं पुछू तो गलत !!!
#Akanksha
#review
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
किससे बात कर रही किससे मिल रही हो,
ऐसे सवाल मुझे ही क्यूँ पूछते हो,
खुद को भी पूछो मैं पुछू तो गलत !!!
#Akanksha
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कहाँ जा रही किसके साथ जा रहीं हो,
किससे बात कर रही किससे मिल रही हो,
ऐसे सवाल मुझे ही क्यूँ पूछते हो,
खुद को भी पूछो मैं पुछू तो गलत
#Akanksha
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
किससे बात कर रही किससे मिल रही हो,
ऐसे सवाल मुझे ही क्यूँ पूछते हो,
खुद को भी पूछो मैं पुछू तो गलत
#Akanksha
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
आइने में खुद को देखती हूँ तब अच्छा महसूस होता है
कोई तो है जो मेरी care करता है
खुशी में मेरा साथ देता हैं
दुख में मुझे सहारा देता हैं
जब रूठती हूँ तब कोई मनाने आता हैं
गुस्से में होती हूँ तब मुझे शांत करता हैं
गलतियो से सिखने को कहता हैं
अब किसी की सहारे की जरूरत नहीं हैं
मैंने खुदको ढुंढ लिया है ।
#Akanksha
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✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
कोई तो है जो मेरी care करता है
खुशी में मेरा साथ देता हैं
दुख में मुझे सहारा देता हैं
जब रूठती हूँ तब कोई मनाने आता हैं
गुस्से में होती हूँ तब मुझे शांत करता हैं
गलतियो से सिखने को कहता हैं
अब किसी की सहारे की जरूरत नहीं हैं
मैंने खुदको ढुंढ लिया है ।
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