श्री रामकृष्ण परमहंस थे प्रतिदिन,
अपने जलपात्र को राख से चमकाते।
मेहनत देख अपने गुरु जी कि,
शिष्य उनके चकित रह जाते।।
शिष्य सोचते कि गुरुजी का लोटा,
वैसे ही इतना चमकता रहता।
फिर उन्हें इसे चमकाने की,
क्यों रोज पड़ती है आवश्यकता?
फिर इक दिवस शिष्य गुरु जी से,
यह प्रश्न पूछ ही बैठा,
कि क्यों रोज इतनी मेहनत से,
चमकाते आप हैं अपना लोटा !
हँस कर बोल उठे गुरु जी भी,
इसमे लगती रोज है शक्ति।
पात्र की यह चमक इक दिन की,
मेहनत से है नहीं आ सकती।।
आगे उन्होंने फिर समझाया,
जीवन मे सबके है बुराइयों की माया।
दूर करने के लिए इस माया को,
हमें चाहिए रोज़ संघर्ष की छाया।
तो, सच्चाई और अच्छाई की ओर,
हमको अपना रुख करना होगा।
पूरी लगन और मेहनत से,
हमको रोज चमकना होगा।।
- वंशिका जैन✨✨
#consistency
#motivation
#review
#vanshikajain
🔗 View Post in Group
✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨
अपने जलपात्र को राख से चमकाते।
मेहनत देख अपने गुरु जी कि,
शिष्य उनके चकित रह जाते।।
शिष्य सोचते कि गुरुजी का लोटा,
वैसे ही इतना चमकता रहता।
फिर उन्हें इसे चमकाने की,
क्यों रोज पड़ती है आवश्यकता?
फिर इक दिवस शिष्य गुरु जी से,
यह प्रश्न पूछ ही बैठा,
कि क्यों रोज इतनी मेहनत से,
चमकाते आप हैं अपना लोटा !
हँस कर बोल उठे गुरु जी भी,
इसमे लगती रोज है शक्ति।
पात्र की यह चमक इक दिन की,
मेहनत से है नहीं आ सकती।।
आगे उन्होंने फिर समझाया,
जीवन मे सबके है बुराइयों की माया।
दूर करने के लिए इस माया को,
हमें चाहिए रोज़ संघर्ष की छाया।
तो, सच्चाई और अच्छाई की ओर,
हमको अपना रुख करना होगा।
पूरी लगन और मेहनत से,
हमको रोज चमकना होगा।।
- वंशिका जैन✨✨
#consistency
#motivation
#review
#vanshikajain
🔗 View Post in Group
✨𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧✨