Hindi/Urdu Poems
6.64K subscribers
56 photos
3 videos
3 files
9.3K links
Hindi/Urdu Poetry Collection.
Adding some stories too :D

Our Groups
@HindiPoetry
@WritersClub

Channels:
@ThePeepTimes
@WritersCafe
@CopywritersDesk
@WritersDirectory

More:
🌐 @tgWeBot | @BigBrandTree
Download Telegram
जमुना किनारे राधा,वन से जाने लगी,
जाने लगी राधा तो, कृष्ण को सताने लगी।।

जमुना तट बैठ तुम, मुरली बजाते हो।
मुरली बजाते हो तुम, गोपियां सताते हो।।
पकड़े जाते जब तुम कान्हा,बातें बनाते हो।
बातें बनाते हो तुम, बातों में उलझाते हो।।
बातों में उलझाकर तुम, आंखें दिखाते हो।
आंखें दिखाते हो तुम, हृदय भी चुराते हो।।
हृदय चुराकर तुम,कान्हा ऐसे मुस्कुराते हो।
ऐसे मुस्कुराते हो तुम,माखन भी चुराते हो।।
माखन-हृदय चुरा तुम,भोले बन जाते हो।
भोले बन जाते हो तुम,हमें डांट खिलाते हो।।

जमुना तीरे बैठे कान्हा, वृक्ष नीचे उतरे कान्हा।
वृक्ष नीचे उतरे कान्हा, तनिक पास आते हैं।।

कहते हैं तुम राधा, वृंदावन की स्वामिनी।
वृंदावन की स्वामिनी तुम,गोप से डर जाती हो।।
रुप की तुम स्वामिनी,जब एकांत वन में आती हो।
जब एकांत वन में आती हो,तो रक्षकों से डर जाती हो।।
जमुना किनारे तुम,राधा गोपियों संग आती हो।
गोपियों संग आती हो तुम,बांसुरी धुन से रुक जाती हो।।
माखन की मटकी दिखा तुम, मुझको सताती हो।
मुझको सताती हो तुम,माखन खिलाती हो।।
माखन खिलाकर तुम, यहीं बैठ जाती हो।
यहीं बैठ जाती हो तुम,सुध भूल जाती हो।।
घर जब जाती हो तुम, बातें बनाती हो।
बातें बनाती हो तुम, फिर डांट खाती हो।।
अपने इस सेवक को,कर भी न देती हो।
कर भी न देती हो तुम, माखनचोर कहाती हो।।

बातो में उलझी राधा, फिर ठगी जाने लगी।
फिर ठगी जाने लगी,राधा माखन खिलाने लगी।।

#Bhagyashree
#review

🔗 View Post in Group
𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧
ऐ बादल! कौन हो तुम ?
घुमंतु हो, बंजारे हो या समय के मारे हो ।।

यू बेवक्त ही रंग बदलते हो तुम,
बहुरूपिये हो या हमसे अपने दुख छुपाते हो तुम।।

हमेशा वायु से घिरे रहते हो तुम,
उसे उड़ना सिखाते हो या उसका साथ निभाते हो तुम।।

ऐसे देशों को बदलते रहते हो तुम,
कहीं सैर पर जाते हो या किसी से भागते रहते हो तुम।।

ऐसे आँखों में नमी लिये रोते हो तुम ,
किसी का ख़त पढ़ते हो या किसी को याद करते हो तुम।।

यूंही बारिश में कहीं भी गिर जाते हो तुम ,
कोई नशा करते हो या खुद से ही मिलने आते हो तुम।।

गर्मी में भाप बनकर उड़ जाते हो तुम,
अपने काम पर जाते हो या अनंत यात्रा समझाते हो तुम।।

हमेशा ही आसमां पर रहते हो तुम,
दुनिया की छत बनाते हो या अपनों से बिछड़े हो तुम।।

ए बादल ! कौन हो तुम?
घुमंतू,बहुरूपी,साथी,यात्री,प्रेमी,नशेड़ी,कर्मचारी हो तुम।।
या कोई ओर हो तुम?

#Bhagyashree
#review

🔗 View Post in Group
𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧