Hindi/Urdu Poems
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Hindi/Urdu Poetry Collection.
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उर्दू के माथे पर ,हिंदी की बिंदी खूब जचती हैं
आये जो उर्दू शब्द हिंदी में,तो हिंदी निखरती है

#nitesh_rawal
#review

Good night to all
दोष तुम्हारा नहीं ए "नितेश", हमारा ही था
तुम पर बेशुमार प्यार सिर्फ हमारा ही था

तुम तो चले थे बस, एक सफ़र को "नितेश"
तुम्हें हमसफ़र समझने का दोष हमारा ही था

घुल मिल कर बातें करना अदाकारी थी तेरी
मेरी बातों में ज़िक्र"नितेश"बस तुम्हारा ही था

यूँ तो हुज़ूम थे मेरे आजू बाजू पर "नितेश"
मेरे सर को बस तुम्हारें कंधे का सहारा था

शिकायत रहेगी उम्र भर इस ज़माने को मुझसे
की मैंने "नितेश" के नाम पर जीवन गुजरा था

#review
#nitesh_rawal
तुम्हारी आंखे

प्यारी तुम्हारी आँखों मे जब सुरमा लगता हैं
नूर से भरी इन आंखों को तब घूरना बनता हैं

तुम्हारी आँखों में एक आँसू ऐसा चमकता हैं
जैसे कोई सीप खुद में मोती को सहजता हैं

तुम्हारी आंखे जब इन पलकों को उठाती है
लगता है कोई रात,फिर सुबह को जगाती हैं

तुम्हारी इन आँखों का किरदार बहुत उम्दा है
लगता है कोई ख़्वाब इन आँखों मे जिंदा हैं

तुम्हारी आँखों मे "नितेश"की सूरत दिखती हैं
जैसे चाँद की फ़लक से चांदनी बिखरती हैं

#nitesh_rawal
#review
लगा हो नक़ाब तो शख़्स पहचान में नहीं आता
बुत बना हुआ हर शख्स भगवान में नहीं आता

मिट गये वक़्त के साथ कई नन्हें बच्चों के ख़्वाब
अब उनके जहन में कोई नया अरमान नही आता

गुजर जाती है कुछ की जिंदगी गली कूचों में
हर किसी के नसीब में कोई खानदान नहीं आता

बहुत जरूरी है ख़िदमत-ए-मेहमान का सलीका
बिना चाहत किसी के घर कोई मेहमान नहीं आता

नेक शख्सियत से ही मिलती है शोहरत ए "नितेश"
किसी गरीब का घरबचाने कोई धनवान नहीं आता

#nitesh_rawal
#review
एग्जाम का वो आखरी महीना

Exam का था आख़री महीना
और मोहब्बत की शुरुआत थी
किताबों की आड़ में दो दिलों
की मुलाक़ात हो रही थी

खुलती थी किताब पर
चर्चा प्यार मोहब्बत की होती थी
सुबह निकलते थे घर से
तो जाने में शाम हुआ करती थी

Doubt के बहाने दोनों ने
नजदीकियां बढ़ा करती थी
कंधों पर रख कर हाथ और सर
मुहब्बत जवां हुआ करती थी

याद है तुम्हे वो exam का
आख़री महीना
जब हमारी मुलाकात हुआ करती थी

बेचैन हुआ करती थी
दिल की धड़कन exam
के क़रीब आने से,,,
सांस थम जाती थी ये सोच कर
की exam के बाद मुलाकात का क्या होगा????

पल भर को पढ़ते और
फिर एक दुजे मव खो जाते थे
रखकर किताबों को दिल पर
बाहों में सो जाते थे

भूल गए या अभी याद है तुम्हें
वो exam का आख़री महीना,,,,
जब हमारी मुक़ाक़ात हुआ करती थी

बहुत याद आता है आज भी
वो तेरा मुझें रिझाने जा तरीका
बनाकर लाती थी मेरे लिए
न जाने क्या क्या,,,,,

आज भी महसूस करता है ये दिल
उस feeling को,,,,
जिस feeling ओर प्यार के साथ
तू मुझे अपने हाथों से खिलाती थी

Ufff वो वो लम्हा याद है तुम्हें
खाने के बाद तुम अपने मुंह मे
रख कर कैडबरी ,,,,,
कहती थी मुझें,,,
आओ मेरी जान खुशियां बांटे,,,,

पता नहीं चलता था कब
टॉफ़ी खत्म हो जाती थी,,,
और लब मिले रहते थे
कुछ पल को,,,,,,
वो मिठास आज भी इन लबों
पर बन हुई हैं,,,

याद है वो दौर,,,वो exam का आखरी महीना,,,
जब हमारी मुलाकात हुआ करती थी,,,

आखिर वो दिन आ ही गया,,,
जो हम चाहते थे कि कभी न आये,,,

Exam का आख़री पेपर था
और ,,,दिल बड़ा बेचैन था,,,
पेपर के डर से नही,,

का शख़्स का सोचकर,,
जो उतर गया था मेरे भीतर
मेरी रूह बनकर,,,,
कैसे रह पाएगा एक
ज़िस्म रूह के बिना,,,
निगाहे बेचैनी से ,,,इधर उधर
घूम रही थी,,,मानो किसी तूफां के पहले,,,ये प्रकृति बेचैन हो रही हो,,,

पेपर देने के बाद ,,
दोनों भाग कर आये थे
गले मिलकर रोने लगे थे,,,,
मन मे यही भाव उमड़ रहा था कि
यूँ लिपटे रहे हम,,,
और ये ज़िन्दगी गुजरती रहे इसी में,,,

बहुत देर तक,,,
जुदा होने का मन नही हुआ
ये सोचकर,,,,कहीं ये आख़री
मुलाक़ात तो नही,,,,
आंखों के आंसू थमने को न थे,,
आंसुओ की बारिश से ,,,
रुख़सार की जमीन गीली हो रही थी,,

फिर भी लब की लाली सूख रही थी,,,
सांसे थम रही थी,,,
मानो धड़कने मना कर रही हो
धड़कने से,,,,

बड़ी मुश्किल से फिर ,,,,
हमने हौसला बनाया,,,
जुदा हुए ही थे कुछ पल की,,,
फिर से गले लगा लिया एक दुजे को,,

एक घंटा बीत जाने के बाद,,,
कहीं जाकर हम आने अपने घर जा पाए,,
पर रास्ते भर नीगाहों में,,,
उसका चेहरा आंखों के
सामने बादल बनकर आ रहा था,,
,,,
बैठ गया फिर रास्ते में,,
कुछ समझ नहीं आ रहा था,,
क्या चल था दिल में
मैं समझ नही पा रहा था,,,

ऐसा लग था कि अभी अभी
शरीर का कोई खास हिस्सा,,,
कहीं रख आया हूँ मैं,,

बैठा रहा वही सड़क किराने,
शाम को ढलने को आई थी,,,
पर दिल तैयार नही था,,,
अपने घर जाने को,,,,

ये सोच कर सहम रहा था,,
अब अगर मुलाक़ात नहीं हुई तो क्या होगा,,

फिर क्या वही हुआ जो
हर लव story का होता है,,,,

आज पूरे 5 बरस हो गये है,,,
तब से लेकर आज तक,,,
कोई दिन ऐसा नहीं जाता था,,,
की उसकी यादों को महसूस करने
मैं college कैंटीन नही जाता था,,

काश वो लौट कर आ जाये,,,,,
मेरे इंतज़ार को खत्म करने,,
और कहे प्यार से,,,,,
तेरे इंतजार में मैंने भी,
उन किताबो को गले लगा रखा था,,,
पिछले 5 बरस से,,जो तेरी
हाथों से छुई हुई थी,,,

काश ये हो जाये,,,,
वो आखरी महीने वाला प्यार,,,,
कभी तो मुकम्मल हो जाये,,,,,

#nitesh_rawal
#review

This is my first love story......
Tell me your opinion about it😊
1222. 1222. 122

चरागों को बुझाया जा रहा है
अनाथों को सताया जा रहा हैं

अमीरों के उठाती नाज़ सत्ता
गरीबों को रुलाया जा रहा है

बुला सुर्खाब को अपने शहर में
परिंदों को उड़ाया जा रहा है

बताया जो हमें लगता नहीं सच
हक़ीक़त को छुपाया जा रहा है

कहीं आ जाए ना हाथों पुलिस के
सबूतों को मिटाया जा रहा है

सियासत से बचा ले कोई आकर
हमें घर से हटाया जा रहा हैं

#nitesh_rawal #review
212. . 212. 212. 212

देखकर ख़्वाब खुद को जगाया करो
तुम किताबों में रातें बिताया करो

आएगी हाथ किस्मत किसी रोज़ तो
तुम निग़ाहों में सपने सजाया करो

छीन सकता नहीं हक़ किसी का कोई
बात मतलब कि तुम भी बताया करो

हार जाती उदासी तुम्हें देखकर
बेवज़ह तुम यूँही मुस्कुराया करो

रात दिन जागती सोचकर मां तुम्हे
वक़्त पे घर अपने लौटजाया करो

#nitesh_rawal
#review
212 212 212 212
याद है वो हमें भीग जाना तेरा
प्यार से चाय का कप यूँ लाना तेरा

भूल ना पाऊँगा मैं कभी इन बातों को
रास आता मुझें मुस्कुराना तेरा

#nitesh_rawal
#review
212. . 212. 212. 212

देखकर ख़्वाब खुद को जगाया करो
तुम किताबों में रातें बिताया करो

आएगी हाथ किस्मत किसी रोज़ तो
तुम निग़ाहों में सपने सजाया करो

छीन सकता नहीं हक़ किसी का कोई
बात मतलब कि तुम भी बताया करो

हार जाती उदासी तुम्हें देखकर
बेवज़ह तुम यूँही मुस्कुराया करो

रात दिन जागती सोचकर मां तुम्हे
वक़्त पे घर अपने लौटजाया करो

#nitesh_rawal
#review
थाम लो तुम मुझें अपनी बाहों में
निकल न जाये मेरा दम राहो में

बना लो हम सफ़र मुझें तुम
गुजर न जाये ज़िंदगी सवालों में

चुम लो जो एक दफ़ा तुम मुझें
खुशी से फैल जाऊ आसमानों में

ज़िंदगी का हर लम्हा तुम्हें पुकारू
रह न जाये कोई कमी अरमानों में

सजा कर मांग मेरी अपना बना लो
शामिल हो जाओ तुम घरवालों में

#review
#nitesh_rawal
प्यार एक नही तुम सौ बार करो
पर एक फ़रेबी पर न एतबार करो

जो समझता है तुम्हारी भावना को
वो शख़्स से न कोई सवाल करो

रखें तुम्हारी हर बात की एहमियत
ऐसी ही किसी शख़्स से प्यार करो

नेक फ़रिश्ते से बना लो पाक रिश्ता
उसी के साथ हर लम्हा गुजार करो

#review
#nitesh_rawal
212 212 212 212
याद है वो हमें भीग जाना तेरा
प्यार से चाय का कप यूँ लाना तेरा

भूल ना पाऊँगा मैं कभी इन बातों को
रास आता मुझें मुस्कुराना तेरा

#nitesh_rawal
#review
रही न कोई कमी हमें आजमाने वालो की
पर हमें न कोई कमी थी साथ देने वालो की

हम तो गुजारते रहे ज़िंदगी अंधेरे में भी
हमें कमी न महसूस हुई कभी उजालो की

उठा तो हम भी सकते थे लुफ्त जिंदगी का
बस हमें फिक्र रहती थी हमेशा घरवालों की

चलता रहा तमाम उम्र उठाकर जिम्मेदारी
कभी परवाह न कि पैरों में पड़े छालों की

आजमाना है खुद को तो उतर समुन्दर में
कीमत नहीं है नितेश इन नदी नालों की

#review
#nitesh_rawal
वज़्न::2122 1212 22

प्यार में कुछ नज़र नहीं आता
लौटकर शख़्स घर नहीं आता

रास आने लगी ये शब उनको
काम जिनके सहर नहीं आता

लौटकर गाँव वो चले जाते
रास जिनको शहर नहीं आता

क्या लिखेंगे कभी ग़ज़ल वो भी
लिखते जिनको बहर नहीं आता

रास आये सितम हमें उसके
काम अब ये ज़हर नहीं आता

#nitesh_rawal
#review
2122. 2122. 22

बारिशों में भीगने आओ तुम
प्यार की दो बात कर जाओ तुम

क्यों लगाया चेहरे पर पर्दा
शक़्ल से पर्दा ये सरकाओ तुम

दूरियां ये खत्म कब तक होगी
वस्ल की खातिर कभी आओ तुम

आरज़ू दिल की यहीं है तुमसे
इश्क़ में बदनाम कर जाओ तुम

रूबरू ना हो सके दिन में तो
रात को मिलने कभी आओ तुम

#nitesh_rawal
#review
देखकर ख़्वाब खुद को जगाया करो.mp3
RecForge II
देखकर ख़्वाब खुद को जगाया करो.mp3
Writer:: नितेश रावल

#nitesh_rawal
#review
छुप गया बादल में जाकर वो कहीं writer::नितेश रावल.mp3
RecForge II
2122 2122 212

छुप गया बादल में जाकर वो कहीं
रात उसको ताकते हम रह गए

क्या मिला हमको सिला इस प्यार का
प्यार में हर ज़ख्म उनका सह गए

हो गए उनसे जुदा हम इस तरह
बन के कतरा आंसुओ के बह गए

रास अब आती नहीं ये ज़िन्दगी
बेवफ़ा जब से हमें वो कह गए

छोड़कर तन्हा हमें जब तुम गए
ख़्वाब के वो आशियाने ढह गए

#nitesh_rawal
#review

तर्ज़:: दिल के अरमान आंसुओं में बह गए
भौचक्का हुँ मैं अपने भीतर की विरह वेदना की अग्नि से
तहस नहस हो गया जीवन मेरा जैसे समुद्र हो सुबाड़वाग्नि से
सुध बुध नहीं रहती है अब ये जिंदगी किस करवट को जाये
जल रहा हूँ मैं नितेश जैसे जलता है जंगल दावाग्नि से

#nitesh_rawal
#review
212. 212. 212. 212

क्या कमी रह गई थी मिरे प्यार में
क्यों फ़रेबी बनाया युँ बाजार में

तोड़ कर सब हदे इश्क़ हमने किया
इश्क़ मेरा छपा है हर अखबार में

छोड़कर वो चली जायेगी एक दिन
ज़िन्दगी मत लुटाओ युँ बेकार में

मत भुलाना कभी कर्ज़ उन शख़्स का
काम आए कभी जो बुरे हाल में

साथ मे बैठकर चाय का लुफ़्त ले
जो मिलो तुम किसी शाम इतवार में

#nitesh_rawal
#review
उसकी मुस्कुराहट मिरे अज़ाबों का रफ़ू हैं
वही मेरी जीस्त,मेरी जान,मेरी जुस्तजू हैं
उसकी गुल्फाम सी शख्सियत है बड़ी क़ातिल
उसकी दोशीजगी,उसकी सादगी मेरी अदू है

#nitesh_rawal
#review